बिटकॉइन

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बिटकॉइन हुआ गुलजार,बिटकॉइन ने फिर कायम किया अपना जलवा.

बिटकॉइन हुआ गुलजा

इस वर्ष बिटकॉइन तथा अदर क्रिप्टो कॉइन में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बिटकॉइन में या अदर क्रिप्टो कॉइन में जो निवेशक निवेश किए हैं इस साल ,वह घाटे में ही चल रहे हैं. उन निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है.

बिटकॉइन इतना ज्यादा रिटर्न दिया है कि यकीन करना मुश्किल है लेकिन फिर भी बिटकॉइन आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. बिटकॉइन में और अदर क्रिप्टो करेंसी में एक तेजी देखी गई है जिससे निवेशकों के चेहरे पर रौनक छा गई है. अब देखना यह है की यह तेजी कब तक बरकरार रहती है.

लेकिन जिस तरह से शेयर बाजार में गिरावट देखी गई उस हिसाब से क्रिप्टो कॉइन में गिरावट देखने को नहीं मिली.

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क्रिप्टो करेंसी मार्केट धड़ाम, बिटकॉइन 5 प्रतिशत से ज्यादा लुढ़का

मुंबई। आभासी मुद्रा बाजार यानी क्रिप्टो करेंसी मार्केट में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के कारण बिटकॉइन समेत ज्यादातर प्रमुख क्रिप्टो करेंसीज की कीमत पर इन दिनों.क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार

13 April 2022 8:48 AM GMT

होली पर गुलजार हुआ बाजार, 30 फीसदी बढ़ा व्यापार, 20 हजार करोड़ का हुआ कारोबार

नईदिल्ली। कोरोना प्रतिबंध खत्म होने के दो साल बाद इस बार होली पर लोगों ने खुलकर खरीदारी की। नतीजतन, इस साल होली पर देशभर में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान बिक गया, जो पिछले साल के.

क्या है Private Cryptocurrency जो बैन होगी, क्या बिटकॉइन इसमें शामिल है?

क्या है Private Cryptocurrency जो बैन होगी, क्या बिटकॉइन इसमें शामिल है?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर सरकार द्वारा बिल लाने की घोषणा के बाद हाय तौबा मच गई है. अब क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार जब भारतीयों के हजार-करोड़ों रुपए क्रिप्टो के बाजार में लगे हो तो हाय तौबा मची रहेगी. इसका असर ये हुआ कि एक तो मार्केट धड़ाम से गिर गया दूसरी तरफ पैनिक सेलिंग को बढ़ावा मिला. लेकिन सरकार द्वारा बिल की घोषणा पर नजर डालें तो वहां प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने की बात हो रही है.

अब ये प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या है और ये बिटकॉइन, ईथीरियम या डॉजकॉइन भी प्राइवेट क्रिप्टो हैं.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, इसके साथ कुछ वैल्यू भी जुड़ी होती है. ये एक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. ये किसी बैंक ना मिलने की बजाय कंप्यूटर्स द्वारा माइन होती है. हालांकि इनके ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता है, लेकिन सीमित जानकारियों के साथ.

अब भारत समेत दुनिया के कई देश में ना तो इसको लेकर कोई कानून है ना ही इसे सरकार मान्यता देती है. इसलिए भारत सरकार अब इस पर एक बिल लेकर आएगी ताकि कुछ कानून बनाएं जा सके.

क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना काफी जटिल है और क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार सरकार का मानना है कि इसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो सकता है. या तो इसको हवाला फंडिंग या टेरर फंडिंग के उपयोग में लाया जा सकता है. इसलिए इसको या तो बैन करने की जरूरत है या फिर रेग्युलेट करने की.

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट ब्लॉकचेन के सहारे ट्रांजेक्ट होती है. इसको ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है. आमतौर पर इसकी परिभाषा भी यही है. जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है. वहीं बिटकॉइन, डॉजकॉइन, ईथीरियम ये सब पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनके ट्रांजेक्शन को ट्रेस किया जा सकता है.

पेंच ये है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की कोई फिक्स परिभाषा तय नहीं हो पाई है. भारत सरकार प्राइवेट क्रिप्टो को किस तरह से परिभाषित करेगी ये बिल पेश पेश होने के बाद ही साफ हो पाएगा.

अब ऐसा हो सकता है कि सरकार उन सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्राइवेट माने जो सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है. या ऐसा भी हो सकता है कि जिन क्रिप्टोकरेंसी के ट्राजेक्शन की पहचान ना की जा सकती हो उनको सरकार प्राइवेट माने.

अब चूंकी सरकार अपनी एक डीजिटल क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार करेंसी ला रही है इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि हर तरह की क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा लेकिन कुछ अपवाद के साथ.

दिवाली पर बाजार हुए गुलजार, लोगों का उमड़ रहा हुजूम. जमकर कर रहे खरीददारी

नेशनल डेस्कः दिवाली के अवसर पर एक ओर बाजार गुलजार हैं। दिल्ली-एनसीआर से लेकर देशभर के बाजारों में लोग जमकर खरीददारी कर क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार रहे हैं। इस दिवाली लोग जमकर धन खर्च कर रहे हैं। कोविड के दो साल बाद बाजारों में एक बार फिर रौनक लौट आई है। कोविड के दो साल बाद बाजारों में जमकर भीड़ उमड़ रही है। लोग जमकर सामान की खरीददारी कर रहे हैं। इस साल कैट ने दिवाली के अवसर पर करीब 2.50 लाख करोड़ का बाजार होने की उम्मीद जताई है।

दिल्ली के बाजारों में जमकर उमड़ रही भीड़
राजधानी दिल्ली के सरोजनी नगर मार्केट, सदर बाजार, चांदनी चौक में लोगों की हुजूम उमड़ रहा है। 22-23 तारीख को धनतेरस के अवसर पर बाजार को जमकर बिक्री की उम्मीद है। लोग सोना-चांदी से लेकर घर के सामानों में जमकर पैसा खर्च कर रहे हैं। सोने का भाव इस समय 50 हजार रुपए के करीब है।

दो साल बाद लोगों का डर खत्म
साल 2020 में कोरोना महामारी आने के 2 साल बाद लोगों के कोविड के प्रति डर खत्म होता दिखाई पड़ रहा है। बाजारों में उमड़ती भीड़ और बिना मास्क के लोग कोविड की परवाह किए बगैर घर से बाहर निकल रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर चिंता जताई है और राज्य सरकारों को कोविड का पालन करने को कहा है। लेकिन लोगों में कोविड का डर नजर नहीं आ रहा है।

ऑनलाइन शॉपिंग का बाजार
स्थानीय बाजार के अलावा लोग ऑनलाइन शॉपिंग भी जमकर कर रहे हैं। दिवाली के अवसर पर ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को कंपनिया बड़े स्तर पर डिस्काउंट दे रही हैं। दशहर के अवसर पर लोगों ने 25 हजार करोड़ रुपए तक क्रिप्टो करेंसी बाजार गुलजार की ऑनलाइन शॉपिंग की थी। ऐसे में ऑनलाइन सामान बाजार को दिवाली पर बड़ी खरीददारी की उम्मीद है।

लोकल फॉर वोकल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लोग स्थानीय उत्पादों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। बाजार में चीनी सामान की बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लोग अब सस्ते सामान की जगह गुणवत्ता पर ध्यान दे रहे हैं। चीन में कोविड नीति के कारण माल की सप्लाई बाधित हुई है। जिससे बाजार में चीनी माल कम आ रहा है। लोग मिट्टी के दीयों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है।

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पर्यटकों से गुलजार हो रहा जम्मू-कश्मीर

शेयर बाजार 24 जुलाई 2022 ,18:15

पर्यटकों से गुलजार हो रहा जम्मू-कश्मीर

श्रीनगर, 24 जुलाई (आईएएनएस)। पिछले तीन वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर आने वाले लाखों पर्यटकों ने हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन उद्योग में नई जान फूंक दी है। जीरो ऑक्यूपेंसी के होटलों में पूरी तरह से भीड़ देखी जा रही है और सरकार पर्यटकों की भारी आमद को समायोजित करने के लिए होम स्टे को प्रोत्साहित कर रही है।1989 में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित विद्रोह के बाद पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ था। इसने पर्यटन क्षेत्र को तबाह कर दिया था, क्योंकि कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आने लगी थी।

कश्मीर 1988 तक, 7 लाख से पर्यटकों के साथ, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक था। 1989 में, पाकिस्तान प्रायोजित उग्रवादी कश्मीर की सड़कों पर बंदूकों और हथगोले के साथ दिखाई दिए, जिसके कारण पर्यटकों ने घाटी को अलविदा कह दिया।

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