Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: July 29, 2022 18:56 IST

Editors Take: अमेरिकी बाजार में क्यों आई सबसे बड़ी गिरावट? कौन से शेयर खरीदें और भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश किससे बचें जानिए अनिल सिंघवी से

अमेरिकी बाजार में क्यों आई सबसे बड़ी गिरावट? बाजार में लगातार 1000 अंकों का उतार-चढ़ाव क्यों? Nasdaq में क्या हो रहा है? IT और भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश मेटल शेयरों में क्या करें? बैंकिंग और ऑटो शेयरों में क्या करने की सलाह? जानिए अनिल सिंघवी से.

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकते हैं.

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

जबरदस्त रिटर्न के लिए अच्छी और मुनाफा बनाने वाली कंपनी की तलाश हर निवेशक को होती है. हो सकता है ऐसे में आपका मन टेस्ला, अमेजन या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनी पर आया हो जो भारतीय बाजार नहीं बल्कि US के बाजार में निवेश के लिए मौजूद है. आइए ऐसे में समझते हैं एक भारतीय निवेशक के लिए अमेरिकी बाजार में निवेश से जुड़े विभिन्न पहलुओं को-

अमेरिका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स अप्रैल में पहली बार 4,000 का स्तर पार कर गया.

कितना बड़ा है US स्टॉक मार्केट?

अमेरिकी शेयर बाजार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है. US के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक में अमेजन, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इत्यादि विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं. अमेरिकी बाजार से जुड़े विभिन्न इंडेक्स जैसे S&P 500 इंडेक्स, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्सों का इस्तेमाल निवेशकों की दृष्टि से US और विश्व की अर्थव्यस्था को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी इनकी दिशा का बड़ा असर होता है. दूसरे देशों की कंपनियां भी विभिन्न वजहों से अपनी लिस्टिंग US बाजार में करवाती है.

निवेश के क्या हो सकते हैं फायदे?

निवेशक हमेशा रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर और अलग अलग तरह के स्टॉक्स रखना चाहते हैं. इस दृष्टि से किसी भी बाहरी बाजार भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश में निवेश नए विकल्पों को खोल देता है. US बाजार में कई दूसरे देशों की कंपनियों भी खुद को लिस्ट करवाती है.

बीते वर्षों में अमेरिकी बाजार में भारतीय बाजार की तुलना में कम वोलैटिलिटी देखी गई है. काफी बार रिटर्न के मामले में भी US के बाजार का प्रदर्शन भारतीय बाजार से बेहतर रहा है. रुपये के डॉलर की तुलना में कमजोर होने का भी निवेशकों को फायदा मिल सकता है.

स्टार्टअप हब होने के कारण US में अच्छी क्षमता वाली कंपनियों में शुरुआत में निवेश का मौका होता है. इसी तरह भारत या अन्य बाजारों में कई बड़ी कंपनियों की सब्सिडियरी लिस्ट होती है जबकि US बाजार में सीधे निवेश से ज्यादातर ऐसी कंपनियों में आसानी से निवेश कर सकते हैं.

कैसे कर सकते हैं निवेश शुरु?

US बाजार में निवेश के दो रास्ते हैं.

पहला तरीका सीधे निवेश का है. इसमें निवेशक भारतीय बाजार की तरह ही ब्रोकर के साथ रजिस्ट्रेशन कर स्टॉक्स में खरीद बिक्री कर सकता है. आजकल भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं. निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ भी बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

दूसरा तरीका म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश का हो सकता है. भारत में अनेकों म्यूचुअल फंड US बाजार आधारित फंड चलाते हैं. ऐसे फंड या तो सीधा अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं या ऐसे बाजारों से जुड़े दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इस प्रक्रिया में किसी अलग तरह के रजिस्ट्रेशन और बाजार के गहरी समझ की जरूरत नहीं है.

भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश

औसत भारतीय (Indian) को अमेरिका तो लुभाता ही है, यहां के निवेशकों को अमेरिकी शेयर बाजार (US Stock Market) आकर्षित करता है। अब, भारत के खुदरा निवेशक (Reatil Investors) भी यूएस स्टॉक्स (US Stocks) में निवेश कर सकेंगे। इसके लिए एक्सिस सिक्योरिटीज (Axis Securities) ने एक ऑनलाइन निवेश प्‍लेटफॉर्म, वेस्‍टेड फाइनेंस (Vested Finance) के साथ साझेदारी की है।

अमेरिकी स्टॉक में करें निवेश एक डॉलर से

अमेरिकी स्टॉक में करें निवेश एक डॉलर से

हाइलाइट्स

  • शून्‍य ब्रोकरेज फीस के साथ यूएस स्‍टॉक्‍स में असीमित ट्रांजेक्‍शंस कर सकेंगे भारतीय निवेशक
  • एक से भी कम शेयर में निवेश करने की सुविधा
  • ऐमजॉन, गूगल या बर्कशायर हैथवे जैसे ऊंची कीमतों वाले शेयर्स में भी न्‍यूनतम $1 से निवेश शुरू कर सकते हैं
  • प्रोफेशनल्‍स द्वारा तैयार किये गये पोर्टफोलियोज और स्‍टॉकस व ईटीएफ के थीम-आधारित बास्‍केट्स में मिलेगा निवेश का मौका

कुछ क्लिक में हो जाएगा यूएस स्टॉक में निवेश
अब निवेशक मात्र कुछ ही क्लिक्‍स में फेसबुक, एप्‍पल, नेटफ्लिक्‍स, गूगल व अन्‍य कंपनियों के शेयर्स की खरीद/बिक्री कर सकते हैं; या थीम-आधारित बाजारों या ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। विशाल वैश्विक बाजार की आसान उपलब्‍धता के साथ, निवेशक न केवल भौगोलिक डाइवर्सिफिकेशन का लाभ ले सकते हैं बल्कि अपने पोर्टफोलियो को एक देश और एक मुद्रा के जोखिम से बचा सकते हैं। यह विशिष्‍ट समाधान, प्रोफेशनल्‍स द्वारा तैयार किये गये पोर्टफोलियो और थीम-आधारित स्टॉक्‍स व ईटीएफ उपलब्‍ध कराता है, जिसे लेने से लेकर फंड ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया डिजिटल है और भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश इस प्रकार, यह सुनिश्चित करता है कि ग्‍लोबल इन्‍वेस्टिंग #सिम्‍पल है।

शून्य ब्रोकरेज शुल्क पर करें निवेश
ग्‍लोबल इन्‍वेस्टिंग के जरिए एक्सिस सिक्‍योरिटीज के ग्राहक शून्‍य ब्रोकरेज शुल्‍क पर यूएस स्‍टॉक बाजारों में निवेश कर सकते हैं। प्रीमियम प्‍लान के साथ, निवेशक कई सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं जैसे - नि:शुल्‍क खाता खोलना, शून्‍य ब्रोकरेज, और एक वर्ष के लिए नि:शुल्‍क निकासी व अन्‍य सुविधा।

एक डॉलर से शुरू कीजिए निवेश
इस प्‍लेटफॉर्म के जरिए निवेशक फ्रेक्शनल इंवेस्टिंग की सुविधा का लाभ उठा कर एक से भी कम स्‍टॉक में निवेश कर ऊंची कीमतों वाले शेयर्स में न्‍यूनतम $1 (डॉलर) से निवेश शुरू कर सकते हैं। इस प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से, ग्राहक 1,000 से अधिक स्‍टॉक्‍स व ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं और उसे मैनेज कर सकते हैं। प्रोफेशनल्‍स द्वारा तैयार किये गये मॉडल पोर्टफोलियोज व थीम-आधारित बास्‍केट्स में निवेश के लिए अतिरिक्‍त सुविधा भी है।

निवेशकों का रूझान इंटरनेशनल स्टॉक्स में बढ़ा
एक्सिस सिक्‍योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, बी गोपकुमार का कहना है कि भारत में अंतर्राष्‍ट्रीय निवेशों की मांग काफी बढ़ी है और विशेषकर टेक-सेवी मिलेनियल्‍स ने इंटरनेशनल स्‍टॉक्‍स में निवेश पर रूचि दिखाई है। उनके ग्‍लोबल इन्‍वेस्टिंग का उद्देश्‍य निवेशकों को दुनिया के सबसे इनोवेटिव कंपनियों व बिजनेसेज का शेयरधारक बनाना है। विशेष प्रकार से तैयार किये गये इन्‍वेस्‍टमेंट पोर्टफोलियोज, थीम-आधारित बास्‍केट्स व रिसर्च एडवायजरी के जरिए, उन्हें उम्‍मीद है कि इंटरनेशनल स्‍टॉक्‍स में निवेश आसान हो जायेगा और उन्‍हें सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

ग्लोबल ट्रेडिंग के द्वार खुलेंगे
वेस्‍टेड फाइनेंस के सह-संस्‍थापक एवं मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, विरम शाह का कहना है कि इस साझेदारी से भारतीय खुदरा निवेशकों का दायरा बढ़ेगा। ऐसा देखा गया है कि अब उनकी रूचि दीर्घकालिक निवेश हेतु भौगोलिक रूप से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने में है। उन्हें दृढ़ विश्‍वास है कि इस प्‍लेटफॉर्म से अनेक भारतीय निवेशकों के लिए ग्‍लोबल ट्रेडिंग के द्वार खुलेंगे। इस प्रोडक्‍ट से विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश को सीधे यूएस स्‍टॉक बाजार में निवेश करने की असाधारण क्षमता प्राप्‍त होगी।

US Fed Rate Hike: अमेरिका की 'छींक' न कर दे भारत को 'बीमार'! जानिए US Fed की ब्याज दरों में वृद्धि का भारत पर पड़ेगा क्या असर?

भारत में जैसे केंद्रीय बैंक 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है(Reserve Bank Of India)' वैसे ही अमेरिका के केंद्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) है। अमेरिका इस समय महगांई की मार झेल रहा है। वहां खुदरा महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर जा भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश चुकी है।

Vikash Tiwary

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: July 29, 2022 18:56 IST

Inflation- India TV Hindi

Photo:INDIAN GOV Inflation

Highlights

  • अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की
  • अमेरिका में महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर
  • जुन में अमेरिका की खुदरा महंगाई दर 9.1% रही, जबकी भारत में 7.01%

भारत(India) के बिजनेस जगत में एक कहावत काफी फेमस है कि अमेरिका(America) को छींक भी आती है तो भारत को बुखार आ जाता है। दरअसल, अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अमेरिका में बढ़ती महगांई पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। आज हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि अमेरिका ब्याज दरें क्यों बढ़ा रहा है? और उससे भारत को कितना नुकसान होगा? क्या इससे भारतीय रुपये में भी कमजोरी देखने को मिलगी? और भारत इस बुखार से निपटने के लिए कितना तैयार है?

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से घरेलू शेयर बाजार में शुरुआती गिरावट, सेंसेक्स 50 अंक लुढ़का

शेयर बाजार की बढ़त के साथ हुई शुरुआत, सेंसेक्स 70 अंक उछला, निफ्टी के 50 में से 38 शेयरों में खरीदारी

सीमित दायरे में कारोबार भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने के बाद सेंसेक्स 19 अंक गिरकर 31056 पर बंद, अबन ऑफश्योर समेत ये शेयर 10% तक उछले

भारतीय समय अनुसार रात 2 बजे फेड का फैसला आएगा, 30 भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश मिनट बाद जेरोम पॉवेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस

अमेरिका में महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर

भारत में जैसे केंद्रीय बैंक 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(Reserve Bank Of India)' है वैसे ही अमेरिका के केंद्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) है। अमेरिका इस समय महगांई की मार झेल रहा है। वहां खुदरा महंगाई 42 साल के शीर्ष भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश स्तर पर जा चुकी है। इस पर काबू पाने के लिए Fed लगातार ब्याज दरें बढ़ाने में लगा हुआ है। इससे पहले हुई बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50% की बढ़ोतरी की थी, लेकिन उससे महंगाई पर काबू पाने के बजाय और तेजी आती दिखी। जब महंगाई बढ़ने लगती है तब इसका असर सीधा सप्लाई चेन पर पड़ता है। और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। एक्सपर्ट पहले ही ये अनुमान लगा रहे थे कि फेड ब्याज दर में 0.75 फीसदी की और बढ़ोतरी कर सकता है।

भारत को इससे कितना नुकसान?

भारत को इंटरनेशनल लेवल पर बिजनेस करने के लिए डॉलर की जरूरत होती है। कुछ देश भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश को छोड़ दिया जाए तो विश्व के लगभग सभी देश भारत से डॉलर में ही सामान का आयात-निर्यात करते हैं। इसलिए भारत को डॉलर में व्यापार करने के लिए भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश उसके मुद्रा भंडार में डॉलर का होना बेहद जरूरी हो जाता है। भारत के पास डॉलर या तो विदेशी निवेशक जब निवेश कर भारत में व्यापार करते हैं तब आता है जिसे (Foreign direct investment) FDI कहा जाता है या कोई भारतीय नागरिक विदेश से डॉलर कमा कर घर पैसा भेजता है। या जब कोई विदेशी निवेशक शेयर बाजार या बांड बाजार में निवेश करता है। उसे एफआईआई(Foreign Institutional investment) कहते हैं। अगर कोई इन्वेस्टर FII के जरिए पैसा लगाता है तो उसे आसानी से निकाल सकता है, और विदेशी बाजार में निवेश कर मोटा मुनाफा कमा सकता है। क्योंकि शेयर मार्केट में लगाया पैसा आदमी जब चाहे तब आसानी से निकाल सकता है। और भारत से सबसे ज्यादा जो निवेशक पैसा निकाल रहे हैं। उन्होनें भारत में एफआईआई के जरिए निवेश किया हुआ है। इसका सीधा असर भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा।

अब चूंकि अमेरिका ब्याज दर बढ़ा रहा है तो निवेशक को अमेरिका में पैसे कमाने के रास्ते दिखने लगे हैं। उनके लिए वहां पैसा लगाना आसान भी है क्योंकि अमेरिका की करेंसी भी डॉलर है। यानि आप डॉलर में इंवेस्ट कीजिए और डॉलर में ही मुनाफा कमाइए। वहीं अगर वे भारत में पैसा निवेश करते हैं तो उन्हें डॉलर से रुपये में करेंसी को बदलना होगा। फिर वो रुपये में यहां कारोबार कर सकेंगे। एक तरफ रुपये की वैल्यू भी गिर रही है, इसलिए उन्हें अमेरिका में सभावनाएं ज्यादा दिखती नजर आ रही है। ब्याज दर बढ़ने से अमेरिका में कर्ज महंगे होंगे, और बड़े निवेशकों को इससे मोटा मुनाफा कमाने को मिलेगा।

अमेरिकी Fed के फैसले के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आगामी तीन से पांच अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट बढ़ने की आशंका है। अगर भारत में भी रेपो रेट बढ़ा दिया जाता है तो इससे देश में कर्ज महंगे हो जाएंगे। नागरिकों को EMI ज्यादा देना पड़ेगा।

क्या भारतीय रुपया इससे कमजोर होगा?

भारतीय रूपये की मजबुती उसके मुद्रा भंडार में जमा डॉलर और बाजार तय करते हैं। अमेरिका ने जब से ब्याज दर बढ़ाई है। विदेशी निवेशक जिनका भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा है। वह पैसा निकालकर अमेरिका ले जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें वहां ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इसका सीधा असर आने वाले समय में भारतीय रूपया पर देखने को मिलेगा। इससे शेयर बाजार में भी काफी गिरावट दिखेगी। भारत कच्चा तेल का 80% इंपोर्ट करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर से अधिक चल रही है। यानि हमें तेल खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर चुकाना पड़ रहा है। यह डॉलर तेल कंपनियों को बाजार से खरीदना पड़ता है। एक तरफ विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालना और दूसरी तरफ बढ़ती डॉलर की मांग रूपये को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभा रही है।

भारत इससे निपटने के लिए तैयार है?

जुन में अमेरिका की खुदरा महंगाई दर 9.1% है, जबकी भारत में 7.01% है। जो पिछले महीने यानि मई से 0.03% कम है, जबकी अमेरिका में मई महीने में 8.6 फीसदी महंगाई दर थी। जो कि जुन में और बढ़ गई। अमेरिका की तुलना में देखा जाए तो भारत में महंगाई दर कम है लेकिन भारत की करेंसी अमेरिका की डॉलर से काफी कमजोर है। भारत अगर अपनी निर्भरता डॉलर से कम करना शुरू कर दे तो रुपये में हो रही गिरावट और बढ़ रही महंगाई पर कुछ हद तक लगाम लगाया जा सकता है। लेकिन निकट भविष्य में ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

भारत में बैठकर अमेरिकी कंपनियों में कीजिए निवेश: ICICI प्रूडेंशियल फंड का नैस्डैक 100 इंडेक्स फंड लॉन्च, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और एपल के शेयर्स में होगा निवेश

देश की लीडिंग म्यूचुअल फंड कंपनी ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने नैस्डैक 100 इंडेक्स फंड लॉन्च किया है। यह एक ओपन एंडेड इंडेक्स फंड है। यह फंड वैश्विक स्तर पर 100 बड़ी नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों में निवेश का अवसर प्रदान करेगा। यह नैस्डैक 100 इंडेक्स के रिटर्न को ट्रैक करेगा।

11 अक्टूबर को बंद होगा ऑफर

यह नया फंड ऑफर (NFO) 27 सितंबर से खुला है और 11 अक्टूबर को बंद होगा। इसमें आप कम से कम एक हजार रुपए का निवेश कर सकते हैं। इस फंड के जरिए आप दुनिया की टॉप कंपनियों जैसे फेसबुक, एपल, माइक्रोसॉफ्ट, एडॉब और अन्य कंपनियों के शेयर्स में निवेश कर सकते हैं। नैस्डैक अमेरिकी शेयर बाजार का इंडेक्स है। इसका मतलब यह हुआ कि आप अगर इस फंड में निवेश करेंगे तो यह फंड आपकी रकम को दुनिया की 100 बड़ी कंपनियों के शेयर्स में निवेश करेगा।

भारत में बैठकर दुनिया की बड़ी कंपनियों में निवेश का अवसर

यानी आप भारत में बैठकर दुनिया की इन बड़ी कंपनियों के शेयर्स में निवेश कर उससे फायदा कमा सकते हैं। ICICI प्रूडेंशियल के प्रोडक्ट हेड चिंतन हरिया ने कहा कि इस फंड का उद्देश्य नैस्डैक 100 इंडेक्स को ट्रैक करना है और उसके प्रदर्शन को दिखाना है। नैस्डैक 100 इंडेक्स में मुख्य रूप से इनोवेशन वाली टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशंस सेवाओं वाली कंपनियां शामिल होती हैं।

आपकी रोजाना की जरूरतों से जुड़ी हैं कंपनियां

इसमें से कई कंपनियां ऐसी होती हैं जो हमारे रोजाना की जिंदगी से जुड़ी होती हैं। इन कंपनियों में एपल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, अल्फाबेट, नेटफ्लिक्स, स्टारबक्स आदि हैं। यह फंड उन निवेशकों के लिए उचित है, जो इंडेक्स फंड में भौगोलिक स्तर पर अपने इक्विटी अलोकेशन में विविधता लाना चाहते हैं। उन कंपनियों में निवेशकों को निवेश का अवसर मिलेगा, जो अपने सेक्टर में टॉप पोजीशन हासिल की हैं। इस इंडेक्स का मार्केट कैप 18 लाख करोड़ डॉलर है। अमेरिकी बाजार में यह इंडेक्स अच्छा प्रदर्शन करता है।

20 सालों में 4 गुना की ग्रोथ

नैस्डैक 100 इंडेक्स ने पिछले 20 सालों में 4 गुना की ग्रोथ हासिल की है। पूरी दुनिया में शेयर बाजार हर साल अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश में विविधता निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने में सक्षम हो सकती है। खासकर अमेरिकी बाजार में निवेश करने के ढेर सारे फायदे हैं। इसमें न केवल विकसित देश और मैच्योर हो चुके बाजार का फायदा मिलता है, बल्कि यह बाजार नि‌वेशकों को थीम में निवेश का अवसर देता है। इसमें क्लाउड कंप्यूटिंग, ई-कॉमर्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि थीम शामिल होती हैं।

3 साल में नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 29.1% का रिटर्न दिया

इस तरह की थीम्स बहुत बड़े पैमाने पर भारत में उपलब्ध नहीं हैं। पिछले 3 साल में देखें तो नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 29.1% का रिटर्न दिया है, जबकि इसी समय में निफ्टी 50 TRI ने केवल 15.2% का रिटर्न दिया है। S&P 500 TRI ने 19% का रिटर्न दिया है। 5 साल में निफ्टी ने 18.8% का जबकि नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 34.6% का रिटर्न दिया है। 10 साल में नैस्डैक 100 इंडेक्स ने 31.2% का, निफ्टी 50 TRI ने 13.6% और S&P 500 TRI ने 23.3% का रिटर्न दिया है। नैस्डैक 100 इंडेक्स मुख्य रूप से लॉर्ज कैप ग्रोथ इंडेक्स होता है।

नैस्डैक 100 इंडेक्स टॉप सेक्टर की बात करें तो IT का हिस्सा 44% है। कम्युनिकेशन सर्विसेस का हिस्सा 29% है। कंज्यूमर सेक्टर का हिस्सा 15% है। टॉप कंपनियों में एपल का वेटेज 11.35%, माइक्रोसॉफ्ट का वेटेज 10.15%, अमेजन का 7.66%, अल्फाबेट का 4.18% और फेसबुक का 4.05% वेटेज है।

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