Science and Technology Current Affairs from 19 Dec to 25 Dec 2022: Check the Latest News Here

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  • Scientists fabricate rare earth-free magnets
  • NASA’S Mars rover Perseverance to begin dropping samples of rock

Science and Technology Current Affairs from 19 Dec to 25 Dec 2022

Weekly Science and Technology Current Affairs from 19th Dec to 25th Sept 2022 are given below.

Scientists fabricate rare earth-free magnets

  • Scientists have fabricated improved low cost heavy rare earth-free high Nd-Fe-B magnets, which are in high demand for Electric Vehicles and can make them more affordable.
  • More than 90% of EVs use brushless DC (BLDC) motors made up of rare earth Neodymium Iron Boron (Nd-Fe-B) magnets.
  • Nd-Fe-B magnets used in EVs operate at high temperatures of 150 – 200 o C.

NASA’S Mars rover Perseverance to begin dropping samples of rock

  • NASA’s Mars rover Perseverance will begin dropping samples of rock onto the surface of the Red Planet in Dec 2022.
  • The materials have been packaged in titanium tubes.
  • It is a major milestone in the quest to find out if there is life on Mars.
  • Perseverance will place 10 cylinders on the ground at its exploration site in Jezero Crater.
  • There will also be examples of Martian soil and air.

Science and Technology Current Affairs In Hindi from 19 Dec to 25 Dec 2022

वैज्ञानिकों ने बनाए रेयर अर्थ-फ्री मैग्नेट

  • वैज्ञानिकों ने उन्नत कम लागत वाले हैवी रेयर अर्थ-फ्री हाई Nd-Fe-B मैग्नेट तैयार किए, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है और इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक किफायती बनाने में मदद मिल सकती है।
  • 90% से अधिक EV, रेयर अर्थ नियोडिमियम आयरन बोरोन (Nd-Fe-B) मैग्नेट से बने ब्रशलेस DC (BLDC) मोटर्स का उपयोग करते हैं।
  • EVs में प्रयोग होने वाले Nd-Fe-B मैग्नेट, 150-200 तकनीकी विश्लेषण हिंदी तकनीकी विश्लेषण हिंदी o C के उच्च तापमान पर काम करते हैं।

NASA का मार्स रोवर ‘पर्सीवरेंस’ चट्टान के नमूनों को मंगल ग्रह की सतह पर रखेगा

  • NASA का मार्स रोवर ‘पर्सीवरेंस’ दिसंबर 2022 में लाल ग्रह की सतह पर चट्टान के नमूने रखना शुरू कर देगा।
  • नमूनों को टाइटेनियम ट्यूबों में पैक किया गया है।
  • मंगल ग्रह पर जीवन के बारे में पता लगाने की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि है।
  • ‘पर्सीवरेंस’ जेजीरो क्रेटर में अपने अन्वेषण स्थल पर 10 सिलेंडर को जमीन पर रखेगा।
  • मंगल की मिट्टी और हवा के नमूने भी होंगे।

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अब मध्यप्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी : शिवराज

अब मध्यप्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी : शिवराज

मध्यप्रदेश में विज्ञानं प्रौद्योगिकी और नवाचार निति के विमोचन के बाद, मुख्यमंत्री 'शिवराज सिंह चौहान' ने उम्मीद जताई है की "अब प्रदेश की पहचान 'तकनिकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी।" उन्होंने कहा कि, "पहले मध्यप्रदेश को कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में जाना जाता था।" आगे मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, "इस नीति के प्रमुख तीन उद्देश्य हैं : वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाना, सरकार और समाज में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना तथा नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने तकनीकी विश्लेषण हिंदी वाली पीढ़ी का निर्माण करना।"

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में राज्य नवाचार कोष की स्थापना की जायेगी। भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने में विज्ञान और तकनीकी का पूरा उपयोग किया जायेगा। मध्यप्रदेश आध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। भारतीय कैलेंडर अधिक सटीक और वैज्ञानिक है। मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर प्राचीन काल-गणना का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है।

इस मौके पर आईआईटी गांधीनगर और मध्यप्रदेश शासन के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। आईआईटी इंदौर से भी एमओयू हुआ। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने तकनीकी विश्लेषण हिंदी कहा कि नये प्रयोगों से जन-सामान्य को सुविधाएं पहुंचाई जा रही है। गांव-गांव तक विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के हर व्यक्ति का जीवन आनंदमय हो, इसके लिये मुख्यमंत्री चौहान लगातार प्रयासरत हैं। आने वाली पीढ़ी को टेक्नालॉजी के माध्यम से अच्छा वातावरण दे सकते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में टेक्नालॉजी और नवाचार से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है। यह नीति मुख्यमंत्री चौहान के विजन को प्रस्तुत करती है। अधिकाधिक छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढ़ाई को चुनेंगे। निवेश, रोजगार बढ़ेगा और अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होगी। प्रो. रजत मोना ने कहा कि, आज हम मध्यप्रदेश शासन के साथ एमओयू साइन कर रहे हैं, जिससे सेन्टर फॉर केपेसिटी बिल्डिंग की स्थापना होगी। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि, यह पालिसी यूनिक है, जो बहुत कम स्टेट में है। इससे बहुत प्रभाव पड़ेगा। मध्यप्रदेश की साइंस इकोसिस्टम को सु²ढ़ करेगी। पॉलिसी महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है, जो सराहनीय है।

अटल बिहारी वाजपेयी नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुवेर्दी ने कहा कि प्रदेश के लिए यह पॉलिसी महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान की भूमिका में साइंस एवं टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मध्यप्रदेश में डिजिटल टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश तीसरा राज्य बन गया है।

पद्मविभूषण विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि साइंस टेक्नोलॉजी को हम महसूस कर रहे हैं। हमारे जीवन में साइंस-टेक्नालॉजी से सुधार हुआ है। साइंस को समाज के साथ जोड़ कर पूरा उपयोग किया जा सकता है। समाज की प्रगति के लिए साइंस का समाज के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि इनोवेशन को आगे बढ़ायें। आज हमारी साइंस-टेक्नालॉजी को गति मिली है।

Benjamin Graham थे?

बेंजामिन ग्राहम कौन थे? [Who Was Benjamin Graham?] [In Hindi]

बेंजामिन ग्राहम एक प्रभावशाली निवेशक थे, जिनके प्रतिभूतियों (Securities) में शोध ने आज सभी बाजार सहभागियों द्वारा स्टॉक विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले गहन मौलिक मूल्यांकन की नींव रखी। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक, द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर ने Value Investing में मूलभूत कार्य के रूप में मान्यता प्राप्त की है।

बेंजामिन ग्राहम कौन थे? [Who Was Benjamin Graham?] [In Hindi]
Image Source : www.samco.in

ग्राहम का जन्म 8 मई 1984 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था, लेकिन जल्द ही एक वर्ष की उम्र में अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क चले गए। उनके पिता के निधन के बाद उनका परिवार आर्थिक रूप से विवश हो गया, अनजाने में ग्राहम को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जब वह सिर्फ 20 वर्ष के थे, सैलुटेटेरियन की उपाधि के साथ - संयुक्त राज्य भर में सभी स्नातकों के दूसरे रैंक के स्नातक को दिया जाने वाला पुरस्कार। उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के आलोक में, उन्हें गणित, अंग्रेजी और दर्शनशास्त्र पढ़ाने वाले संकाय सदस्य के रूप में कोलंबिया में शामिल होने का मौका दिया गया। ग्राहम ने हालांकि वॉल स्ट्रीट पर एक ब्रोकरेज फर्म, अर्थात् न्यूबर्गर, हेंडरसन एंड लोएब में अपने पेशेवर करियर को आगे बढ़ाने की मांग की। Benefit-Cost Ratio (BCR) क्या है?

ग्राहम ने $12 प्रति सप्ताह से शुरुआत की, लेकिन बहुत जल्दी रैंकों में ऊपर चले गए, केवल 26 साल की उम्र में साझेदारी हासिल कर ली। उन्होंने 1923 में अपनी कंपनी स्थापित करने के लिए कंपनी छोड़ दी, और अंततः 1926 में ग्राहम-न्यूमैन साझेदारी बनाने में सफलता मिली। 1928 तक, उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर की भूमिका भी निभाई, जो Finance की Night Class को पढ़ाते थे। इन सत्रों के दौरान कवर की गई सामग्री का उपयोग ग्राहम ने अपनी पहली प्रकाशित पुस्तक "सिक्योरिटी एनालिसिस" में किया था, जिस पर उनके पूर्व छात्रों में से एक डेविड डोड के सहयोग से काम किया गया था और 1934 में जारी किया गया था।

ग्राहम की पुस्तक को कट्टर निवेशकों के बीच व्यापक आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। इसने निवेशकों को उन कंपनियों के मूल्यांकन में विचार करने के कारक सिखाए जिन्हें निवेश के लिए उचित रास्ते के रूप में देखा गया था। विमोचन से पहले हुई वित्तीय दुर्घटना के बावजूद, पुस्तक में कहा गया है कि छूट पर स्टॉक खरीदना संभव था जो चयन में कुछ हठधर्मिता लागू होने पर भुगतान करेगा। बेंजामिन ग्राहम की पुस्तक को निवेश के संदर्भ बिंदु के रूप में माना जाने लगा, निवेश क्षेत्र के लिए बाइबिल समकक्ष स्थिति। वॉरेन बफेट जैसे क्षेत्र के प्रमुख पेशेवर, जो खुद ग्राहम के शिष्य थे, ने सुरक्षा विश्लेषण की शिक्षाओं पर अपने निर्णयों को आकार देकर शेयर बाजार से भारी मात्रा में नकदी बनाने में बड़ी सफलता पाने के बाद पुस्तक की प्रशंसा की।

1949 में, ग्राहम ने 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' नामक एक पुस्तक प्रकाशित की, जो वित्त की दुनिया में उतनी ही लहरें पैदा करने में कामयाब रही जितनी कि सुरक्षा विश्लेषण। इस पुस्तक ने मूल्य निवेश की अवधारणाओं को पेश किया, और शेयर बाजार के खिलाड़ियों के लिए निवेश और अटकलों की धारणाओं को अलग किया। वारेन बफेट ने इसे "अब तक लिखी गई निवेश के बारे में सबसे अच्छी किताब" कहा।

सिविल मिलिट्री इंटीग्रेशन पर हुई विस्तृत चर्चा, उच्च तकनीकी विश्लेषण हिंदी रक्षा तैयारियों पर CDS ने दिया जोर

भारतीय सेना समय-समय पर अपनी रणनीतिक तैयारियों का आकलन करती रहती है। इसी क्रम में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज ने ‘सिविल मिलिट्री इंटीग्रेशन: द वे फॉरवर्ड’ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार में भारतीय सैन्य बलों के प्रमुख (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सेना और नौकरशाही की भूमिका को अहम बताया। CDS जनरल अनिल चौहान ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में सशस्त्र बलों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उच्च रक्षा तैयारियों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ लिए जाने पर भी जोर दिया।

भारतीय सेना ने ट्वीट कर दी जानकारी

भारतीय सेना ने सेमिनार के बारे में ट्वीट कर बताया कि सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के तत्वावधान में ‘सिविल मिलिट्री इंटीग्रेशन: द वे फॉरवर्ड’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। भारतीय सेना ने ट्वीट में आगे बताया कि सेमिनार में CDS जनरल अनिल चौहान ने उद्घाटन भाषण दिया और COAS जनरल मनोज पांडे ने मुख्य भाषण दिया। इस सेमिनार का उद्देश्य नागरिक-सैन्य संबंधों की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करना और दो स्तंभों के बीच कामकाज और परिणामों में अधिक से अधिक तालमेल हासिल करने के उपायों की सिफारिश करना है।

सुरक्षा के खतरों के सही आकलन पर जोर

सेमिनार की शुरुआत करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि उच्च रक्षा तैयारियों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ लिया जाना चाहिए। सेना प्रमुख ने अपना मुख्य भाषण देते हुए कई बिंदुओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने सुरक्षा के खतरों का सही आकलन करने, महत्वपूर्ण रणनीतिक दिशा-निर्देशों और दस्तावेजों को स्पष्ट करने, सैन्य क्षमताओं की पहचान करने, सक्षम नीतियां तैयार करने और समग्र राष्ट्र के अनुरूप उपयुक्त प्रतिक्रियाओं को प्रभावी करने के लिए तालमेल बिठाने के महत्व पर बात की।

विचार-विमर्श के लिए जुटे थिंक टैंक

इस कार्यक्रम में सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के विशिष्ट प्रतिभागियों के साथ-साथ रक्षा उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के प्रतिनिधि, कई थिंक टैंक और शैक्षणिक संस्थान भाग ले रहे हैं। विचार-विमर्श के दौरान कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने नौकरशाही-सैन्य एकीकरण की बारीकियों पर चर्चा की। साथ ही यह जोर देकर कहा गया कि उच्च रक्षा तैयारियों को पूरा करने के लिए सभी सरकारी योजनाओं जैसे आत्मनिर्भरता, वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज, गति शक्ति और राष्ट्रीय रसद नीति से पारस्परिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से सभी सुरक्षा कार्यक्रमों को अलाइन किया जाना चाहिए।

नौकरशाही-सैन्य एकीकरण पर हुई चर्चा

इस सेमिनार में सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के विशिष्ट प्रतिभागियों के साथ-साथ रक्षा उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के प्रतिनिधि, कई वैचारिक मंच तथा शैक्षणिक संस्थानों ने भाग लिया। विचार-विमर्श के दौरान नौकरशाही-सैन्य एकीकरण की बारीकियों पर बातचीत हुई, जो एक राष्ट्र के रूप में भारत के व्यापक विकास के लिए अत्यधिक प्रासंगिक विषय है। सेमीनार के पहले दिन सेना से जुड़े कई जनाकरों ने सैन्य गतिविधियों पर आधारित विविध एवं उपयोगी विचार साझा किए गए।

दूसरा दिन रक्षा उद्योग पर रहा केंद्रित

इस सेमिनार का दूसरा दिन रक्षा उद्योग एकीकरण से संबंधित चर्चाओं पर आधारित रहा, जिसके लिए आपसी तालमेल के माध्यम से सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं के साथ-साथ स्वदेशी रक्षा उद्योग के हितों के तालमेल की भी जरूरत है। बेहतर सामंजस्य से ही सैन्य बलों को जरूरतों को स-समय पूरे करने में मदद मिलेगी। दूसरा दिन रक्षा उद्योग एकीकरण से संबंधित चर्चाओं में तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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