तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह लेख और जानते हैं Demat Account क्या होता है विस्तार से –

डीमेट अकाउंट क्या है और Demat Account कैसे खुलवाएं हिंदी में

Demat Account In Hindi: अगर आप भी निवेशक बनना चाहते हैं और शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको जरुरत पड़ती है Demat Account की. क्योंकि बिना Demat Account के आप शेयर की लेन – देन और शेयर को Hold नहीं कर सकते हैं.

क्या आप जानते हैं Demat Account क्या है, डीमैट अकाउंट कैसे खुलवाएं, डीमैट अकाउंट कौन खुलवाता है, डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अंतर है, डीमैट अकाउंट डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? के फायदे और नुकसान क्या हैं तो आप एक दम सही लेख पर आये हैं.

Demat Account Meaning In Hindi ( डीमैट खाता क्या होता है ? )

एक डीमैट खाता ("Dematerialized Account" के लिए संक्षिप्त ) वित्तीय प्रतिभूतियों (Financial Securities जैसे इक्विटी या ऋण ) को डिजिटल रूप में रखने और शेयर बाजार में व्यापार करने के लिए एक आवश्यक खाता है ।

👉 जिस तरह से हमें अपना पैसा बैंक में रखने के लिए बैंक खाते की आवश्यकता होती है । उसी तरह हमें Share Market में शेयर (stock or equity, Debt), बांड (Bonds), म्यूचुअल फंड (Mutual Funds ), कमोडिटी (Commodity) आदि से संबंधित व्यवहार (BUY, SELL & HOLD ) के लिए एक खाते की आवश्यकता होती है ; जिसे डीमैट खाता कहते हैं ।

👍 संक्षेप में डीमैट खाता शेयर बाजार में प्रवेश करने का प्रारंभिक बिंदु है । जो हमारे शेयर बाजार से संबंधित लेनदेन को रखता है और मदद करता है ।

👉 What Is The Meaning Of Demat Account In Hindi?

Demat Account या Demat erialized Account एक ऐसा खाता है जिसमे आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर , को रखा जाता है। इस लिए डीमैट खाता एक स्टोरेज की तरह है , जिसमे कोई शेयर खरीदने पर जमा होता है , और बेचने पर शेयर निकल जाता है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India: SEBI ) ने 1996 में देश में डीमैट खाते कि सुरुवात की। तब से , भारतीय बाजारों में Demat Account के आने से Securities को खरीदना , बेचना और व्यापार करना आसान हो गया है।

🎯 डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? डीमैट खाता के प्राथमिक ३ प्रकार ( डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? )

डीमैट खाता के प्रमुख ३ प्रकारो मे से पहला प्रकार भारत मे रह्ने वालो के लिय है और दुसरे दो प्रकार के डिमैट अक्कौट अनिवासी भारतीयो के लिए है। य़ह ३ प्रमुख प्रकार इस तरह से है.


🎯 नियमित डीमैट खाता (Regular Demat Account): भारत में रहने वाले निवेशकों के लिए एक नियमित और प्रमुख डीमैट खाता है।


🎯 प्रत्यावर्तनीय डीमैट खाता ( Repatriable Demat Account): इस प्रकार का डीमैट खाता अनिवासी भारतीयों जो विदेशो मे रह्ते है (एनआरआई) उनके लिए है। एक विदेशी देश से भारत में Liquid Financial Assets को स्थानांतरित कर सकते हैं|


🎯 गैर-प्रत्यावर्तनीय डीमैट खाता (Non-Repatriable Demat Account): इस प्रकार का डीमैट खाता फिर से अनिवासी भारतीयों के लिए है। एक विदेशी देश से भारत में Liquid Financial Assets को स्थानांतरित नहि कर सकते हैं।

3-In-1 Demat Account क्या होता है ?

🔑 बैंक से बचत खाता (Savings account ),
🔑 एनएसडीएल और सीडीएसएल से डीमैट खाता (Demat account )और अंत में
🔑 विभिन्न वित्तीय साधनों को खरीदने और बेचने के लिए ट्रेडिंग खाता (Trading account )। सभी खाते एक ब्रोकर (डीपी) द्वारा संयुक्त रूप से खोले जाते हैं।

वैसे तो सभी डीमैट ब्रोकर एक ही तरह का काम करते हैं। सभी का काम करने का मूलभूत तरीका एक जैसा ही होत हैं। फिर भी कुछ बाते ऐसी होति है, जिनके ऊपर से हम सर्वश्रेष्ठ डीमैट या ट्रेडिंग अकॉउंट का चयन कर सकते हैं।

आसान और मुफ़्त होना चाहिए।
डीमैट/ ट्रेडिंग सुरक्षित होनी चाहिये।
शेयर की खरेदी/बिक्री तुरंत होनी चाहिए।
ट्रेडिंग/ ब्रोकर चार्ज कम से कम होना चाहिए।
डिलीवरी फ्री होनी चाहिये।
अकॉउंट रखरखाव के charges कम से कम होने चाहिये।
डिमैट कंपनी सेवा में ततपर होनी चाहिए।
अगर इन सभी बातों को देखे तो, यह ३ डीमैट अक्कौन्ट BEST है।

Types of Bank Accounts in Hindi

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आज हम बैंक में खातों के कितने प्रकार (types of accounts in bank) होते हैं, उसके विषय में चर्चा करेंगे.

बैंक के खाते चार प्रकार (four types) के होते हैं:-

1. चालू खाता – Current Account

चालू खाता मुख्य रूप से उद्द्यमी, फर्म, कम्पनी आदि के लिए होता है. जिनके अकाउंट में पैसा का फ्लो बहुत होता है…बहुत से मतलब…कि लाखों रुपये उनके अकाउंट में आते हैं और निकाल भी लिए जाते हैं….तो ऐसे लोग चालू खाता में अपने पैसे रखते हैं. ऐसे अमीर लोगों या फर्म को इन्वेस्टमेंट या अपने पैसे में इंटरेस्ट (interest) मिलने में कोई इंटरेस्ट नहीं रहता. चालू खाता की खूबी यह है कि इसमें deposit (जमा करने) या withdrawal (पैसे निकालने) की कोई सीमा नहीं है. चालू खाते में धारक को इंटरेस्ट नहीं मिलता. हाँ, बैंक उनसे सर्विस चार्ज जरुर लेती है.

नाम से ही स्पस्ट है कि सेविंग अकाउंट सेविंग करने के लिए बनी है. हम-आप जैसे लोग चाहते हैं कि हमें हमारे जमे पैसे पर सूद (interest) मिले और कम-से-कम अपने अकाउंट से पैसे निकाले. जितना जमा उतना अच्छा. कोई भी व्यक्ति, चाहे वो किसी कंपनी में काम करता हो, सरकारी नौकर हो, पेन्शनर हो, छात्र हो….वह सेविंग अकाउंट में अपना अकाउंट खोल सकता है. जैसा मैंने बताया कि सेविंग अकाउंट में धारक को जमे पैसे पर इंटरेस्ट भी मिलता है. बचत खाता के धारक कभी भी अपने जमा धन को बैंक से निकाल सकते हैं और डाल सकते हैं. पैसे जमा करने की संख्या में restriction तो नहीं पर पैसे बाहर निकालने की संख्या में कुछ restrictions जरुर हैं. जैसे आप Rs. 50 से कम पैसे नहीं निकाल सकते या ATM से ६ महीने के अन्दर 30 से ज्यादा बार पैसे नहीं निकाल सकते (this policy changes time to time by banks). चालू खाते की तरह आप कभी भी, कहीं भी, जितना भी….पैसे नहीं निकाल सकते. अधिकांश बैंक अपने ग्राहक को अपने अकाउंट में न्यूनतम राशि बनाए रखने के लिए बाध्य करती है.

3. आवर्ती जमा खाता- Recurring Deposit Account

आवर्ती जमा खाता या Recurring Deposit Account या RD account में वे लोग खाता खोलते हैं जो एक निश्चित राशि नियमित रूप से जमा करना चाहते हैं जिससे कि उन्हें अधिक ऊँची दर पर सूद/ब्याज/इंटरेस्ट मिले. RD अकाउंट में एक ख़ास राशि एक तय अवधि के लिए हर महीने जमा की जाती है और तय की गयी अवधि के समाप्त हो जाने पर सूद के साथ कुल राशि का भुगतान कर दिया जाता है. जमा करने की न्यूनतम अवधि 1 साल और अधिकतम 10 साल की होती है. सूद की दर जमा पैसे और जमा की अवधि के हिसाब से अलग-अलग प्लान में अलग-अलग होती है. जैसे आप 10 हज़ार हर महीने जमा कर रहे हैं, तो आपको ज्यादा इंटरेस्ट मिलेगा….किसकी तुलना में? जो केवल 4 हज़ार हर महीने जमा कर रहा है उसे कम इंटरेस्ट मिलेगा. वहीं आप अधिक अवधि के लिए पैसे जमा करने वाले हैं तो आपको अधिक इंटरेस्ट मिलेगा और कम अवधि के लिए कम इंटरेस्ट. RD अकाउंट में समय से पहले निकासी (पैसा निकालने) की सुविधा नहीं है. वैसे, बैंक चाहे तो maturity (खाता की अवधि पूरा होने) के पहले उसे बंद करने की अनुमति दे सकता है. आवर्ती जमा खाता में single या joint account खोला जा सकता है.

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों की खरीद और बिक्री कैसे की जाती है?

  • Connect@ Money9.com
  • Updated On - July 28, 2022 / 10:41 AM IST

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों की खरीद और बिक्री कैसे की जाती है?

शेयर मार्केट में निवेश शुरू करने के लिए आपको तीन अकाउंट (खातों) की जरूरत होती है. ये तीन अकाउंट हैं डीमैट अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट. हर अकाउंट का अपना एक अलग काम होता है, लेकिन ट्रांजैक्शन (लेन-देन) को पूरा करने के लिए तीनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए ये तीन अकाउंट होने चाहिए.

डीमैट अकाउंट क्या है?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है. जैसे एक सेविंग अकाउंट (बचत खाता) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है, वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है. डीमैट अकाउंट या डीमैटरियलाइज्ड अकाउंट इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयरों और सिक्योरिटीज को रखने की सुविधा देता है. ये अकाउंट फिजिकल शेयरों को डीमैट रूप में स्टोर (संग्रहित) करते हैं. फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया (प्रोसेस) को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है. जब भी ट्रेडिंग की जाती है तो इन शेयरों को डीमैट अकाउंट में क्रेडिट या डेबिट किया जाता है.

डीमैट अकाउंट क्या है?डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है?

जिस प्रकार से आपका बैंक अकाउंट होता है। उसी प्रकार डीमेट अकाउंट होता है। जैसे हम अपने बैंक खाते में पैसे रखते हैं। उसी प्रकार डिमैट खाते में किसी कंपनी के शेयर रखे जाते हैं। आप इसे ऐसे भी डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? समझ सकते हैं कि जिस प्रकार आपका कोई बैंक वॉलेट होता है। जैसे; गूगल पे, फोन पे इत्यादि। जिसमें पैसा तो होता है, लेकिन डिजिटल पैसा होता है। इसी प्रकार डीमेट अकाउंट में आपके डिजिटल शेयर जमा होते हैं। डिमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर की आवश्यकता होती है। भारत में एंजल ब्रोकिंग, जिरोधा, 5paisa अपस्टॉक्स (Upstox) जैसे कई स्टॉक ब्रोकर है। जिनके जरिए आप घर बैठे कुछ ही समय मे अपना डीमेट अकाउंट खुलवा सकते हैं।

जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि डीमेट अकाउंट स्टॉक ब्रोकर के जरिए खोला जाता है। ऐसे में बहुत सारे स्टॉक ब्रोकर होते हैं, और उनके डिमैट अकाउंट ओपनिंग चार्ज भी अलग-अलग होते हैं। हालांकि आपका डीमेट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के जरिए 300 से ₹700 में आसानी से बनाया जाता है। लेकिन यहां यह ध्यान रखना भी जरूरी है। कि स्टॉक ब्रोकर चुनते समय आपको डीमेट अकाउंट ओपनिंग चार्ज के अलावा अन्य चार्ज डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? भी देखने होते हैं।

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स लगते हैं?

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए मुख्यतः तीन डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है। जिनमें से एक है आधार कार्ड, जो कि आपके मोबाइल नंबर से जुड़ा होना जरूरी है। दूसरा आपका पैन कार्ड, और तीसरा आपका खुद का बैंक खाता। जोकि इंटरनेट बैंकिंग या किसी वॉलेट से जुड़ा हो। ताकि ट्रेडिंग करते समय ट्रेडिंग अकाउंट में इसकी जरिए पैसे डाले जा सके।

इन तीन डॉक्यूमेंट के अलावा आपको अपनी फोटो, बैंक का 6 माह का स्टेटमेंट आदि की भी जरूरत पड़ सकती है।

कितना समय लगता है डीमेट खाता खुलने में

आप किसी भी स्टॉक ब्रोकिंग ऐप के जरिए कुछ ही 10 मिनट में इस फॉर्म को फिल कर सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे आप किसी नोकरी के लिए आवेदन करते हैं। जिसके बाद 3 से 4 दिन में आपके द्वारा दी गई डिटेल को वेरीफाई कर के स्टॉक ब्रोकर के जरिए आपको बता दिया डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते है? जाएगा, कि आपका डीमेट अकाउंट खुल गया है। इसमें ज्यादा से ज्यादा तीन से 4 दिन ही लगते हैं। यदि आप सोमवार को अपना डिमैट अकाउंट से संबंधित जानकारी सबमिट करते हैं। तो आपको गुरुवार या शुक्रवार तक शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने की अनुमति मिल सकती है।

यदि आप शेयर बाजार में ट्रेड या निवेश करना चाहते हैं। तो जाहिर है आप कंपनियों के शेयर खरीदेंगे। ऐसे में जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं। तो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में यह शेयर पहुंच जाते हैं, लेकिन जब आप इन शेयर को 1 दिन से ज्यादा के लिए अपने पास रखते हैं। तो स्टॉक एक्सचेंज इन्हें आपके डीमेट अकाउंट में भेजता है। जिसे हम आपके शेयर का लॉकर भी कह सकते हैं। यहां पर आपके द्वारा खरीदे गए शेयर पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं। और आप यहाँ इन्हें सालों तक रख सकते हैं। इसीलिए जरूरी है कि जब आप शेयर बाजार में आए तो आपका डीमेट अकाउंट खुलवाना जरूरी ही नहीं अनिवार्य होता है। इसके बिना आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं।

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