This morning, had an extremely fruitful interaction with @sundarpichai. We spoke on a wide range of subjects, particularly leveraging the power of technology to transform the lives of India’s farmers, youngsters and entrepreneurs. pic.twitter.com/IS9W24zZxs— Narendra Modi (@narendramodi) July 13, 2020
Year 2022 : Inflation Target को हासिल करने में नाकाम रहने और Digital Currency को लेकर सुर्खियों में रहा RBI
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिये यह साल मिला-जुला रहा। आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार लक्ष्य के अनुसार महंगाई को काबू में नहीं रख पाया वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर तथा अपने प्रयासों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा। अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, ऐसे में नये साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है।
खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है। नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही। इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही। इसकी वजह से तय व्यवस्था के अनुसार आरबीआई को पत्र लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई को लक्ष्य के अनुसार काबू में क्यों रख सका।
साथ यह भी बताना पड़ा कि आखिर मुद्रास्फीति कब चार प्रतिशत पर आ सकती है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। बढ़ती महंगाई का एक प्रमुख कारण इस साल फरवरी में रूस का यूक्रेन पर हमला रहा। इससे जिंसों खासकर कच्चे तेल के दाम पर असर पड़ा। हालांकि, महंगाई के मामले में भारत की स्थिति अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है और यह राहत की बात रही।
कई देशों में महंगाई दर 40-40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गयी। बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अचानक से बैठक कर इस साल चार मई को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। इससे पहले, लंबे समय तक रेपो दर को यथावत रखा गया था। कई विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिये कदम उठाने में देरी की। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है। उसके बाद लगातार तीन बार रेपो दर में 0.50-0.50 और दिसंबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की गयी।
आरबीआई ने दिसंबर में रेपो दर 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर यह भी संकेत दिया कि नीतिगत दर में वृद्धि की गति अब धीमी होगी। खुदरा मुद्रास्फीति नरम पड़कर नवंबर में 5.8 प्रतिशत पर आ गयी है। इसको देखते हुए कई विश्लेषकों ने कहा है कि आने वाले समय में नीतिगत दर में वृद्धि थमेगी। एमपीसी की बैठक के ताजा ब्योरे से भी इस बात की पुष्टि होती है। इसका एक कारण आर्थिक वृद्धि को गति देना भी है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।
मुद्रास्फीति में वृद्धि से डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई। इसको देखते हुए केंद्रीय बैंक ने बाजार में हस्तक्षेप किया। इससे कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर से अधिक की कमी आई है। आरबीआई ने रुपये को थामने के लिये अन्य कदम भी उठाये। इसमें रुपये में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना तथा विदेशों में रह रहे भारतीयों को बैंकों में जमा के लिये प्रोत्साहित करना शामिल है।
केंद्रीय बैंक पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर तथा अपने प्रयासों से बैंकों के बही-खाते को मजबूत करने में सफल रहने से चर्चा में रहा। आरबीआई ने पायलट आधार पर थोक और खुदरा दोनों उपयोग के लिये केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी की। इसके साथ इस साल बैंकों की वित्तीय सेहत भी बेहतर हुई हैं। बैंकों में फंसे कर्ज में उल्लेखनीय कमी आई है। यह आरबीआई के पिछले पांच-छह साल से उठाये जा रहे कदमों का नतीजा हो सकता है।
मुकेश अंबानी की रिटेल शॉपिंग, 2850 करोड़ में करेगी Metro AG के भारतीय कारोबार का अधिग्रहण
Reliance Retail Ventures Limited ने कुल 2,850 करोड़ रुपए के नकद विचार के लिए मेट्रो इंडिया में 100% इक्विटी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए निश्चित समझौतों पर साइन किए.
Mukesh Ambani buy Metro AG Indian business : एशिया के दूसरे सबसे अमीर अरबपति मुकेश अंबानी ने जर्मनी की रिटेल विक्रेता मेट्रो एजी (Metro AG) के भारत के कारोबार को 2850 करोड़ में खरीद लिया है. यह डील 2,850 करोड़ रुपए में हुई है. वह जल्दी ही इसका अधिग्रहण करेंगे. अरबपति मुकेश अंबानी भारत के विशाल रिटेल सेक्टर में अपनी प्रमुख स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं. Reliance Industries Limited की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने कुल 2,850 करोड़ रुपए के नकद विचार के लिए मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (मेट्रो इंडिया) में 100% इक्विटी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए निश्चित समझौतों पर साइन किए.
मेट्रो इंडिया ने 2003 में देश में कैश-एंड-कैरी बिजनेस फॉर्मेट पेश करने वाली पहली कंपनी के रूप में भारत में परिचालन शुरू किया था और वर्तमान में लगभग 3,500 कर्मचारियों के साथ 21 शहरों में 31 बड़े स्टोर संचालित करती है. मल्टी-चैनल B2B कैश एंड कैरी होलसेलर भारत में 3 मिलियन से अधिक B2B ग्राहकों तक पहुंच गया है, जिनमें से 1 मिलियन ग्राहक अपने स्टोर नेटवर्क और eB2B ऐप के माध्यम से अक्सर खरीदारी कर रहे हैं.
भारतीय बाजार में सबसे अच्छा प्रदर्शन
वित्तीय वर्ष 2021/22 (सितंबर 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष) में, मेट्रो इंडिया ने 7700 करोड़ रुपए (926 मिलियन यूरो) की बिक्री की, जो भारतीय बाजार में प्रवेश के बाद से इसका सबसे अच्छा बिक्री प्रदर्शन रहा है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह अधिग्रहण रिलायंस रिटेल के फिजिटल स्टोर और सप्लाई चेन नेटवर्क, प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों और सोर्सिंग क्षमताओं में तालमेल और दक्षता का लाभ उठाकर उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों की बेहतर सेवा करने की क्षमता को और मजबूत करेगा. साथ ही रिलायंस रिटेल को प्रमुख शहरों में प्रमुख स्थानों में स्थित मेट्रो इंडिया स्टोर्स के एक विस्तृत नेटवर्क तक पहुंच होगी.
दिग्गज प्लेयर है मेट्रो इंडिया
रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी ने कहा कि मेट्रो इंडिया का अधिग्रहण छोटे व्यापारियों और उद्यमों के साथ सक्रिय सहयोग के माध्यम से साझा समृद्धि का एक अनूठा मॉडल बनाने की हमारी नई स्ट्रेटेजिक के तहत है. मेट्रो इंडिया भारतीय बी2बी बाजार में प्रमुख और दिग्गज प्लेयर है और इसने मजबूत ग्राहक अनुभव प्रदान करने वाला एक ठोस मल्टी-चैनल प्लेटफॉर्म बनाया है.
रिलायंस में मिला एक उपयुक्त भागीदार
मेट्रो एजी के सीईओ स्टीफन ग्रेबेल का कहना है कि मेट्रो इंडिया के साथ हम सही समय पर एक बहुत ही गतिशील बाजार में बढ़ते और लाभदायक थोक व्यापार को बेच रहे हैं. हमें विश्वास है कि रिलायंस में हमें एक उपयुक्त भागीदार मिला है जो सफलतापूर्वक इच्छुक और सक्षम है. इस बाजार के माहौल में भविष्य में मेट्रो इंडिया का नेतृत्व करें. बता दें कि रिलायंस 16,600 से अधिक स्टोरों के साथ भारत का सबसे बड़ा ब्रिक-एंड-मोर्टार रिटेलर है. वहीं, मेट्रो 34 देशों में होलसेल और फूड रिटेल में टाॅप इंटरनेशनल एनालिस्ट है.
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English News Headline : Mukesh Ambani buys Metro AG Indian business in 2850 crore.
FMCG Sector: 2023 में बढ़ेगा कंज्यूमर गुड्स इंडस्ट्री का मुनाफा, कमोडिटी में नरमी और रूरल डिमांड से होगा फायदा
FMCG कंपनियां 2023 को लेकर पॉजिटिव हैं और उन्हें उम्मीद है कि रूरल मार्केट एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा.
Consumer Goods: FMCG कंपनियों को 2023 में बेहतर मुनाफे और मार्जिन की उम्मीद है.
FMCG Sector Outlook in 2023: कीमतों में बिना बदलाव किए प्रोडक्ट के पैकेट के साइज को छोटा कर क्वांटिटी में कमी करना (Shrinkflation) ऐसी चीज है, जो देश में पहले कभी देखने को नहीं मिली थी. लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद कच्चे माल की कीमतों में जोरदार उछाल के बीच डेली कंजम्पशन का प्रोडक्ट (FMCG) बनाने वाली कंपनियों ने कुछ इसी तरह का रुख अपनाया है. इसकी वजह यह है कि FMCG कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती इक्विटी पर व्यापार के लाभ हैं कि डिमांड में जो भी कमजोर रिकवरी है, वह पूरी तरह थम न जाए.
कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब FMCG कंपनियों के पास सारे विकल्प खत्म हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया. FMCG कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ वॉल्यूम के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी. खास तौर से इन कंपनियों को कमोडिटी की कीमतों में कमी के बीच रूरल इलाकों की डिमांड में सुधार की उम्मीद है.
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2023 को लेकर पॉजिटिव, बढ़ेगी डिमांड
डाबर इंडिया के CEO मोहित मल्होत्रा ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हम साल 2023 को लेकर पॉजिटिव हैं और हमें रूरल डिमांड में सुधार की उम्मीद है. उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी डिमांड में ग्रोथ जारी रहेगी.
इंडस्ट्री में 2022 में प्राइस हाइक दो अंकों यानी 10 फीसदी से अधिक रही है. डेटा एनाएनालिटिक्स कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि FMCG इंडस्ट्री में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 फीसदी की गिरावट रही.
कमोडिटी की कीमतों में कमी का होगा फायदा
Emami के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि इनफ्लेशन और रूरल डिमांड में कमी चिंता वाली बात है. लेकिन कमोडिटी की कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं. अक्टूबर से कमोडिटी में नरमी है, लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा.
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है. लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो कमोडिटी की कीमतें अभी भी ज्यादा हैं. हालांकि उम्मीद है कि आगे चलकर कीमतें नीचे आएंगी. बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम घटा है. गेहूं के दाम बढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है.
इन वजहों से इंडस्ट्री को मिलेगा सपोर्ट
FMCG कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं. उन्हें उम्मीद है कि रूरल मार्केट एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा. उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा रूरल मार्केट का है. अच्छी पैदावार, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से रूरल मार्केट की स्थिति में सुधार की उम्मीद है.
महंगे कमोडिटी ने बिगाड़ा था सेंटीमेंट
FMCG सेक्टर की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध के चलते कमोडिटी की कीमतों में तेजी आ गई. कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई FMCG कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स के पैकेट और वजन को घटा दिया. इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है. इसका मतबल है कि कंज्यूमर्स को कम प्रोडक्ट के लिए भी पुरानी कीमत ही चुकानी पड़ रही है.
कोविड संक्रमण कम होने और इकोनॉमी ओपेन के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में डिमांड में सुधार होना शुरू हुआ. FMCG कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले 2 साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी.
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10$, 100$ और 1000$ के लिए दयनीय कॉल – Technische Analyse – 2022-12-27 23:59:41
पिछले कुछ हफ्तों में, आसमान छूती कीमतों की मांग के साथ, खुदरा निवेशकों के बीच भावना तेजी से तर्कहीन हो इक्विटी पर व्यापार के लाभ गई है। वास्तव में, हम एक्सआरपी के लिए दोहरे या तिहरे अंकों के आंकड़ों की भविष्यवाणी करते हुए कई भविष्यवाणियों का सामना करते हैं। हालाँकि, हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहेंगे कि ये दावे केवल आशाओं, सपनों और भावनाओं से प्रेरित हैं। दुर्भाग्य से, इनमें से कई पूर्वानुमान कुछ बुनियादी तथ्यों की अनदेखी करते हैं। यही कारण है कि हम TradingView पर चल रही कुछ हास्यास्पद धारणाओं को खारिज करना चाहेंगे। ऐसा करने के लिए, हम बार-बार स्पष्ट करते हैं कि यदि XRP का मूल्य 10$, 100$, और 1000$ होता तो उसका मार्केट कैप कितना होता।
बाज़ार आकार
XRP 10$ = 503.4$ बिलियन पर
100$ = 5.034$ ट्रिलियन पर XRP
1000$ पर XRP = 50.03$ ट्रिलियन
इस बीच, अपने चरम पर, कुल क्रिप्टोक्यूरेंसी मार्केट कैप (20 000 से अधिक विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी सहित) का मूल्य 3.009 ट्रिलियन डॉलर था। वर्तमान इक्विटी बाजार पूंजीकरण लगभग 122.94 $ ट्रिलियन है। इसलिए, एक्सआरपी को भारी कीमत पर बढ़ावा देने वाली धारणाओं में हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसके लिए कोई सम्मान नहीं है; इसके अलावा, वे कई अन्य स्तरों पर गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण हैं।
20-दिन की ओर रिट्रेसमेंट एसएमए और 50 दिन एसएमए यह सवाल उठाता है कि क्या मौजूदा उछाल केवल एक और डाउनट्रेंड सुधार है। ए का समर्थन करने के लिए मंदी थीसिस, हम चाहते हैं कि कीमत 50-दिन से ऊपर न टूटे एसएमए ; अन्यथा, इसके ऊपर एक ब्रेकआउट बढ़ जाएगा तेजी अल्पावधि में संभावनाएं। हालांकि, हमें उम्मीद नहीं है कि यह प्राथमिक डाउनट्रेंड को प्रभावित करेगा।
तकनीकी विश्लेषण
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Google CEO व PM मोदी की वर्चुअल मीटिंग-कई विषयों पर की चर्चा
दिल्ली, भारत। भारत में कोरोना वायरस के संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्चुअल मीटिंग (वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग) के जरिये बातचीत का सिलसिला जारी है। आज ही PM मोदी ने दुनियाभर में जानी मानी सर्च इंजन कंपनी Google के CEO सुंदर पिचाई के साथ बातचीत की है।
PM मोदी ने ट्वीट कर कही ये बात :
इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट कर जानकारी दी है। PM मोदी ने बताया कि, "हमने कई विषयों पर बात की, विशेष रूप से भारत के किसानों, युवाओं और उद्यमियों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ देने के मसले पर अच्छी चर्चा हुई।"
PM मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा-
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— Narendra Modi (@narendramodi) July 13, 2020
PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'मुझे गूगल की ओर से कई सेक्टर में किए जा रहे कामों के बारे में पता चला, खासतौर पर एजुकेशन, लर्निंग, डिजिटल इंडिया, डिजिटल पेमेंट समेत अन्य क्षेत्रों में पीएम मोदी ने सुंदर पिचाई के साथ गूगल समेत भारत में टेक्नोलॉजी क्षेत्र में संभावनाओं पर भी बात की।
बताया गया है कि, PM मोदी और Google के CEO सुंदर पिचाई ने बातचीत के दौरान गूगल ने भारत में 75,000 करोड़ रुपए के निवेश की भी बात कही।
सुंदर पिचाई ने किया यह ऐलान :
तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत करने के बाद सुंदर पिचाई ने ऐलान किया कि, "भारत के डिजिटलीकरण के लिए गूगल कई घोषणा करने के लिए उत्साहित है, हम भारत में अगले 5-7 सालों में 75,000 करोड़ रुपए या 10 बिलियन डॉलर का निवेश करेंग, ये निवेश इक्विटी इनवेस्टमेंट, पार्टनरशिप और ऑपरेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्मम से किया जाएगा।"
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