क्रिप्टोकरेंसी में करना चाहते हैं निवेश, इन बातों का रखें ध्यान
भारत में क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेटेड नहीं है। यहां पर तमाम छोटे-छोटे प्लेटफॉर्म देखने को मिलेंगे
उभरते असेट क्लास क्रिप्टोकरेंसी ने हाल के दिनों में दुनिया भर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अब तक की अपनी यात्रा में क्रिप्टोकरेंसी ने आलोचना और प्रशंसा दोनों बटोरी है। इसके आलोचकों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही वोलेटाइल असेट क्लास है।
दुनिया भर में इसको लेकर नियमों में स्पष्टता नहीं है। इसके साथ ही साइबर क्राइम का खतरा जुड़ा हुआ है और इसका निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान भविष्य भी अनिश्चित है। दूसरी और इसके प्रशंसकों का कहना है कि पिछले सालों के दौरान क्रिप्टोकरेंसी में इतना जबरदस्त रिटर्न दिया है कि ये किसी और असेट क्लास में संभव नहीं है।
चूंकी यह एक नया असेट क्लास है। इसलिए इसके फंडामेंटल्स विश्लेषण के लिए बहुत ज्यादा सूचनाएं उपलब्ध नहीं है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जब आप क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करें तो पूरी सतर्कता बरतें। आइये देखते हैं क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग में किन सावधानियों की जरूरत है?
बड़े दांव लगाने से बचें
पिछले कुछ सालों में क्रिप्टो में लगाए गए पैसों में अप्रत्याशित रिटर्न मिला है। इसमें लगाए गए कुछ हजार रुपये एक दो साल की अवधि में ही लाखों रुपये में बदल गए हैं। यह हाई ग्रोथ आपको क्रिप्टो में बड़ा अमाउंट लगाने के लि ललचा सकती है। लेकिन आपको ऐसा करने से बचना चाहिए। क्रिप्टो बहुत ज्यादा वोलैटाइल असेट क्लास है। इसकी कीमतों में बिना किसी सूचना के भारी गिरावट आ सकती है।
हाल ही में टेस्ला ने बिटकॉइन पर जैसे ही यू-टर्न लिया और चीन की सरकार ने क्रिप्टो करेंसी का कारोबार करने वाली संस्थाओं पर नकेल कसी, वैसे ही क्रिप्टो मार्केट औंधे मुंह गिर पड़ा। इस चीज को ध्यान में रखते हुए क्रिप्टो में एक बार में बहुत बड़ी राशि न लगाएं।
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
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ELSS फंड में इंवेस्ट करते वक्त ध्यान रखें ये 8 बातें, वरना पैसों को लेकर हो सकती है समस्या
बिज़नेस न्यूज़ डेस्क - यदि निवेश किया जाता है तो केवल यह सोचकर किया जाता है कि उनके धन में वृद्धि होगी। वहीं, जैसे-जैसे संपत्ति बढ़ती है, लोगों को टैक्स भी देना पड़ता है। वहीं अगर निवेश से पैसा बनता है और टैक्स भी बचता है तो सोने पर सुहागा होगा। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस) एक ऐसा निवेश है जो आपको इन लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता है।
ईएलएसएस निवेश
ईएलएसएस एक इक्विटी फंड है जो उच्च रिटर्न देता है और टैक्स बचाने में मदद करता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान सी के तहत, आप अपने ईएलएसएस निवेश के माध्यम से एक वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट का लाभ निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान उठा सकते हैं।
टैक्स सेविंग फंड
इसके अलावा, योजना आम तौर पर मुद्रास्फीति-समायोजित होती है और जोखिम-समायोजित रिटर्न प्रदान करती है, जो लगभग अन्य इक्विटी योजनाओं के बराबर होती है। ये कुछ विशेषताएं हैं जो ईएलएसएस को सबसे कुशल कर बचत निवेश विकल्पों में से एक बनाती हैं। वहीं ईएलएसएस में निवेश करते समय आठ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
इन आठ बातों का ध्यान रखें
लॉक-इन अवधि
निवेश सीमा
व्यवस्थित निवेश
एकमुश्त निवेश
टॉप-अप विकल्प उपलब्ध है
विविधीकरण और जोखिम शमन
ईएलएसएस से पूंजीगत लाभ पर कर
कैसे चुनें सही ईएलएसएस फंड
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
कोरोना महामारी के इस दौर में म्यूचुअल फंड में सही तरह से किया गया निवेश आपको बेहतर रिटर्न दिला सकता है। जिसका प्रयोग आप रिटायरमेंट के बाद या फिर जरूरत के वक्त कर सकते हैं। अगर आप भी इस फाइनेंशियल ईयर म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किन बातों का ध्यान रख कर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर शानदार रिटर्न पा सकते हैं।
निवेश का लक्ष्य निर्धारित करें
भविष्य में पैसे की किल्लत न पड़े इसलिए अक्सर लोग छोटी-छोटी जगह निवेश करते रहते हैं। कोई रिटायरमेंट के बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए निवेश करता है तो कोई अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए निवेश करता है। ऐसे अगर आप भी यह तय कर लें कि आप म्यूचुअल फंड में निवेश किस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कर रहे हैं तो यह आपके लिए बेहतर रहेगा।
सही स्कीम का चुनाव करना
मार्केट में आपको कई तरह की म्युचुअल फंड स्कीम देखने को मिलती हैं, जिसमें आपको अपनी जरूरतों के हिसाब से सही स्कीम का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है। इस फैसले को आसान निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान बनाने के लिए आप गोल टेन्योर और रिस्क प्रोफाइल तय कर सकते हैं। यानी आप कितने समय बाद निवेश की पूंजी का प्रयोग करेंगे और आप इसमें कितना जोखिम उठा सकते हैं। आप किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
SIP के साथ करें निवेश
व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) के साथ अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। यह योजना मनी-कोस्ट एव्रेज के सिद्धांत पर आधारित होती है। जिसकी मदद से निवेशक नियमित समय पर म्युचुअल फंड में भुगतान करता है। जिसके चलते इसमें नुकसान का भी खतरा कम हो जाता है। बीते कुछ समय से म्युचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
इनकम के साथ बढ़ाएं SIP की किस्त
SIP में आप अपने पैसे को धीरे-धीरे करके निवेश कर सकते हैं। इसी के चलते आप SIP के जरिए इनकम के साथ अपने निवेश की किस्त को भी बढ़ा सकते हैं, इससे आप जितना ज्यादा कमाते हैं उतना ही इन्वेस्ट भी कर देते हैं। दरअसल, SIP निवेशकों को अनुशासित तरीके से निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली एक सुविधा है। जिसके चलते आप समय-समय अपनी इनकम के अनुसार ज्यादा से ज्यादा निवेश कर सकते हैं।
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
देश में लंबी अवधि की बचत की दो प्रमुख योजनाएं कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और राष्टï्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) अब अपनी बचत का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर सकती हैं। ऐसे में यह महत्त्वपूर्ण है कि इनके फंड मैनेजरों तथा जिन कंपनियों में ये निवेश करेंगी उनकी दृष्टिï दीर्घकालिक हो। इन दोनों के बीच एक अहम बिचौलिये का जिक्र आवश्यक है। यानी ऐसे विश्लेषक जो जानकारी का विश्लेषण कर निवेश संबंधी मशविरा देते हैं। आदर्श स्थिति तो यही है कि विश्लेषक को भी एक दीर्घकालिक नजरिया रखना चाहिए। इसके विपरीत हमने अमेरिकी मॉडल का अनुकरण किया है जिसमें तिमाही नतीजों पर ध्यान दिया जाता है। कारोबारी नेतृत्वकर्ता निवेशकों का समर्थन गंवाने को लेकर सतर्क रहते हैं और उनको हमेशा यह डर सताता रहता है कि कहीं तिमाही नतीजों से उनके शेयर मूल्य में गिरावट न आ जाए। इन बातों को देखते हुए वे दीर्घावधि की वृद्घि के लिए कोई नवाचार अपनाने के बजाय अल्पावधि के हित देखते हैं।
इसका एक अच्छा उदाहरण गत सप्ताह टाटा स्टील निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान के ब्रोकरेज द्वारा की गई गोपनीय बिकवाली या घटाई गई अनुशंसाओं में देखने को मिला। कंपनी को दिसंबर तिमाही में न केवल जबरदस्त घाटा हुआ बल्कि वैश्विक स्तर पर अत्यधिक आपूर्ति बनी होने और चीन के इस्पात निर्यातकों द्वारा कारोबार समेटने के बावजूद कंपनी 10 लाख टन की अतिरिक्त उत्पादन क्षमता लाने जा रही है। उसके ब्रोकरेज को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उसने तो अल्पकालिक नजरिया ही अपनाया। लेकिन टाटा स्टील जिसे अभी कुछ वक्त पहले तक दुनिया का सबसे कम लागत वाला स्टील उत्पादक समझा जाता था, वह 15 लाख टन अतिरिक्त स्टील का उत्पादन कर उसे बेचने जा रही है, वह भी उच्च गुणवत्ता वाला। हाल निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान में प्रतिकूल नतीजे आए और भारी नुकसान इसलिए हुआ है क्योंकि वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में कमी आई है और इससे पहले यूरोप में अधिग्रहण का उसका दांव उलटा पड़ गया।
स्टील उत्पादकों की कारोबारी संभावनाओं में आई इस मंदी ने दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलरमित्तल को भी प्रभावित किया। कंपनी ने अपने निवेशकों से आग्रह किया कि वे मंदी से उबरने के क्रम में उसे 3 अरब डॉलर की मदद करें। अगर आप पेंशनरों के भुगतान के लिए 20 वर्ष का नजरिया लेकर चलें तो परिदृश्य निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान नाटकीय रूप से बदल जाएगा। टाटा स्टील के शेयर की मौजूदा कीमत अच्छी है। किसी को उनके नीचे जाने की उम्मीद नहीं है निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान और जिंस कीमतें हमेशा कमजोर नहीं रहने वाली। आमतौर पर जापान की यह प्रवृत्ति रही है। वह मंदी के दिनों में अधिशेष तैयार करता है ताकि कारोबारी चक्र सुधरने पर जब कमी पैदा हो तो वह उसका फायदा उठा सके।
वॉल स्ट्रीट में पारंपरिक समझ अब बदल रही है। ब्लैकरॉक के मुख्य कार्याधिकारी लैरी फिंक के पास 46 खरब डॉलर का पोर्टफोलियो है और उनको दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक माना जाता है। उन्होंने हाल ही में एसऐंडपी कंपनियों के 500 मुख्य कार्याधिकारियों को तथा यूरोप के कुछ बड़े संस्थानों को खत लिखकर सलाह दी कि वे अल्पावधि के सोच का प्रतिरोध करें और दीर्घावधि की वृद्घि के लिए निवेश करें। उन्होंने कहा कि ब्लैकरॉक के अधिकांश ग्राहक सेवानिवृत्ति के लिए बचत कर रहे हैं, ऐसे में यही उपयुक्त होगा। वह उनको व्यवस्थित ढंग से काम करने के लिए कह रहे हैं ताकि वे दीर्घावधि की वृद्घि को ध्यान में रख सकें। अगर आज निवेशक कंपनियों को लेकर अल्पावधि का दृष्टिïकोण अपना रहे हैं तो इसकी वजह यह है कि मुख्य कार्याधिकारियों ने उनको दीर्घावधि के महत्त्व से परिचित निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान नहंी कराया है। फिंक कहते हैं, 'दीर्घावधि पर ध्यान दिया जाए तो तिमाही प्रति शेयर आय को लेकर किसी निर्देशन की आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी। ऐसे में कंपनियों से कहा जाना चाहिए कि ये आंकड़े पेश करने की जरूरत ही नहीं।' इसके बाद एक अहम वाक्य में वह कहते हैं, 'आज तिमाही आय की संस्कृति जोर पकड़ चुकी है जो दीर्घावधि के नजरिये से एकदम गलत है।' विभिन्न कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों को चाहिए कि वे प्रति शेयर आय में आए विचलन पर ध्यान देने के बजाय अपनी रणनीति पर काम करें।
आखिरी पैराग्राफ में फिंक कहते हैं कि दीर्घावधि के दौरान प्रतिफल हासिल करने के लिए उन पर्यावरण और सामाजिक निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान कारकों पर तेज नजर रखनी होगी जिनका सामना कंपनियों को आज करना पड़ रहा है। वह स्पष्टï कहते हैं कि दीर्घावधि के दौरान केवल पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन संबंधी मुद्दे ही मायने रखेंगे। इन मामलों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले ही टिक सकेंगे। यह सारी बात भारत के लिए किस हद तक प्रासंगिक है? फिंक कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर बहुत असमानता देखने को मिल रही है। अधिकांश उभरते बाजारों में विकास के लिए बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश और रोजगार निर्माण समेत उससे जुड़े तमाम अन्य लाभ निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे समय में जबकि पूंजी बाजारों में जबरदस्त अनिश्चितता का माहौल है, उस समय निवेशकों के लिए जरूरी है कि निवेशकों को कम से कम उनकी कंपनी के भविष्य के बारे में अग्रगामी नजरिया सुनने को मिले। सरकारी नीति भी ऐसी होनी चाहिए जो स्थायी विकास हासिल करने में मददगार हो सके। दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक सचेत पूंजीवाद की बात कर रहा है जो सामाजिक उद्यमिता के लक्ष्य से बहुत दूर नहीं है। इसका लक्ष्य ऐसी स्थायी सार्वजनिक नीति हासिल करना है जो बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे और वैश्विक स्तर पर असमानता को कम करे।
भारत के लिए यह अच्छी बात है कि हमारे यहां हर तीन महीने में आमदनी के ब्योरे के साथ आगे की संभावना का संकेत कभी कभार ही देखने को मिलता है। हां, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जरूर ऐसा हुआ करता था लेकिन इन्फोसिस ने वर्ष 2012 में ऐसा करना बंद कर दिया तो कमोबेश सभी जगह इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया। हालांकि कॉग्निजेंट इस मामले में अपवाद है।
ELSS में करना है निवेश तो ध्यान रखें ये बातें वरना हो जाएगा नुकसान
ELSS: बाजार में ऐसी बहुत सी स्कीम हैं, जहां निवेश करने पर आपको टैक्स का फायदा मिलता है। डाकघर, बैंक से लेकिर कैपिटल मार्केट में ऐसी बहुत सी स्कीम हैं. हालांकि ज्यादातर स्कीम में लॉक इन के भी नियम हैं, जहां एक समय के पहले पैसे नहीं निकाल सकते हैं।
बाजार में ऐसी कई Equity Linked Saving Scheme स्कीम हैं, जिन्होंने निवेशकों को लंबी अवधि में शानदार रिटर्न दिया है। इन्हीं में एक है SBI म्यूचुअल फंड की SBI Long Term Equity Fund स्कीम।
ELSS में निवेश करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
- Lock-in period
- Investment Limit
- Systematic investment
- Lump sum investment
- Top-up option available
- Diversification and risk mitigation
- Taxes on capital gains from ELSS
- How to select the right ELSS fund
ELSS Mutual Fund में निवेश करते वक्त इन आठ बातों को ध्यान में रखकर निवेश करने से काफी बेनेफिट्स मिल सकते हैं. वहीं निवेश के साथ ही टैक्स में बचत का लाभ भी उठाया जा सकता है.
ELSS में कितना होगा निवेश
इस फंड में कम से कम एकमुश्त निवेश 500 रु किया जा सकता है। वहीं कम से कम SIP भी 500 रु है. अचछी बात यह है कि इसका लॉक इन पीरियड 3 साल का ही है। फंड का कुल एसेट्स 31 दिसंबर 2021 तक 10192 करोड़ रुपय है। जबकि उसी डेट तक एक्सपेंस रेश्यो 1.निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान 75 फीसदी है।
20 साल में 21% CAGR
SBI Long Term Equity Fund ने लंबी अवधि में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। यह फंड 31 मार्च 1993 में लॉन्च हुआ था। लॉन्च के बाद से ही इसने 16.34 फीसदी सीएजीआर के हिसाब से रिटर्न दिया है। यहां 20 साल में निवेशकों को 21 फीसदी सीएजीआर के हिसाब से रिटर्न मिला है।
20 साल में इस फंड ने निवेशकों के पैसे करीब 50 गुना कर दिए हैं. यानी जिन्होंने यहां 1 लाख रुपये लगाए थे, उनके पैसे 20 साल में 50 लाख रुपये से ज्यादा हो गया है। वहीं 20 साल में 500 रुपये मंथली SIP करने वालों को 1 करोड़ रुपये का फंड मिला।
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