मसाला बॉन्ड – मुख्य तथ्य

मसाला बॉन्ड

2019 में, केरल लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर 2,150 करोड़ रुपये विदेशी बॉन्ड फंड के मसाला बांड जारी करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। सार्वजनिक क्षेत्र के केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) ने विदेशी बाजार में धन जुटाने के लिए बांड जारी किए थे।

इस लेख में, हम मसाला बांड की विभिन्न विशेषताओं के साथ-साथ इसके लाभ और नुकसान के बारे में और चर्चा करेंगे। आगामी आईएएस परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को इस लेख में उल्लिखित विवरणों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

मसाला बॉन्ड क्या हैं?

  • ये एक भारतीय संस्था द्वारा, भारतीय मुद्रा में भारत के बाहर जारी किए गए बॉन्ड हैं।
  • मसाला बॉन्ड के प्रमुख उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करना, आंतरिक विकास (उधार के माध्यम से) को प्रज्वलित करना और भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है।
  • किसी भी जोखिम के मामले में, निवेशक को नुकसान उठाना पड़ता है, न कि उधारकर्ता को।
  • पहला मसाला बांड 2014 में विश्व बैंक द्वारा भारत में एक बुनियादी ढांचा परियोजना के वित्तपोषण के लिए जारी किया गया था।
  • विश्व बैंक की निवेश शाखा इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) ने भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने और देश में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने के विदेशी बॉन्ड फंड लिए अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार जुटाने के लिए नवंबर 2014 में 10 साल, 10 बिलियन भारतीय रुपये के बॉन्ड जारी विदेशी बॉन्ड फंड किए।
  • मसाला बॉन्ड के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कुछ नियम और कानून स्थापित किए गए हैं:

SBI विदेशी बॉन्ड फंड विदेशी बाजारों से 15,430 करोड़ रुपये जुटाएगा, कहां करेगा फंड का इस्तेमाल ?

 सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक इस राशि का इस्तेमाल अपना विदेशी कारोबार बढ़ाने में करेगा.

सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक इस राशि का इस्तेमाल अपना विदेशी कारोबार बढ़ाने में करेगा.

एसबीआई के निदेशक मंडल ने चालू वित्त वर्ष में विदेशी बाजारों से बांड के जरिये दो अरब डॉलर या 15,430 करोड़ रुपये जुटाने . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 10, 2022, 21:41 IST

नई दिल्ली . भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के निदेशक मंडल ने चालू वित्त वर्ष में विदेशी बाजारों से बांड के जरिये दो अरब डॉलर या 15,430 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दे दी है. सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक इस राशि का इस्तेमाल अपना विदेशी कारोबार बढ़ाने में करेगा. एसबीआई ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि उसके निदेशक मंडल ने विदेशी बॉन्ड फंड एक या कई किस्तों में कोष जुटाने की मंजूरी दे दी है.

जनवरी 2021 में, इस बैंकिंग दिग्गज ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को दिए गए रिकॉर्ड लो कूपन पर 4600 करोड़ रुपए जुटाए थे. इसने साढ़े पांच साल की अवधि के बांड 1.8 प्रतिशत के कूपन पर बेचे, जो कथित तौर पर इस श्रेणी में किसी भी भारतीय उधारकर्ता द्वारा सबसे कम रेट था. इसने बांड बिक्री के लिए 2 अरब डॉलर की बोलियां प्राप्त की थी.

क्या होते हैं Green Bond?, बजट में हुआ था ऐलान, अब मंजूरी देने की तैयारी

ग्रीन बॉन्ड की रूपरेखा तैयार, सरकार जल्द दे सकती है मंजूरी

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 10 नवंबर 2022, 1:38 PM IST)

केंद्र सरकार जल्द ही मंजूरी देते हुए ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) जारी कर सकती है. वित्त मंत्रालय ने सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की रुपरेखा तैयार कर ली है. सरकार की योजना इस वित्त वर्ष की दूसरी छिमाही में 16,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने की है. इसका उपयोग कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद विदेशी बॉन्ड फंड करने वाली परियोजनाओं में किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने बजट में किया था ऐलान
Green Bond लाने का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस वित्त वर्ष के अपने बजट भाषण के दौरान किया था. यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए उधारी कार्यक्रम का विदेशी बॉन्ड फंड एक हिस्सा है. पीटीआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि रूपरेखा तैयार है और इसे जल्द ही मंजूरी दी जा सकती है. इससे जुटाई गई रकम का इस्तेमाल उन सरकारी क्षेत्र की परियोजनाओं में होगा, जो अर्थव्यवस्था में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करने वाली हैं.

Bond market: विदेशी बाजार में बढ़ेगी भारतीय बॉन्ड की पहुंच

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोविड-19 महामारी के बीच खर्चे पूरे करने के लिए 12 लाख करोड़ जुटाने की तैयारी में लगी सरकार की राह आसान हो सकती है। भारत अक्तूबर तक वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में शामिल हो जाएगा, जिससे भारतीय बॉन्ड के लिए पहली बार दुनिया के शीर्ष बेंचमार्क के रास्ते भी खुल जाएंगे। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारत 2019 से ही वैश्विक बॉन्ड सूचकांक मेें शामिल होने की कोशिश कर रहा था, ताकि विदेशी बाजारों से बॉन्ड के जरिए फंड जुटाना आसान हो जाए। वैसे तो उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में भारत का बॉन्ड बाजार सबसे बड़ा है।

भारत का बॉन्ड बाजार अभी करीब 800 अरब डॉलर का है, लेकिन विदेशी निवेशकों के कई प्रतिबंधों की वजह से इन्हें दुनिया के शीर्ष बेंचमार्क में शामिल नहीं किया जाता। विदेशी बॉन्ड फंड अगर अक्तूबर तक वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में भारत शामिल होता है, तो जेपी मॉर्गन और ब्लूमबर्ग बार्कलेज जैसी बड़े सूचकांक से अनुमति मिल जाएगी। इससे सरकार के लिए 165.24 अरब डॉलर के बॉन्ड से सस्ता कर्ज जुटाना विदेशी बॉन्ड फंड आसान हो जाएगा। हालांकि, पूंजी जुटाने का काम सूचकांक पर पंजीकरण के 12 महीने बाद शुरू हो जाएगा।

विदेशी निवेशकों के लिए बॉन्ड में निवेश की सीमा ‌1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ेगी!

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मार्केट जानकारों ने बताया कि विदेशी निवेशकों विदेशी बॉन्ड फंड को सॉवरन बॉन्ड में 5 पर्सेंट तक निवेश करने विदेशी बॉन्ड फंड की इजाजत है और वे इस सीमा का पहले ही इस्तेमाल कर चुके हैं। बॉन्ड यील्ड के अट्रैक्टिव होने के साथ उन्हें और 2.5 पर्सेंट यानी 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने की इजाजत इस साल दी जा सकती है। अभी उन्होंने 1.86 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हुए हैं। विदेशी निवेशकों के पास इंडोनेशिया, मलयेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे इमर्जिंग मार्केट्स में सॉवरन बॉन्ड में 30-40 पर्सेंट निवेश करने की इजाजत मिली हुई है। हाल में भारत ने दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज अर्थव्यवस्था का खिताब चीन से छीन लिया है। इसलिए बॉन्ड मार्केट में सुधार करने का यह सही समय है।

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