एट्रिब्यूशन विश्लेषण में मार्केट टाइमिंग एक महत्वपूर्ण कारक है, यह कारक पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को नकारात्मक या सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। जबकि कुछ अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का कहना है कि बाजार के समय का संबंध खोज प्रबंधक के कौशल से है, दूसरों का कहना है कि बाजार के समय का प्रभाव कौशल के बजाय भाग्य से अधिक होता है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि एक फंड मैनेजर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में, निवेश शैली का उपयोग और स्टॉक चयन समय की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं।

एट्रिब्यूशन विश्लेषण क्या है? [What is attribution analysis?]

सेवाएं शोध एवं विश्लेषण

एक्ज़िम बैंक का शोध एवं विश्लेषण समूह अनुभवी अर्थशास्त्रियों और रणनीतिकारों की एक टीम से मिलकर बना है| यह टीम गुणात्मक और मात्रात्मक शोध तकनीकों के जरिए अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र, व्यापार और निवेश की गहरी समझ रखती है| यह समूह वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्थाओं के ट्रेंड पर कुशलतापूर्वक निगाह रखता है और विश्लेषण करता है कि भारतीय और दूसरी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर इसका क्या असर पड़ेगा| यह समूह बैंक के साथ-साथ भारत सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्यातकों/आयातकों, व्यापार व उद्योग संघों, बाह्य ऋण प्रदाता एजेंसियों, शैक्षिक संस्थानों और शोधकर्ताओं के संपर्क में रहता है|

समूह भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने के लिए संभावनाएं तलाशता है| इसके लिए मुख्य रूप से क्षेत्रवार, उद्योग खंडवार और नीति संबंधी अध्ययन किए जाते हैं| फिर इन्हें प्रासंगिक आलेखों (ओकेज़नल पेपर), कार्यकारी आलेखों (वर्किंग पेपर) और पुस्तक आदि के रूप में प्रकाशित किया जाता है|

समूह निम्न उद्देश्यों से विभिन्न देशों की प्रोफाइल भी तैयार करता है,

उस देश की आर्थिक, राजनीतिक, मौद्रिक और ऋण जोखिम स्थिति के विश्लेषण के लिए

संबंधित देश में निर्यात के अवसर तलाशने के लिए

किसी देश की अल्पावधि या मध्यावधि में आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए

देशों के साथ कारोबार में आर्थिक जोखिमों पता लगाने के लिए

इसके अलावा, समूह ऐसे निवेश विश्लेषण क्या है देशों के लिए एक्सपोज़र (ऋण) सीमा भी तय करता है, जिनके साथ बैंक कारोबार करना चाहता है| साथ ही बैंक के व्यापार एक्सपोजर के लिए इन देशों के प्रमुख उद्योगों में हो रहे निवेश विश्लेषण क्या है विकास पर भी नजर रखता है।

बैंक कंपनियों के विशेष आग्रह पर किसी देश में खास उस कंपनी के लिए बाजार की संभावनाओं, मार्केटिंग के तमाम पहलुओं और वितरण चैनलों पर केंद्रित शोध भी करता है| शोध के आधार पर उन कंपनियों को निर्यात बाजार में कदम रखने की योजना बनाने में भी सहयोग करता है| भारतीय व्यापारियों और निवेशकों को ताजातरीन जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से समूह नियमित रूप से विभिन्न बुलेटिन प्रकाशित करता रहता है| इसमें निर्यात अवसरों और भारतीय निर्यात से हुए विकास के प्रमुख बिंदुओं की सूचना होती है| ये प्रकाशन निम्नलिखित हैं :-

'एक्ज़िमिअस निर्यात लाभ' – तिमाही बुलेटिन

इस न्यूज़लेटर के जरिए क्षेत्रीय और उद्योग जगत की स्थिति, बैंक की गतिविधियां, बहुपक्षीय निधिक परियोजनाओं में अवसरों की जानकारी प्रदान की जाती है| साथ ही इसमें भारतीय कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई संविदाओं, कारोबार के लिए चुनिंदा देशों और मुद्राओं की समीक्षा सहित तिमाही के घटनाक्रम भी होते हैं। यह एक नि:शुल्क प्रकाशन है, जिसे शोधार्थियों, अर्थशास्त्रियों, संस्थानों, भारत सरकार के कार्यालयों और निर्यात को बढ़ावा देने वाले संगठनों को वितरित किया जाता है|

यह न्यूज़लेटर भारतीय कृषि व्यवसाय से जुड़े लोगों को वैश्विक कृषि-पर्यावरण और बाजारों के साथ भारतीय कृषि व्यवसाय के संबंध में नवीनतम सूचनाएं प्रदान करता है| इसमें कृषि-जिंसों, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, कृषि व्यवसाय के भावी क्षेत्रों, कृषि व्यापार और व्यापार नीतियों, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में विनियामक मुद्दों, विश्व व्यापार संगठन, सरकारी योजनाओं और सहायता, नवीनतम अंतरराष्ट्रीय समाचार और भारत से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बैंक की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर शोध रिपोर्ट होती हैं| यह अंग्रेजी, हिन्दी और दस क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित किया जाता है, जिनमें असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मराठी, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, तमिल, और तेलुगु शामिल हैं|

Attribution analysis क्या है?

Attribution analysis पोर्टफोलियो या फंड के प्रदर्शन का विश्लेषण और मूल्यांकन करने की एक तकनीक है। विशेष रूप से, जब आप एट्रिब्यूशन विश्लेषण लागू कर रहे होते हैं, तो आप यह समझने की कोशिश कर रहे होते हैं कि किसी विशिष्ट बेंचमार्क की तुलना में किसी निवेश ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया। आप इस शब्द को रिटर्न एट्रिब्यूशन या प्रदर्शन एट्रिब्यूशन के रूप में संदर्भित भी देख सकते हैं। निवेश के दृष्टिकोण से, आप निवेश विश्लेषण क्या है सोच रहे होंगे कि आप इस प्रकार का विश्लेषण क्यों करेंगे। और सरल उत्तर यह है कि फंड मैनेजर कितना अच्छा या खराब काम करता है, इसके आधार पर आपके लिए फंड क्या हो सकता है, इसका आकलन करना है। आप जिस बेंचमार्क का मूल्यांकन कर रहे हैं, वह निवेश विश्लेषण क्या है फंड के सापेक्ष रिटर्न को मापने के लिए आधार रेखा (Baseline) के रूप में कार्य करता है।

एट्रिब्यूशन विश्लेषण विश्लेषण का एक रूप है जो बताता है कि एक पोर्टफोलियो बाजार के बेंचमार्क से अलग प्रदर्शन क्यों करता है, जिसके परिणामस्वरूप एक सक्रिय रिटर्न मिलता है। एक्टिव रिटर्न एक पोर्टफोलियो के रिटर्न और मार्केट बेंचमार्क के रिटर्न के बीच के अंतर को दर्शाता है। पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार कुछ कारक हैं, यह स्टॉक का चयन, मार्केट टाइमिंग या फंड मैनेजर्स स्टाइल हो सकता है। एक फंड मैनेजर जिस विशिष्ट परिसंपत्ति वर्ग में निवेश करने का फैसला करता है, वह पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण होता है, साथ ही प्रबंधक द्वारा उपयोग की जाने वाली निवेश की शैली भी महत्वपूर्ण होती है। विविध अर्थशास्त्रियों के पास प्रबंधक की शैली और पोर्टफोलियो के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के विभिन्न तरीके हैं। Atomic Swap क्या है?

प्रभुदास लीलाधर की इन 2 स्टॉक्स में है निवेश की सलाह, जानिए क्या है टारगेट

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Prabhudas Lilladher has investment advice in these 2 stocks: घरेलू ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने अपने टेक्निकल विश्लेषण के आधार पर ऐसे 2 स्टॉक्स के नाम सुझाए है जिनमें उसकी मध्यम अवधि के नजरिए से निवेश की सलाह है। ये स्टॉक है Ramco Cements Ltd और Crompton Greaves Consumer Electricals ।

Ramco Cements- प्रभुदास लीलाधार ने रेमको सीमेंट पर जारी अपने नोट में कहा है कि यह स्टॉक 700-705 रुपये के करीब कंसोलिडेटड होने के बाद धीरे-धीरे तेजी दिखाता नजर आया है। इस तेजी के बाद यह स्टॉक 725 रुपये पर स्थिति अपने 50 EMA को पार करते हुए वर्तमान में अपने 200DMA को भी पार करने में करीब पहुंच गया है। इस स्टॉक के अहम टेक्निकल इंडिकेटर्स पर नजर डालें तो रिलेटिव स्ट्रैनथ इंडेक्स (RSI) भी ओवर सोल्ड जोन से बढ़त दिखा रहा है जो इस स्टॉक और तेजी आने के संकेत है।

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों निवेश विश्लेषण क्या है ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.

Fundamental Analysis

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.

Fundamental vs Technical Analysis

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क निवेश विश्लेषण क्या है निवेश विश्लेषण क्या है और ट्रैकिंग.

  • समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म निवेश विश्लेषण क्या है में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
  • रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
  • ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
  • वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.

टेक्निकल या फंडामेंटल विश्लेषण, दोनों में किस पर करें भरोसा?

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यह बताना मुश्किल है कि दोनों में से कौन बेहतर है. सफल निवेशकों दोनों ही विश्लेषणों का प्रयोग करते हैं.

1. फंडामेंटल विश्लेषण क्या है?
किसी शेयर के संभावित भविष्य का आंकलन कई व्यापक संकेतों के आधार पर किया जाता है. इसमें देश का जीडीपी, महंगाई दर, ब्याज दर के साथ-साथ कंपनी की बिक्री, मुनाफा क्षमता, रिटर्न ऑन इक्विटी, नकद स्थिति और लाइबिलिटी शामिल होते हैं.

2. क्या है तकनीकी विश्लेषण?
तकनीकी विश्लेषण में बाजार के एतिहासिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वॉल्यूम, ओपन इंट्रेस्ट आदि शामिल हैं. इसके आधार पर यह बताया जाता है कि भविष्य में शेयर की दिशा क्या होगी.

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