इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए शिवम ने कहा, “मेरी नजर में यूपीएससी की तैयारी करते हुए सबसे जरूरी है अपने वैकल्पिक विषय का चयन। आपको बहुत सोच-समझकर उसका चयन करना चाहिए। मेरे पहले और दूसरे प्रयास में मेरे वैकल्पिक विषय में कम नंबर आए थे, शायद इसी वजह से मेरी रैंक बेहतर नहीं थी, लेकिन अपने तीसरे प्रयास में, मैंने इस पर बहुत मेहनत की और परिणाम अच्छे रहे। हर यूपीएससी उम्मीदवार को अपने हिसाब से रणनीति बनानी चाहिए और उसी हिसाब से तैयारी करनी चाहिए। अगर आप कड़ी मेहनत और पूरी लगन से तैयारी करते हैं तो जरूर सफल होंगे।”
SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें?
मूल रूप से जयपुर के रहने वाले 28 साल के शिवम शर्मा के पिता ‘उत्तर-पश्चिम रेलवे’ में कार्यरत थे और मां शिक्षक थीं। शिवम बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे। इंटर की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने आईआईटी की एंट्रेंस परीक्षा दी और बेहतर रैंक के साथ बेहद प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बी. टेक. में दाखिला लिया। स्नातक पूरा करने के बाद, वो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘हिताची’ में नौकरी के लिए जापान चले गए। लेकिन कुछ वक्त के बाद ही भारत लौट आए और आईटीसी कंपनी में नौकरी करने लगे।
आईटीसी कंपनी में वो ‘एग्री कमोडिटी’ विभाग में ‘तकनीकी सलाहकार’ के तौर पर काम करते थे। इसी सिलसिले में उन्होंने देश के कई राज्यों में काम किया और खेती-किसानी को बहुत करीब से देखा। यही वो वक्त था, जब उनके मन में यूपीएससी के ख्वाब पलने लगे।
तैयारी
साल 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने अपने पहले प्रयास में 390 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर ली उन्हें आईआरएस कैडर मिला। लेकिन वो इससे खुश नहीं थे और उन्होंने फिर से परीक्षा दी। साल 2017 में अपने दूसरे प्रयास में वो बेहतर नहीं कर पाए और अंतिम परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा। लेकिन साल 2018 में अपने तीसरे प्रयास में उन्हें फिर से सफलता मिली और एक बेहतर रैंक प्राप्त हुई। उनका वैकल्पिक विषय मैकेनिकल इंजीनियरिंग था।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए शिवम ने कहा, “मेरी नजर में यूपीएससी की तैयारी करते हुए सबसे जरूरी है अपने वैकल्पिक विषय का चयन। आपको बहुत सोच-समझकर उसका चयन करना चाहिए। मेरे पहले और दूसरे प्रयास में मेरे वैकल्पिक विषय में कम नंबर आए थे, शायद इसी वजह से मेरी रैंक बेहतर नहीं थी, लेकिन अपने तीसरे प्रयास में, मैंने इस पर बहुत मेहनत की और परिणाम अच्छे रहे। हर यूपीएससी उम्मीदवार को अपने हिसाब से रणनीति बनानी चाहिए और उसी हिसाब से तैयारी करनी चाहिए। अगर आप कड़ी मेहनत और पूरी लगन से तैयारी करते हैं तो जरूर सफल होंगे।”
शिवम का मानना है कि यूपीएससी अभ्यर्थी को अधिक से अधिक सेल्फ स्टडी पर ध्यान देना चाहिए और नोट्स जरूर बनाएं। सिलेबस पर खास ध्यान दें और वक्त रहते उसे पूरा करें। खूब रिवीजन करें और मेंस को ध्यान में रखते हुए आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस शुरुआत से ही करें।
स्वोट (SWOT) एनालिसिस और सलाह
अपने वैकल्पिक विषय में बेहतर तैयारी के लिए शिवम ने स्वोट एनालिसिस किया और उसी हिसाब से रणनीति बनाई। ‘स्वोट’ कॉर्पोरेट के दुनिया में इस्तेमाल होने वाली एक तकनीक है, जिसकी सहायता से हम किसी ग्रुप, आर्गेनाईजेशन या किसी व्यक्ति की खूबियों, कमजोरियां, उपलब्ध अवसरों और चुनौतियों का पता लगा सकते हैं।
शिवम ने भी स्वोट (SWOT) एनालिसिस करते हुए अपनी ताकत, कमजोरी, अवसर और खतरे पर विश्लेषण किया और उसके बाद एक कारगर रणनीति बनाई। इसका फायदा भी उन्हें मिला और अपने तीसरे प्रयास में उन्हें 336 नंबर मिले। शिवम का कहना है कि यूपीएससी की तैयारी में आपको सही दिशा में अच्छी रणनीति बनाकर तैयारी करनी होगी।
IIT JEE: जानिए IIT JEE की कैसे करनी है तैयारी, JEE इस ट्रिक से हो जायेगा क्रैक
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IIT JEE: आईआईटी में हजारों सीटों(Seets) के लिए हर साल लगभग 10 लाख छात्र JEE Mains के लिए पंजीकरण कराते हैं। जेईई मेन्स(JEE Mains) के पहले चरण में चुने गए छात्र जेईई एडवांस्ड में शामिल होने के पात्र हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई स्क्रीनिंग(Screening) चरणों की आवश्यकता(Need) होती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने से पहले अच्छी SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? तैयारी करनी चाहिए। आईआईटी जेईई निस्संदेह सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं(Exams) में से एक है जिसके लिए छात्र स्कूल के बाद कड़ी मेहनत करते हैं। यह एक ऐसी परीक्षा है जिसमें समर्पण के साथ-साथ स्मार्टनेस(Smartness) की भी आवश्यकता होती है।
IIT JEE: संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) की तैयारी कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद शुरू होती है। अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने का लक्ष्य रखने वाले छात्रों को 11वीं कक्षा में विज्ञान का विकल्प चुनना चाहिए। यह एक छात्र के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, कक्षा 12 के पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाले कॉन्सेप्ट, कक्षा 11 में आपने जो सीखा है, उसका विस्तार है। इसलिए, यदि आप इसे जेईई के माध्यम से करने के लिए दृढ़ हैं, तो जल्दी शुरुआत करें।
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आइए जानें कि 11वीं कक्षा के एक छात्र को IIT JEE की अच्छी तैयारी के लिए क्या करना चाहिए
1. IIT JEE के लिए अध्ययन सामग्री एकत्र करें
IIT JEE: एनसीईआरटी की किताबों से अपनी अवधारणाओं का निर्माण जेईई की तैयारी के लिए अपनी नींव तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन, अगर आप लाखों छात्रों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं तो अकेले एनसीईआरटी पर्याप्त नहीं है। आपको अध्ययन सामग्री से मदद लेने की आवश्यकता है जो आपके पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से कवर करती है।
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2. कोचिंग संस्थान के शिक्षकों की मदद लें
IIT JEE: इसमें कोई शक नहीं कि स्कूल आपकी तैयारी शुरू करने के लिए सबसे अच्छी जगह है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कोचिंग संस्थान छात्रों को सामग्री का अध्ययन करने, योजना बनाने और नियमित रूप से संशोधित करने में मदद करते हैं। जेईई की तैयारी के लिए अपनी कोचिंग शुरू करने का सही समय ग्यारहवीं कक्षा है। यह वह समय है जब आप गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान में नई और दिलचस्प अवधारणाओं से रूबरू होते हैं। एक अच्छा कोचिंग संस्थान आपको कठिन अवधारणाओं को आसान तरीके से समझने में मदद करेगा। नियमित विषय-आधारित परीक्षणों के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि आप सीमित समय के भीतर विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को हल कर सकते हैं।
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3. एक स्टडी शेड्यूल बनाएं
IIT JEE: जेईई की तैयारी के लिए आपको पूरी लगन और कड़ी मेहनत के साथ इसे करने की जरूरत है। कहने की जरूरत नहीं है कि जो उम्मीदवार आईआईटी में जाना चाहते हैं, उन्हें पढ़ाई से पहले सभी चीजों को जानना चाहिए और अपनी पढ़ाई का पूरा शेड्यूल बनाना चाहिए। ताकि आप जान सकें कि आपको कब और कैसे पढ़ाई करनी चाहिए। लेकिन बिना दिमाग के पढ़ने से छात्रों को उस विषय को समझने में समय लगेगा। ऐसे में जरूरी है कि अगर आप लगातार पढ़ाई से बोर हो गए हैं तो कुछ समय के लिए पढ़ाई से ब्रेक लें और मनोरंजन के लिए गेम खेलें या पहले वह करें जिसमें आपकी रुचि हो।
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4. खुद को समझने के लिए SWOT एनालिसिस करें
IIT JEE: जेईई का सिलेबस थोड़ा कठिन है। लेकिन आपको हमेशा अपने लक्ष्यों के प्रति एक स्मार्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। एसडब्ल्यूओटी(SWOT) विश्लेषण आपको अपनी ताकत, कमजोरियों, खतरों और अवसरों को समझने में मदद करता है। एक बार जब आपको अपनी कमजोरियों का स्पष्ट अंदाजा हो जाएगा, तो आप समझ जाएंगे कि आपको कहां ज्यादा काम करने की जरूरत है। यदि आप गणित जैसे किसी विशेष विषय में अच्छे हैं, तो आप जानते हैं कि आप इसे अपनी ताकत के रूप में उपयोग कर सकते हैं और उस खंड में उच्चतम अंक प्राप्त कर सकते हैं।
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5. अपने दृष्टिकोण में सुसंगत रहें
IIT JEE: जेईई की तैयारी के दौरान सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा प्रेरित और सुसंगत रहना है। एक स्कूल जाने वाले छात्र के लिए दैनिक कार्यक्रम बनाए रखना कठिन होता है। जब भी आप हार मानने का मन करें तो याद रखें कि अगर आप हार मान लेते हैं तो आप अपने लक्ष्य तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे।
आज का दिनः पंजाब की सुस्त अर्थव्यवस्था को कैसे दुरुस्त करेगी आम आदमी पार्टी?
क़र्ज़ में दबे पंजाब में कैसे चुनावी वादे पूरी करेगी AAP? UP में बीजेपी अध्यक्ष के लिए कौन से चेहरे हैं आगे? रूस ने कीव के अलावा दूसरे शहरों में हमले क्यों तेज़ कर दिए? तेल के बढ़ दामों का फ़िशिंग सेक्टर पर क्या असर हो रहा है? सुनिए 'आज का दिन' अमन गुप्ता के साथ.
अमन गुप्ता
- नई दिल्ली,
- 05 अप्रैल 2022,
- (अपडेटेड 05 अप्रैल 2022, 9:02 AM IST)
आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज सुनेंगे कि पंजाब में सरकार बनाते ही आम आदमी पार्टी के सामने नए नए चैलेंजेज आ रहे हैं. हाल ही में हमने कोयले के कमी पर बात की. फसल मुआवज़े को लेकर भी सरकार को घेरा और अब सामने चुनौती है पंजाब की ख़स्ता आर्थिक हालत से प्रदेश की नैया को पार लगाना.
UP में BJP प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कौन से चेहरे आगे?
उत्तर प्रदेश में कैबिनेट गठन के बाद चर्चा अब बीजेपी के यूपी प्रेसिडेंट को लेकर शुरू हो गई है. स्वतंत्र देव सिंह ने करीब दो सालों तक ये पदभार संभाल रखा था लेकिन इस दफा उन्हें योगी कैबिनेट में जल शक्ति और आपदा प्रबंधन की ज़िम्मेदारी दी गई है. जिसके बाद से ही ये तय हो गया था कि अब यूपी बीजेपी प्रेजिडेंट के लिए किसी नए चेहरे की तलाश की जा रही है. 2 साल बाद ही लोकसभा चुनाव भी होना है, इसलिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर भी बीजेपी की निगाह होगी. एक तरफ जहां योगी सरकार से 22 मंत्रियों को मंत्रिपरिषद से बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह और अरविंद शर्मा के साथ-साथ संगठन के कई महत्वपूर्ण नेताओं को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में राजनीतिक जानकार पार्टी प्रदेश संगठन में इसे बदलाव को भविष्य की तैयारी के रूप में देख रहे हैं. एक रोज़ पहले ही मथुरा के विधायक श्रीकांत शर्मा के नाम पर सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी थी. कहा जाने लगा कि श्रीकांत शर्मा ही यूपी बीजेपी प्रेसिडेंट बनेंगे मगर श्रीकांत ने इस सब को फर्जी बताया और कहा कि उनके पास इस तरह की कोई सूचना नहीं है. बहरहाल, इन चर्चाओं और दावों के बीच सवाल ये है कि वो कौन-कौन से नाम है जिन्हें यूपी बीजेपी प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी दी जा सकती है और इसको लेकर पार्टी किस तरह का जातीय समीकरण साधने की कोशिश कर रही है?
पंजाब की आर्थिक हालात सुधारने के लिए क्या है AAP का प्लान?
पंजाब में सरकार बनाते ही आम आदमी पार्टी के सामने नए नए चैलेंजेज आ रहे हैं. हाल ही में हमने कोयले के कमी पर बात की. फसल मुआवज़े को लेकर भी सरकार को घेरा और अब सामने चुनौती है पंजाब की ख़स्ता आर्थिक हालत से प्रदेश की नैया को पार लगाना. कहा जा रहा है कि पंजाब सरकार पर कर्ज का बोझ इतना ज्यादा है कि चुनाव के दौरान जो वादे कर के आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है उसे पूरा करने में पार्टी को दिक्कत हो रही है. इससे पहले चन्नी सरकार को भी कर्जे के इसी संकट की वजह से कई योजनाएं पेंडिंग में डालनी पड़ी थी. और इस बार वही मुसीबत भगवंत मान के सामने भी खड़ी है. तो अब सवाल यो है कि पंजाब के सामने क़र्जे़ का ये संकट और आर्थिक तौर पर तंगी कितनी गहरी और पुरानी है? मौजूदा सरकार के लिए ये कितना बड़ा चैलेंज है?
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गुजरात से BJP को हटा पाना कांग्रेस के बस का नहीं, मायूस होकर दिल्ली लौटेगी AAP!
Gujarat Election SWOT Analysis
Gujarat Election: गुजरात इलेक्शन की तारीखों का ऐलान हो चुका है और सारी राजनीतिक पार्टियां जोरों सोरों से लग गई हैं। इस बार तो आम आदमी पार्टी भी गुजरात (Gujarat Election) में दिलचस्पी दिखा रही है और जनता को एक से एक लुभावने वादे कर अपनी ओर बुलाने की कोशिश कर रही SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? है। कांग्रेस, आप के साथ ही हर विपक्षी पार्टियों का एक ही मकसद है बीजेपी को हराना। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार गुजरात चुनाव (Gujarat Election) का रिजल्ट 8 दिसंबर को आयेगा। इस बार कांग्रेस के साथ आप भी पूरी कोशिश में है बीजेपी को उखाड़ फेंकने में। जिसके चलते ये चुनाव दिलचस्प होता नजर आ रहा है। बीजेपी पिछले 27 सालों से राज्य में राज कर रही है।
इस बार आसान नहीं होगा बीजेपी के लिए
BJP बीते 27 सालों से राज्य में सत्ता में है। इस चुनाव में वह इस सफर को 32 सालों के आंकड़े तक ले जाना चाहेगी। हालांकि, राज्य में लगातार 7वीं जीत एकदम आसान नहीं होगी। गुजरात चुनाव SWOT (स्ट्रेंथ, वीकनेस, ऑपोर्च्युनिटीस, थ्रेट्स) ने एनालिसिस तैयार किया है। जिसमें बताया गया है कि, कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी और साथ ही कमजोरियां और उसके लिये खतरे क्या-क्या होंगे।
दो चरण में होंगे मतदान
गुजरात में 182 सीटों वाली विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीटों पर वोटिंग 1 दिसंबर को होगी। जबकि, मतदाता दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डालेंगे। मतगणना हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को होगी। पहाड़ी राज्य में 12 नवंबर को मतदान होगा।
पार्टी के सामने क्या होंगे खतरे
सबसे पहले बीजेपी के सामने आने वाले खतरों के बारे में बात करते हैं।
– पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा हाल ही में मोरबी में हुआ पुल हादसा है। जो बीजेपी पर असर डाल सकता है।
– खबरें हैं कि मजबूत केंद्रीय नेतृत्व के चलते भाजपा में आंतरिक कलह अब तक छुपी हुई है, लेकिन हार की स्थिति में दरारें खुलकर सामने आ सकती हैं।
– अगर हालात हंग असेंबली के बनते हैं तो पार्टी को राज्य में बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन के साथी को खोजने में मुश्किलें हो सकती हैं।
– AAP कुछ जगहों पर सीटों जीतती है तो फिर BJP के सामने नई चुनौतियां आ सकती हैं। वैसे भी साल 2002 से भाजपा का सीटों का आंकड़ा लगातार गिर रहा है।
BJP की ये हैं कमजोरियां
अब गुजरात में बीजेपी की कमजोरियों के बारे में बात करें तो, कहा जा रहा है कि- भाजपा के पास ऐसा कोई दिग्गज नेता मौजूद नहीं है, जो पीएम मोदी की जगह ले सके
– पीएम मोदी 13 सालों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे, उनके बाद गुजरात में अबतक 3 मुख्यमंत्री बने।
– आप और कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार के आरोपों का भी असर पड़ सकता है।
– साथ ही महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक तनाव के चलते भी बीजेपी को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
BJP की गुजरात में ताकत
– गृहराज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी भाजपा के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है।
– साल 2017 में कोटा आंदोलन के दौरान पाटीदार समुदाय की तल्खी का सामना कर चुकी भाजपा इस बार समुदाय के साथ संपर्क पर भी भरोसा कर रही है। इसमें भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना और आंदोलन के बड़े चेहरे रहे हार्दिक पटेल को पार्टी में लाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
– गुजरात में चुनाव की तैयारियां भाजपा के पक्ष में काम कर सकती हैं। खबर है कि पार्टी बूथ स्तर से संगठन तक मजबूत है।
– सत्तारूढ़ दल हिंदुत्व, विकास और ‘डबल इंजन’ के विकास के मुद्दे पर गुजरात में मजबूत दावेदारी पेश कर रहा है।
विपक्ष के चलते BJP को मिलेगा मौका
– रिसर्च के मुताबिक गुजरात में कमजोर विपक्ष के चलते भाजपा को लगातार 7वीं जीत हासिल हो सकती है।
– रिपोर्ट की माने तो राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रहे कांग्रेस के नेता अभियान से गायब हैं।
– कई तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में जुटे हुए हैं।
युवाओं को भाजपा जिला अध्यक्ष बनाने के निर्णय का 'स्वॉट अनालिसिस'
प्रवेश गौतम। हाल ही में मप्र भाजपा ने दो दर्जन जिला अध्यक्षों की घोषणा की, जिनमें से दो को छोड़कर ज्यादातर युवा हैं। इन नियुक्ति के साथ ही मप्र भाजपा ने भविष्य को लेकर संकेत दे दिया है कि प्रदेश को उन नेताओं की आवश्यकता है जो पार्टी को अगले 15 से 20 वर्ष तक कुशल नेतृत्व, जमीनी संघर्ष और आम कार्यकर्ता से लगातार संपर्क स्थापित भी कर सकें। हालांकि उक्त नियुक्तियों से भाजपा के कई दिग्गज नेताओं में असंतोष भी व्याप्त है। ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नए नियुक्त हुए इन अध्यक्षों को दिग्ग्जों का साथ व मार्गदर्शन न मिले। पार्टी के आलाकमान व प्रदेश अध्यक्ष भी इस बात से अनभिज्ञ नहीं है। इसको देखते हुए संभव है कि पार्टी ने नव नियुक्त अध्यक्षों को पावर बूस्टर शॉट देने की तैयारी भी कर ली हो। पार्टी यदि ऐसा नहीं करती है तो संभव है कि नया प्रयोग असफल भी हो जाए। बहरहाल कई राजनीतिक बुद्धिजीवियों ने इस नई नीति को लेकर विचार करना भी प्रारंभ कर दिया है।
किसी भी नई नीति का निर्धारण करने से पहले उसका अध्ययन आवश्यक होता है, जिसे मैनेजमेंट की भाषा में 'स्वॉट (SWOT) अनालिसिस' कहते हैं। स्वॉट अनालिसिस एक प्रकार से आत्मविश्लेषण करने की तकनीक है, जिसे बड़ी बड़ी संस्थाओं द्वारा अकसर किया जाता है। इसमें लिए जाने वाले निर्णय या नीति के संबंध में उससे जुड़े चार पहलुओं पर विचार किया जाता है जिसमें S का मतलब है स्ट्रेंथ (ताकत), W का मतलब है वीकनेस (कमजोरी, अवगुण), O का मतलब है अपॉर्चुनिटी (सुअवसर) एवं T का मतलब है थ्रेट (बाधाएं)। युवाओं को मौका देने के पार्टी के इस निर्णय व नीति को समझने का प्रयास करते हैं।
S — स्ट्रेंथ अर्थात ताकत:
मप्र भाजपा के इस निर्णय से पार्टी की ताकत बढ़ने का पूरा अनुमान है। युवा अध्यक्ष जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ सहजता से जुड़े होते हैं। दिग्गज नेताओं, पार्टी आलाकमान, संगठन पदाधिकारियों और आम कार्यकर्ताओं के बीच सेतु का काम करते हैं। जमीनी मुद्दों और समस्याओं को निपटाने के लिए बड़े ब़डे नेताओं को इन्हीं की आवश्यकता होती है। युवा होने के कारण यह नए बदलाव व नई तकनीक को सहजता के साथ अपना लेते हैं।
W — वीकनेस अर्थात् कमजोरी:
युवा होने के लाभ हैं तो कुछ कमजोरियां भी होती हैं। इनमें प्रमुख है कम अनुभव के कारण नीतिगत निर्णय लेने में निपुण न होना। विषम परिस्थितियों में धैर्य धारण करने की संभावना भी कम होती है। ज्यादा प्रखर होना कभी कभी हानि भी पहुंचा सकता है। किन्तु इन कमजोरियों को दूर करने के लिए पार्टी में मागदर्शक मंडल भी होता है।
O — अपॉर्चुनिटी अर्थात सुअवसर:
पार्टी के लिए युवाओं को मौका देना एक प्रकार से सुअवसर भी है। चूंकि यह युवा SWOT विश्लेषण की तैयारी कैसे करें? हैं और राजनीतिक पारी काफी लंबी है, इसलिए पार्टी को आगामी पंद्रह से बीस वर्षों तक सक्रिय नेता के रुप में लाभ प्रदान करने में सहायक हो सकते हैं। इससे आने वाले समय में पार्टी के पास नेतृत्व क्षमता वाले नेताओं की कमी नहीं होगी। प्रदेश में 15 वर्षों तक लगातार सत्ता में रही पार्टी के कई नेता अब 60 वर्ष से उपर के हैं। इनका राजनीतिक भविष्य अब ज्यादा लंबा नहीं है। साथ ही कुछ पुराने नेताओं ने अपने अपने गुट भी बना लिए हैं। जिसका नुकसान पार्टी को आगे आने वाले समय में उठाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए युवाओं को मौका देने से पार्टी को भविष्य के लिए कई विकल्प भी मिलेंगे, जो गुटबाजी करने वाले नेताओं से टक्कर ले सकेंगे व पार्टी को नई उंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
T — थ्रेट अर्थात् बाधाएं व खतरा:
पार्टी के इस निर्णय से कई नेता असहज भी हुए हैं। पूरी संभावना है कि ऐसे ही नेता पार्टी के इस निर्णय के लिए खतरा साबित हों। इसके अलावा पार्टी के वो दिग्गज भी एक प्रकार से खतरा साबित होंगे जो अपने पुत्र मोह के चलते जिलों में किसी होनहार व लायक युवा नेता को आगे आने नहीं दे रहे हैं। वहीं विपक्ष ऐसे नेताओं का बाहें फैलाकर स्वागत करने को आतुर है। पार्टी ने इस खतरे को पहचान कर दूर करने के लिए भी कोई न कोई रणनीति अवश्य बनाई होगी।
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