चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है. यह बात क्रिप्टो के खरीद-फरोख्त की सुविधा देने वाली अमेरिकी कंपनी कॉइनबेस (Coinbase) के लिए एकदम सटीक बैठती है, सटीक इसलिए क्योंकि कंपनी को भारत के बाजार में आए चार दिन ही हुए थे और वह यूपीआई पेमेंट्स (UPI Payments) को लेकर NPCI के रडार पर आ गई. तो क्या है यह पूरा मामला, समझते हैं. दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज Coinbase ने 7 अप्रैल को भारत में अपनी जोरदार एंट्री की. अपनी इस एंट्री के साथ कंपनी ने कहा कि वह अपने यूजर्स को UPI के जरिए क्रिप्टो करेंसी खरीदने की सुविधा देगी. इसके बाद NPCI ने एक बयान जारी किया और कहा कि उसे किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज के UPI का इस्तेमाल करने की जानकारी नहीं है.
करेंसी एक्सचेंज
Q. Consider the following statements regarding floating exchange rate system:
1. The exchange rate is determined by market mechanisms
2. As the interest rate in such an economy increases, the domestic currency करेंसी एक्सचेंज depreciates
3. As the public income increases in an economy, the domestic currency of that economy depreciates
Which of the statements given above is/are correct?
Q. फ्लोटिंग विनिमय दर प्रणाली के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. विनिमय दर बाजार तंत्र द्वारा निर्धारित होता है।
2. इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में ब्याज दर बढ़ने पर घरेलू मुद्रा के मूल्य में ह्रास होता है।
3. यदि किसी अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक आय में बढ़ोतरी होती है तो उस अर्थव्यवस्था की घरेलू मुद्रा के मूल्य में ह्रास होता है।
ऊपर दिए गए कथनों में कौन सा/से सही है / हैं?
क्रिप्टो करेंसी क्या है इसके लाभ और नुकसान
Crypto Currency kya hai नोट एवं सिक्कों के अलावा अब धीरे-धीरे एक प्रकार की और करेंसी दुनिया में प्रचलित हो रही है, जिसे क्रिप्टो करेंसी कहते हैं। इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजि़टल हस्ताक्षर द्वारा सत्यापन किया जाता है और क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) की मदद से उसका रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका भौतिक अस्तित्व नहीं होता। यह सिर्फ ऑनलाइन रूप से डिजिट्स के रूप में उपलब्ध रहती है। इस करेंसी से आप सामान खरीद-बेच सकते हैं अथवा निवेश कर सकते हैं। कुछ क्रिप्टो करेंसी का मूल्य उनकी लोकप्रियता के कारण काफी अधिक है, लेकिन इसके साथ एक तथ्य यह भी करेंसी एक्सचेंज है कि इसके मूल्य में स्थिरता नहीं है। क्रिप्टो करेंसी के मूल्य में बहुत तेज़ी से उतार-चढाव होता रहता है, जिस कारण इसकी कीमतें दिन में बार बदलती रहती हैं।
इस करेंसी की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह से विकेंद्रीकृत है अर्थात् इस पर किसी भी देश अथवा सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इसी कारण शुरुआत में इसे अवैध करार दिया गया, लेकिन बाद में BITCOIN की लोकप्रियता को देखते हुए कई देशों ने इसे वैध कर दिया। कुछ देश तो अभी भी इसके विरुद्ध हैं।
क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज करेंसी के प्रकार
प्रमुख क्रिप्टो करंसियों के प्रकार हैं- ETHERIUM, (ETH), RIPPLE (XRP), LITECOIN (LTC), COSMOS (ATOM), NAMECOIN (NMC) और BITCOIN] जोकि दुनिया की पहली क्रिप्टो करेंसी है। इसे वर्ष 2009 में जापान के सतोशी नाकामोतो ने बनाया था। इस करेंसी को शुरुआत में बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन आज यह दुनिया की सबसे महंगी डिजि़टल करेंसी है। इन क्रिप्टो करंसियों के आलवा वर्तमान में 1500 से अधिक क्रिप्टो करेंसी हैं।
- डिजि़टल करेंसी होने के कारण चोरी हो जाने का डर नहीं होता।
- इसे खरीदना-बेचना तथा निवेश करना बहुत आसान हो जाता है, क्योंकि इसमें कई डिजि़टल वॉलेट्स उपलब्ध हैं।
- इसकी कीमतों में बहुत तेज़ी से उछाल आता है, जिस कारण यह निवेश हेतु अच्छा विकल्प है।
क्रिप्टो करेंसी के नुकसान
- इस पर किसी भी सरकारी संस्था का कोई नियंत्रण नहीं है, जिस कारण इसकी कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव आता रहता है।
- इसे डिजि़टल होने के कारण हैक किया जा सकता है। ETHERIUM करेंसी के साथ ऐसा हो चुका है।
कई देशों ने क्रिप्टो करेंसी को वैध कर दिया है, लेकिन कुछ देश अभी भी इसके खिलाफ़ हैं। भारत में भी उच्चतम न्यायालय द्वारा 04 मार्च, 2020 को ही इस करेंसी में निवेश एवं व्यापार पर आरबीआई द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया गया है। क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज करेंसी व्यापार, निवेश, तकनीकी और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ और कम खर्च वाली भविष्य की विनिमय प्रणाली की अवधारणा को प्रस्तुत करती है, लेकिन करेंसी एक्सचेंज वर्तमान में इसके संदर्भ में गोपनीयता, मूल्य-अस्थिरता और विनियमन की नीति का अभाव आदि अनेक समस्याएं दिखाई पड़ती हैं। भारत सरकर ने हाल ही में यह अनिवार्य किया है कि सभी कम्पनियाँ क्रिप्टो करेंसी में किए गए निवेश की घोषणा करेंगी।
चीन के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज Huobi ने देश छोड़ने का किया ऐलान, देश में करेंसी पर बैन के बाद फैसला
चीन के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज HUOBI ने अपने घरेलू देश को छोड़ने का फैसला किया है. Huobi के फाउंडर्स ने अपनी शेयरधारकों की बैठक में वोट दिया था कि क्रिप्टो एक्चेंज को सरकार की बढ़ती जांच-पड़ताल के बाद अपने घरेलू बाजार को छोड़ देना चाहिए. उस दिन बाद में, चीन के नियामकों ने एलान किया कि देश में सभी क्रिप्टो ट्रांजैक्शन और सेवाओं पर पाबंदी हैं. Huobi ने मेललैंड चीन में नए यूजर्स के लिए रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया. इसके दो दिन बाद उसने एलान किया कि वह इस साल के आखिर तक सभी मौजूदा चीनी यूजर्स को हटा देगी.
कई छोटे एक्सचेंज ने भी किया फैसला
इसके बाद कुछ छोटी क्रिप्टो आउटफिट्स ने भी इसको फॉलो किया. यह बीजिंग की क्रिप्टो को बैन करने की मजबूत कोशिशों का ही नतीजा है. हालांकि, कुछ सालों में इन कोशिशों को मिली-जुली प्रतिक्रिया ही मिली है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, को-फाउंडर Du Jun ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे रेगुलेटर्स से बात कर रहे थे कि क्या अभी भी चीन में कानूनी तरीके से संचालन करने के कोई तरीका उपलब्ध है या नहीं. लेकिन इस बार चर्चा की कोई जगह नहीं थी. उन्होंने कहा कि उनकी रणनीति अब ग्लोबल हो जाने की है.
इस साल की शुरुआत से एक्सचेंज कर रहा था तैयारी
बीजिंग के हालिया क्रिप्टो बैन से Huobi जैसे क्रिप्टो एक्सचेंजेज के लिए झूठी उम्मीदें भी खत्म हो गई हैं. लेकिन इस साल की शुरुआत से, ही एक्सचेंज चीन के बाहर काम करने को लेकर तैयारी कर रहा है. Jun ने कहा कि जहां Sequoia China और ZhenFund जैसे निवेशकों ने अगले साल के जून महीने तक सभी चीनी यूजर्स के अकाउंट्स को बंद करने के ऑरिजनल प्लान पर सहमति दी थी. वहीं, आधिकारिक ऐलान ने उन कोशिशों को तेज कर दिया है.
Du ने कहा कि वे सरकारी नीति के मुताबिक ही चल रहे हैं, जिससे वह इस मामले को इसी साल समाधान कर सकें. इसके साथ उन्होंने कहा कि एक्सचेंज रेगुलेटर्स को इसमें प्रगति पर अपडेट करता रहेगा. Huobi अब बाकी दुनिया में अपने विस्तार पर ध्यान दे रहा है.
बता दें कि चीनी सेंट्रल बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस खबर के बाद दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में भारी गिरावट आई थी.
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर 30 फीसदी टैक्स
बता दें कि सरकार ने इस साल के बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की थी. इतना ही नहीं, ऐसे हर लेनदेन पर 1 फीसदी TDS भी देना होगा. यानी सरकार करेंसी एक्सचेंज क्रिप्टो और दूसरे सभी डिजिटल एसेट की ट्रेडिंग को डिस्करेज करना चाहती है.
बता दें कि सरकार ने इस साल के बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की थी. इतना ही नहीं, ऐसे हर लेनदेन पर 1 फीसदी TDS भी देना होगा. यानी सरकार क्रिप्टो और दूसरे सभी डिजिटल एसेट की ट्रेडिंग को डिस्करेज करना चाहती है.
इसे ऐसे समझिए, 30 फीसदी टैक्स लगाना का मतलब है कि अगर किसी ने क्रिप्टो से 1,000 रुपए का मुनाफे कमाया है तो उसे 30 फीसदी टैक्स, उसके साथ सरचार्ज और सेस मिलाकर करीब 420 रुपए देने होंगे. इसी तरह 10,000 रुपए की कमाई पर 4,200 रुपए उड़न-छू जाएंगे.
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