Share Bazaar Live : क्या है बाजार के लिए आज के अहम ट्रिगर?
Zee Business का यह सेगमेंट आपको एक दृष्टिकोण देता है कि आज वैश्विक बाजार के प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जाती है। इसके अलावा, उन प्रमुख ट्रिगर्स के बारे में जानें जो आज बाजार के लिए मायने रखते हैं और जिन शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।
क्या है Stop Loss और Target Price?
शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
मान लीजिए इस बाजार मूल्य क्या है? शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका बाजार मूल्य क्या है? मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.
क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.
आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.
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कीमत निर्धारण के उद्देश्य ( Objectives of Pricing ) क्या है ?
साधारणतया कीमत एवं कीमत निर्धारण को एक ही मान लिया जाता है । जबकि दोनों में मूलभूत भिन्नता होती है । कीमत उत्पाद के मूल्य का मौद्रिक माप होता है जबकि कीमत निर्धारण ऐसे मूल्य के निर्धारण की प्रक्रिया होती है । कीमत निर्धारण विपणन प्रबन्ध का वह कार्य होता है जिसमें वह उत्पाद मूल्य के सन्दर्भ में उत्पाद का मूल्य मुद्रा में व्यक्त करता है ताकि उपभोक्ता को विक्रय के लिए उत्पाद प्रस्तुत किया जा सके ।
स्टेन्टन का कथन है कि "प्रत्येक विपणन कार्य जिसमें कीमत निर्धारण भी सम्मिलित है, किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया जाना चाहिए ।"
इससे यह स्पष्ट होता है कि विपननकर्त्ता द्वारा कीमत निर्धारण भी कुछ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से कर सकती है । कीमत निर्धारण के अनेक उद्देश्यों को निम्न शीर्षकों में विश्लेषित किया जा सकता है :-
[ 1 ] लाभों को अधिकतम करना ( To Maximize Profits ) :- सभी व्यावसायिक संस्थायें लाभों को अधिकतम करने के उद्देश्य से कार्य करती हैं । इसके लिए वे ऐसी कीमत निर्धारित करती हैं कि उन्हें अधिकतम लाभार्जन हो । इसका आशय यह है कि कीमत निर्धारण का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य लाभों को अधिकतम करना होता है । फर्म की लाभार्जन की अधिकता की चाह वर्तमान में यद्यपि उचित नहीं मानी जाती, क्योंकि इससे कीमत वृद्धि, उपभोक्ता का शोषण एवं सामाजिक उत्तरदायित्वों की अनदेखी जैसी आशंकाएँ व्यक्त होती हैं । फिर भी फर्म उपलब्ध परिस्थितियों में लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य बाजार मूल्य क्या है? से ही कीमत निर्धारण का निर्णय करती है ।
[ 2 ] मूल्यों में स्थायित्व ( Price Stability ) :- अधिकांश फर्मों का उद्देश्य मूल्यों में स्थिरता बनाये रखना होता है ताकि उत्पाद के प्रति उपभोक्ताओं और क्रेताओं का विश्वास बना रहे । कीमत निर्धारण का यह उद्देश्य प्रायः सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को लेकर अथवा क्रेताओं में फर्म की ख्याति स्थापित करना होता है । ऐसी फर्में बढ़ते हुए बाजार मूल्य के समय अपनी कीमतें स्थिर रखती हैं ।
[ 3 ] प्रतिस्पर्धा का सामना करना ( To Face Competition ) :- कीमत निर्धारण का यह एक सामान्य उद्देश्य होता है । प्रत्येक विपननकर्त्ता प्रतिस्पर्धी फर्म का सामना करने के लिए प्रतिस्पर्धी उत्पादों के मूल्यों को ध्यान में रखकर स्वयं के उत्पादों बाजार मूल्य क्या है? की कीमतें निर्धारित करता है । अनेक स्थितियों में मूल्य लागत से भी कम रखे जाते हैं । ऐसा सामान्यत: अति प्रतिस्पर्धी बाजार में प्रवेश के समय किया जाता है ।
[ 4 ] वांछित प्रत्याय का लक्ष्य ( To Achieve Target Return ) : - कई फर्में अपने विनियोग पर वांछित प्रत्याय को पहले ही निश्चित कर लेती हैं और फिर अपेक्षित लाभों के सन्दर्भ में कीमत निर्धारित करती हैं । इस प्रकार निर्धारण के उद्देश्य के अन्तगर्त फर्में बाजार मूल्य क्या है? अपनी सहमतियों एवं उत्पादन साधनों में किये गये कुल विनियोग के सन्दर्भ में लाभ का अनुपात निश्चित कर लेती हैं बाजार मूल्य क्या है? और फिर उसी के अनुसार उत्पाद मूल्य निर्धारित करती हैं ।
[ 5 ] बाजार अंश बनाए रखना अथवा उसमें वृद्धि करना ( To Maintain or Improve Ma rket Share ) :- अनेक व्यावसायिक फर्में अपने बाजार अंश का निर्धारण कर लेती हैं और उसे बनाये रखने के प्रयास के साथ-साथ उसमें वृद्धि के लिए प्रयत्नशील रहती हैं । अतः वह अपनी कीमत इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए करती है ।
[ 6 ] अस्तित्व की रक्षा ( Survival Object ) :- तीव्र प्रतियोगिता, अत्यधिक संवेदनशील बाजार आदि परिस्थितियों में कई बार फर्म कीमत निर्धारित अस्तित्व की रक्षा करने के उद्देश्य से करती है । इसमें मूल्य को निर्धारित करते समय फर्म की स्थायी एवं परिवर्तनशील लागतों को ध्यान में रखकर मूल्य तय किये जाते हैं ।
[ 7 ] मूल्य छवि ( Value Image ) :- ऐसी फर्म जो कम मूल्य वाली वस्तुओं के माध्यम से छवि बनाना चाहती है वे अपने उत्पादों का निम्न कीमत निर्धारण करती है । मूल्य छवि का उद्देश्य रखने वाले विपननकर्त्ता उत्पाद की कीमत अपनी लोकप्रियता का आधार बनाती है ।
[ 8 ] उत्पाद गुणवत्ता छवि ( Product Quality Image ) :- कोई भी फर्म अपने को उच्च गुणवत्ता उत्पाद नेता के रूप में स्थापित करने का उद्देश्य रख सकती है । इसके लिए फर्म ऊँची कीमत रखकर अपने उत्पादों को श्रेष्ठ बनाने पर बल बाजार मूल्य क्या है? देती है । साथ ही विज्ञापन एवं सम्वर्द्धन के माध्यम से ऊँची कीमत और गुणवत्ता के बीच सम्बन्ध स्थापित करने बाजार मूल्य क्या है? का प्रयास करती है । उदाहरण के लिए "महँगा ही सही, मेरे बच्चों के लिए झंडू च्यवनप्राश, असली च्यवनप्राश" बाजार मूल्य क्या है? का विज्ञापन ।
[ 9 ] गैर-कीमत प्रतिस्पर्धा ( Non-Price Competition ) :- कीमत निर्धारण का एक उद्देश्य विपणन सम्मिश्र के अन्य तत्वों के आधार पर प्रतिस्पर्धा करना हो सकता है । फर्म ऐसी परिस्थिति में, श्रेष्ठ किस्म, डिजाइन, अच्छी विकर्योपरान्त सेवायें आदि योजनाओं के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर सकती है । ऐसी परिस्थिति में कीमत को स्थायी कर वितरण, उत्पाद तथा सम्वर्द्धन के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर सकती है ।
[ 10 ] विक्रय मात्रा में वृद्धि ( Increase in Sales Volume ) :- यह कीमत निर्धारण उद्देश्य एक निश्चित समयावधि में विक्रय मात्रा में एक निश्चित प्रतिशत वृद्धि में व्यक्त किया जा सकता है । प्रबन्धक विक्रय की मात्रा में वृद्धि करने के लिए कई प्रकार की छूटें दे सकती हैं । कई बार फर्म अल्पकाल में हानि उठाकर भी विक्रय में वृद्धि का प्रयास करते हैं ।
अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) क्या है?
कि सी उत्पाद की पैकिंग पर जो अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) लिखा होता है, उस का नियम क्या है? या केवल उत्पादक की मर्जी होती है। गैस ऐजेंसी पर बिक्री के लिए उपलब्ध गैस स्टोव पर MRP 2350 रुपए लिखा है और गैस पाइप 170-190 रुपए छपा होता है। जब कि वही गैस स्टोव बाजार में 850 रुपए में और पाइप 70-80 रुपए में मिल जाता है। क्या ये गैर कानूनी नहीं है? कुछ ऐसा ही दवाओं के मामले में होता है।
ह मारे यहाँ किसी भी वस्तु का मूल्य निश्चित करने का कोई कानून नहीं है। जब कोई देश खुले बाजार की नीति को अपनाता है तो सभी वस्तुओं के मूल्य निर्धारित करना उत्पादक या विक्रेता का अधिकार बन जाता है। वैसे भी अर्थशास्त्र का नियम है कि बाजार में किसी भी वस्तु का मूल्य उस की लागत से तय नहीं होता अपितु बाजार में उस की आवश्यकता से तय होता है। कभी बाजार मूल्य लागत से कम भी होता है तो कभी वह लागत का कई गुना भी हो सकता है।
ह मारे यहाँ भार और माप-तौल (डिब्बा बंद वस्तु) नियम के अंतर्गत यह आवश्यक किया गया है कि डिब्बे में बंद वस्तुओं के संबंध में कुछ आवश्यक सूचनाएँ डिब्बे पर अंकित की जाएँ। जिन में वस्तु का वजन, संख्या या आयतन, उस के निर्माता का नाम व पता, निर्माण की तिथि तथा अधिकतम खुदरा मूल्य अंकित किया जाना आवश्यक है। डिब्बे में खाद्य सामग्री होने पर यह भी आवश्यक है कि वस्तु का इस्तेमाल किस तिथि तक कर लिया जाना चाहिए।
अ धिकतम खुदरा मूल्य क्या होगा इस संबंध में कोई नियम नहीं है। यह पूरी तरह उत्पादक पर निर्भर करता है कि बाजार मूल्य क्या है? वह अपने माल का अधिकतम खुदरा मूल्य क्या नियत करता है। सामान्यतः अधिकतम खुदरा मूल्य लागत मूल्य से 20-30 प्रतिशत से ले कर दुगना तक होता है। लेकिन यह लागत मूल्य से कई गुना भी हो सकता है। जो भी अधिकतम खुदरा मूल्य किसी वस्तु के पैकेट पर अंकित होता है उस में सभी प्रकार के टैक्स, होलसेल व खुदरा दुकानदारों के कमीशन सम्मिलित होते हैं। किसी भी वस्तु को अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पर नहीं बेचा जा सकता है, लेकिन ग्राहक में मोल-भाव करने की क्षमता हो तो वह उस से कम मूल्य पर उस वस्तु को खरीद सकता है।
ज हाँ किसी दुकानदार से आप को कोई माल खरीदना बाध्यता हो वहाँ वह वस्तु को अधिक से अधिक मूल्य पर विक्रय करने का प्रयत्न करता है। गैस कनेक्शन मुश्किल से मिलता है फिर गैस ऐजेंसी सरकारी मशीनरी तय करती है। गैस ऐजेंसी पर रेगुलेटर और सिलेंडर के दर तो निश्चित किए हुए होते हैं, उन में मुनाफा कम होता है। ऐसे में वे गैस स्टोव तथा गैस पाइप को मनमाने मूल्य पर विक्रय कर के मुनाफा कमाने का प्रयत्न करते हैं। ये दोनों वस्तुएँ गैस ऐजेंसी से खरीदना आवश्यक नहीं है। लेकिन इन दोनों बाजार मूल्य क्या है? वस्तुओं का मानक स्तर का होना आवश्यक है, इस की जाँच गैस ऐजेंसी का ही एक कर्मचारी करता है। वे इ
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