डा. ए. के. सिंह, , उप महानिदेशक (बागवानी)
बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25842068, 91-11-25842285/62/70/71 एक्स. 1422 ई-मेलः मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य ddghort[dot]icar[at]gov[dot]in, ddghort[at]gmail[dot]com

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस पर संत पापा फ्राँसिस का ट्वीट संदेश

वाटिकन सिटी, मंगलवार 20 दिसंबर 2022 (वाटिकन न्यूज) : विविधता में एकता का समारोह मनाने और एकजुटता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 दिसंबर को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाया जाता है। एकजुटता उन मूलभूत मूल्यों में से है मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए आवश्यक हैं। इस दिन संत पापा ने ट्वीट कर सभी लोगों को अपनी एकता का प्रमाण देने हेतु प्रेरित किया।

ट्वीट संदेश : "इस कठिन समय में हम जी रहे हैं, आइए हम उन अपीलों पर विश्वास करें जो पवित्र आत्मा हमें निर्देशित कर रहे हैं, ताकि हम उन लोगों को अपनी एकता का प्रमाण दे सकें जिनसे हम मिलते हैं और जो हमारे भाईचारे के समर्थन पर भरोसा करते हैं।"

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 2005 को संकल्प 60/209 द्वारा मानव एकता को एकजुटता के मौलिक और सार्वभौमिक अधिकारों के रूप में मान्यता दी गई थी, जो इक्कीसवीं सदी में लोगों के बीच संबंधों को दर्शाता है, और इस संबंध में ही प्रत्येक वर्ष 20 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया। एकजुटता को साझा हितों और उद्देश्यों के बारे में जागरूकता के रूप मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य में परिभाषित किया गया है जो एक ऐसे समाज में एकता और संबंधों की मनोवैज्ञानिक भावना पैदा करता है जो लोगों को एक साथ बांधता है।

मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य

Horticulture Division

विज़न
पोषण, पारिस्थितिकी और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवेश में बागवानी के सर्वांगीण एवं त्वरित विकास का दायित्व बागवानी संभाग को सौंपा गया है।

मिशन
बागवानी में प्रौद्योगिकी आधारित विकास

लक्ष्य
बागवानी में राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का नियोजन, सहयोग और निगरानी के साथ इस क्षेत्र में ज्ञान रिपोजटिरी की तरह कार्य करना।

संगठनात्मक ढांचा
बागवानी संभाग का मुख्यालय कृषि अनुसंधान भवन-।।, पूसा कैम्पस, नई दिल्ली में स्थित है। इस संभाग में दो कमोडिटी/सबजेक्ट विशिष्ट तकनीकी विभाग (बागवानी । और ।। के अलावा) और प्रशासन विंग, संस्थान प्रशासन-V विभाग है। उपमहानिदेशक (बागवानी) के नेतृत्व में कार्यरत इस संभाग में दो सहायक महानिदेशक, दो प्रधान वैज्ञानिक और एक उपसचिव (बागवानी) भी शामिल हैं। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग 10 केन्द्रीय संस्थानों, 6 निदेशालयों, 7 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं और 6 नेटवर्क प्रायोजनाओं/प्रसार कार्यक्रमों के जरिये भारत में बागवानी अनुसंधान पर कार्य कर रहा है।

Organizational Structure of Horticulture Division

प्राथमिकता वाले क्षेत्र
बागवानी (फलों में नट, फल, आलू सहित सब्जियों, कंदीय फसलें, मशरूम, कट फ्लावर समेत शोभाकारी पौधे, मसाले, रोपण फसलें और औषधीय एवम मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य सगंधीय पौधे) का देश के कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और कृषि जीडीपी में इसका योगदान 30.4 प्रतिशत है। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग इस प्रौद्योगिकी आधारित विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। आनुवंशिक संसाधन बढ़ाना और उनका उपयोग, उत्पादन दक्षता बढ़ाना और उत्पादन हानि को पर्यावरण हितैषी तरीकों से कम करना आदि इस क्षेत्र के अनुसंधान की प्राथमिकता है।

  • आनुवंशिक संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, बढ़ोतरी, जैव संसाधनों का मूल्यांकन और श्रेष्ठ गुणों वाली, उच्च उत्पादक, कीट और रोग सहिष्णु एवं अजैविक दबावों को सहने में सक्षम उन्नत किस्मों का विकास।
  • उत्पादकता बढाने हेतु अच्छी किस्मों के लिए सुधरी प्रौद्योगिकियों का विकास जो जैविक और अजैविक दबावों की सहिष्णु होने के साथ ही स्वाद, ताजगी, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने जैसी बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
  • विभिन्न बागवानी फसलों के लिए स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास द्वारा उत्पादन, गुणवत्ता की विविधता को कम करना, फसल हानि को कम करने के साथ बाजार गुणों में सुधार करना।
  • पोषक तत्वों और जल के सही उपयोग की पद्धति विकसित करना और नई नैदानिक तकनीकों की मदद से कीट और रोगों के प्रभाव को कम करना।
  • स्थानीय पारिस्थितिकी और उत्पादन पद्धति के बीच संबंध को समझकर जैवविविधता के संरक्षण और संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की पद्धतियों का विकास करना।
  • ऐसी उत्पादन पद्धति का विकास करना जिसमें कम अपशिष्ट निकले और अपशिष्ट के अधिकतम पुनर्उपयोग को बढ़ावा दे।
  • अधिक लाभ के लिए फलों, सब्जियों, फूलों की ताजगी को लम्बे समय तक बनाये रखना, उत्पाद विविधता और मूल्य संवर्धन।
  • समुदाय विशेष की आवश्यकता को समझकर संसाधनों के प्रभावी उपयोग और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए क्षमता निर्माण करना।

उपलब्धियां

भारतीय बागवानी की झलक

  • फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश।
  • आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि का शीर्ष उत्पादक देश।
  • मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश।
  • अंगूर, केला, कसावा, मटर, पपीता आदि की उत्पादकता में प्रथम स्थान
  • ताजा फलों और सब्जियों के मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य निर्यात में मूल्य के आधार पर 14 प्रतिशत और प्रसंस्करित फलों और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत वृद्धि दर।
  • बागवानी पर समुचित ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन और निर्यात मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य बढ़ा। बागवानी उत्पादों में 7 गुणा वृद्धि से पोषण सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई।
  • कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधन जिसमें फलों की 9240, सब्जी और कंदीय फसलों की 25,400, रोपण फसलों और मसालों की 25,800, औषधीय और सगंधीय पौधों की 6,250, सजावटी पौधों की 5300 और मशरूम की 984 प्रविष्टियां शामिल हैं।
  • आम, केला, नीबू वर्गीय फलों आदि जैसी कई बागवानी फसलों के उपलब्ध जर्मप्लाज्म का आणविक लक्षण वर्णन किया गया।
  • 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल-134, सब्जियां-485, सजावटी पौधे-115, रोपण फसलें और मसाले-467, औषधीय और सगंधीय पौधे-50 और मशरूम-5) के संकर विकसित किये गये। इसके परिणास्वरूप केला, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
  • सेब, आम, अंगूर, केला, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनन्नास, चीकू, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी आदि की निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का विकास किया गया।

भविष्य की रूपरेखा:

कृषि में वांछित विकास के लिए बागवानी क्षेत्र को प्रमुख भूमिका निभाने के लिए निम्न अनुसंधान प्राथमिकता के क्षेत्रों पर केंद्रित करना होगा:

  • विभिन्न पर्यावरण परिस्थितियों में उगाये जाने वाले फलों और सब्जियों के जीन और एलील आधारित परीक्षण
  • पोषण डायनेमिक्स एंड इंटरएक्शन
  • जैवऊर्जा और ठोस अपशिष्ट उपयोग
  • नारियल, आम, केला और पलवल का जीनोमिक्स
  • बागवानी फसलों में उत्पादकता और गुणता सुधार के लिए कीट परागणकर्ता
  • अपारम्परिक क्षेत्रों के लिए बागवानी किस्मों का विकास
  • फल और सब्जी उत्पादन में एरोपोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स तकनीकों का मानकीकरण
  • फलों और सब्जियों में पोषण गुणता का अध्ययन
  • बागवानी फसलों में कटाई उपरांत तकनीकी और मूल्य वर्धन
  • फलों और सब्जियों के लंबे भंडारण और परिवहन के लिए संशोधित पैकेजिंग

संपर्क सूत्र

डा. ए. के. सिंह, , उप महानिदेशक (बागवानी)
बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25842068, 91-11-25842285/62/70/71 एक्स. 1422 ई-मेलः ddghort[dot]icar[at]gov[dot]in, ddghort[at]gmail[dot]com

IPO से करना चाहते है कमाई तो ध्यान रखें ये अहम बातें वरना हो सकता है बड़ा नुकसान

आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ ( IPO ) में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है.

IPO से करना चाहते है कमाई तो ध्यान रखें ये अहम बातें वरना हो सकता है बड़ा नुकसान

आज के दौर में हर इंसान की चाहत होती है कि ऐसा काम करें जिसमें जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमा सकें. अपने पैसे को जल्दी बढ़ाने के लिए बाजार में मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य कई तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद है. शेयर बाजार और आईपीओ भी इन्हीं में से एक है. अगर आपकी रणनीति सही काम कर गई तो आप आईपीओ के जरिए जल्दी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन किसी भी निवेश के साथ उसका जोखिम भी जुड़ा होता है. ऐसा ही कुछ आईपीओ के साथ भी है.

आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है और कुछ में 400% भी है. 11 शेयरों ने अपने लिस्टिंग के दिन से लाभ देना शुरू कर दिया और 6 स्टॉक ने पहले दिन 70% से अधिक का रिटर्न दिया. हालांकि, आईपीओ निवेश कोई आसान नहीं हैं. ऐसे कई फेक्टर हैं, जिन पर आपको यह सुनिश्चित करने के लिए विचार करना चाहिए कि आपका आईपीओ नुकसानदायक होने देने के बजाय लाभदायक है. अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो आपको फायदे के बदले नुकसान उठाना पड़ सकता है.

किसी भी आईपीओ को खरीदने से पहले पूरा रिसर्च करें

आईपीओ तब जारी होता है जब कोई कंपनी पहली बार एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जा रहा है. लिस्टिंग के बाद जरूर कंपनियों को तिमाही आधार पर अपने प्रमुख वित्तीय आंकड़ों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. हालांकि, कंपनी के ‘सार्वजनिक होने’ से पहले की जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है. कंपनी के सभी प्रासंगिक आंकड़े वास्तव में डीआरएचपी या ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में होते हैं. बस ध्यान रखें कि इस तरह के ड्राफ्ट कंपनियां खुद ही फंड जुटाने के उद्देश्य से बनाती हैं, इसलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले रिसर्च बेहद अहम है.

मूल्यांकन पर ध्यान देना अहम

शेयरों का आवंटन प्राप्त करने के लिए जल्दबाजी में यह देखा गया है कि बहुत से निवेशक किसी कंपनी या उसके मौलिक विश्लेषण के मूल्यांकन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. हालांकि, डीआरएचपी में जो कुछ भी दिया गया है, उसके अलावा किसी कंपनी के लिए मौलिक विश्लेषण करने के लिए कोई अन्य डेटा पॉइंट्स उपलब्ध नहीं होते हैं. सार्वजनिक होने वाली कंपनियां आमतौर पर अपने निवेशकों से बहुत ज्यादा मूल्यांकन की उम्मीद करती है. आप हमेशा इसके बारे में सटीक विचार प्राप्त करने के लिए उस उद्योग में उसके समकक्षों या सामान्य प्रवृत्ति को परख सकते हैं. यदि सार्वजनिक होने वाली कंपनी अपनी तरह की पहली है, तो ऐसे में प्रतिस्पर्धी विश्लेषण करना और भी कठिन हो जाता है.

क्यूआईबी भागीदारी को मॉनिटर करें

सार्वजनिक होने वाली कोई मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य भी कंपनी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) या योग्य संस्थागत खरीदारों के लिए विशेष पिच बनाती है. क्यूआईबी सेबी-रजिस्टर्ड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, बैंक, म्यूचुअल फंड और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) हैं मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य जो आमतौर पर दूसरों की ओर से धन का निवेश करते हैं. स्टॉक की क्षमता का पता लगाने के लिए समर्पित नेटवर्क होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया में एक पार्टी होने के नाते क्यूआईबी की भागीदारी को अक्सर स्टॉक के भविष्य के प्रदर्शन का बैरोमीटर माना जाता है.

डीआरएचपी को अच्छे से पढ़ें

सभी कंपनियों को सार्वजनिक रूप से अपने बिजनेस ऑपरेशंस, राजस्व, संपत्ति, देनदारियों, बाजार परिदृश्य का विस्तृत विवरण देना अनिवार्य है, और वे अपने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में अपनी बढ़ी हुई पूंजी का उपयोग कैसे करेंगे, यह भी बताना होता है। निवेशकों को हर चीज के बारे में जानकारी देनी होती है ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। हालांकि, डीआरएचपी में भी कई तथ्य छिपे होते हैं, यदि आप विवरण को विस्तार से और गहराई से देखते हैं, तो आप निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण टेकअवे भी प्राप्त कर सकते हैं. ऐतिहासिक प्रदर्शन जैसे फेक्टर के साथ ही कंपनी अपने फंड का उपयोग कैसे करेगी, इस पर विशेष ध्यान दें. यदि यह अपने इच्छित उद्देश्य के रूप में आरएंडडी या व्यावसायिक विस्तार का दावा करता है, तो यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे भविष्य में विकास संभव है. लेकिन अगर धन उगाहने की पहल देनदारियों का भुगतान करना है, तो कंपनी की बैलेंस शीट और इसमें इसकी हिस्सेदारी का अधिक विस्तृत विश्लेषण करना बेहतर है.

टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं

आईपीओ और इन-डेप्थ एनालिसिस में जिस डायनामिज्म की आवश्यकता होती है, उसे देखते हुए त्रुटियों के लिए कम गुंजाइश छोड़ते हुए किसी को काम करने देना बेहतर होगा। आज, भारत में निवेश की सिफारिश करने वाले इंजन हैं जो 1 बिलियन से अधिक डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण करके बेंचमार्क नतीजों को सामने रखते हैं। अच्छी खबर यह है कि वे आईपीओ-केंद्रित सलाह भी देते हैं. आप यह समझने के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं कि किस आईपीओ में भाग लेना है और किसमें भाग नहीं लेना है.

कोई आईपीओ जितना आकर्षक हो सकता है, उससे जुड़ा रिस्क फेक्टर भी कुछ ऐसा है जिससे आपको सावधान रहना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखकर आईपीओ में निवेश करते हैं तो आपको लाभ मिल सकता है.

मुल्यांकन का अर्थ, परिभाषा और प्रकार

मुल्यांकन (Mulyankan) : यह दो शब्दों से मिलकर बना हैं- मूल्य-अंकन। यह अंग्रेजी के Evaluation शब्द का हिंदी रूपांतरण हैं। मापन जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों को अंक प्रदान करता हैं, वही मुल्यांकन उन अंकों का विश्लेषण करता हैं और उनकी तुलना दूसरों से करके एक सर्वोत्तम वस्तु या व्यक्ति का चयन करता हैं।

आज हम जनिंगे की मूल्यांकन क्या हैं, मूल्यांकन का अर्थ और परिभाषा, मूल्यांकन के प्रकार और मूल्यांकन और मापन में अंतर।

Table of Contents

मूल्यांकन (Mulyankan) क्या हैं?

मूल्यांकन का महत्व हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा हैं। वर्तमान समय में इसका उपयोग शिक्षा में, आर्मी में, या सम्मानित पदों में किया जाता हैं। इसके द्वारा एक उत्तम नागरिक का निर्धारण किया जा सकता हैं। मूल्यांकन Evaluation मापन द्वारा प्राप्त अंकों का विस्तृत अध्ययन करता हैं और यह अध्ययन वह सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक आधार पर करता हैं।

मुल्यांकन (Mulyankan) का अर्थ, परिभाषा और प्रकार

मूल्यांकन दो व्यक्तियों के मध्य उनके गुणों में व्याप्त भिन्नता को ज्ञात करने का भी कार्य करता हैं। इसके द्वारा यह पता चलता हैं कि किस व्यक्ति के अंदर कौन से गुण की मात्रा अधिक हैं।

मूल्यांकन की परिभाषा

मूल्यांकन की परिभाषा विभिन्न लोगों ने दी हैं जिसमें से कुछ परिभाषा इस प्रकार हैं- किसी वस्तु अथवा क्रिया के महत्व को कुछ सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मानदण्डों के आधार पर चिन्ह विशेषों में प्रकट करने की प्रक्रिया हैं।

मुल्यांकन mulyankan के प्रकार

1- संरचनात्मक मुल्यांकन
2- योगात्मक मुल्यांकन

1- संरचनात्मक मुल्यांकन – निर्माणाधीन कार्यो के मध्य जब किसी का मूल्यांकन किया जाता है उसे संरचनात्मक मुल्यांकन कहते हैं शिक्षा से इसको देखा जाए तो जब छात्र किसी कक्षा में होते हैं तो उनका यूनिट टेस्ट या टॉपिक टेस्ट लिया जाता हैं उसे ही संरचनात्मक मुल्यांकन (Sanrachnatmak mulyankan) कहा जाता हैं।

2- योगात्मक मुल्यांकन – इसका प्रयोग अंत में किया जाता हैं जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा हैं योग। अर्थात अंत में जब छात्रों की वार्षिक परीक्षा ली जाती हैं उसे ही योगात्मक मुल्यांकन कहा जाता है

मुल्यांकन और मापन में अंतर

  • मुल्यांकन (mulyankan) किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों का विश्लेषण करता हैं और मापन किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण को अंक प्रदान करती हैं जैसे किसी व्यक्ति की लंबाई, चोड़ाई, वजन आदि।
  • मुल्यांकन के 6 पद होते हैं और मापन के 4 पद होते हैं।
  • मापन सिर्फ अंको का निर्धारण करता हैं और मूल्यांकन में उसके अंको को दूसरे व्यक्ति के अंको के साथ उसकी तुलना की जाती हैं।
  • मापन मुल्यांकन का पहला चरण हैं और मुल्यांकन मापन का दूसरा चरण है अर्थात मुल्यांकन से पहले किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों का मापन किया जाता हैं।

शिक्षा में मुल्यांकन की उपयोगिता

मुल्यांकन के द्वारा छात्रों के व्यवहार उनकी रुचि, अभिरुचि का पता लगाया जाता हैं। इसके द्वारा छात्रों के मानसिक स्तर की जांच कर उनको उसके स्तर के अनुसार उन्हें कक्षा आवंटित की जाती हैं।

  • एक कक्षा से दूसरी कक्षा में प्रवेश हेतु मुल्यांकन का प्रयोग किया जाता हैं।
  • इसके द्वारा छात्रों के मध्य उनके गुणों में अंतर कर पाना संभव होता हैं।
  • मुल्यांकन (Mulyankan) के द्वारा छात्रों को मेधावी, मंद-बुध्दि और औसत स्तर में विभक्त कर उन्हें शिक्षा प्रदान की जाती हैं।
  • इसके द्वारा भिन्नता के सिद्धांत का अच्छे से ख्याल रखा जाता हैं, एवं उसके अनुरूप उनका विकास करने हेतु शिक्षण विधियों एवं प्रविधियों का निर्माण किया जाता हैं।

समय के अनुसार मुल्यांकन की प्रक्रिया में भी निरंतर बदलाव किए जाते रहे हैं, किसी भी वस्तु का महत्व तभी पता चलता हैं जब वह वेध हो अर्थात जिस वजह से उसका उपयोग और उसका निर्माण किया गया हैं वह उन उद्देश्यों की प्राप्ति करने में सक्षम हो। इसका पता हम मुल्यांकन द्वारा ही लगाते हैं कि वह वस्तु या व्यक्ति अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम हैं या नहीं।

दोस्तों आज आपने, मुल्यांकन, मुल्यांकन की परिभाषा, मुल्यांकन के प्रकार, मुल्यांकन और मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य मापन में अंतर (mulyankan kya hai) को जाना हमारी पोस्ट आपके प्रश्नों का उत्तर प्रदान कर रही हो और आप इससे संतुष्ट हुए हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

केन्‍द्रीय क्षेत्र: इस अधिनियम का कार्यान्‍वयन केन्‍द्र सरकार के प्राधिकरण द्वारा अथवा के अंतर्गत चलाए जा रहे किसी रोजगार अथवा रेल प्रशासन के संबंध में अथवा केन्‍द्र सरकार द्वारा अथवा के अंतर्गत स्‍थापित किसी बैंकिंग कंपनी, खान, आयल फील्‍ड अथवा प्रमुख बंदरगाह अथवा किसी निगम के संबंध में केन्‍द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।

केन्‍द्रीय क्षेत्र में समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 को लागू करने का कार्य मुख्‍य श्रम आयुक्‍त (केन्‍द्रीय) को सौंपा गया है जो केन्‍द्रीय औद्योगिक सम्‍पर्क मशीनरी (सीआईआरएम) का प्रमुख होता है। केन्‍द्र सरकार ने समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के प्रावधानों का कर्मचारियों जिन्‍हें फॉर्म डी में कर्मचारियों के रॉल का रखरखाव करना अपेक्षित है, द्वारा संगत पंजिकाओं/अभिलेखों को प्रस्‍तुत कर पालन किया जा रहा है अथवा नहीं, कर की जांच करने के उद्देश्‍य से निरीक्षक के रूप में श्रम इन्‍फोर्समेंट अधिकारियों की नियुक्ति की है। अधिनियम के किसी प्रावधान के उलंघन के संबंध में शिकायतों तथा पुरुष और महिला कामगारों को समान दर पर मजदूरी का भुगतान नहीं करने से उत्‍पन्‍न दावों की सुनवाई तथा निवारण करने के उद्देश्‍य के लिए प्राधिकरणों के रूप में सहायक श्रम आयुक्‍तों की नियुक्ति की गई है। सहायक श्रम आयुक्‍त द्वारा किए गए निर्णय के संबंध में शिकायतों की सुनवाई करने के लिए अपीलीय प्राधिकरणके रूप में क्षेत्रीय श्रम आयुक्‍तों की नियुक्ति की गई है।

राज्‍य क्षेत्र:केन्‍द्र सरकार द्वारा सृजित रोजगारों को छोड़कर सभी रोजगारों के संबंध में कार्यान्‍वयन का कार्य राज्‍य सरकार के पास है।

केन्‍द्रीय/राज्य सलाहकार समिति

महिलाओं के लिए बढ़ते रोजगार के अवसर मुहैया कराने तथा अधिनियम के प्रभावपूर्ण कार्यान्‍वयन के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करने करने के लिए सरकार को सलाह देने हेतु अधिनियम के अंतर्गत केन्‍द्र में एक केन्‍द्रीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। समिति का पुनर्गठन राजपत्र अधिसूचना दिनांक 12.10.2010 के तहत किया गया है। पुनर्गठित समिति की पहली बैठक माननीय श्रम एवं रोजगार मंत्री की अध्‍यक्षता के तहत दिनांक 22.02.2011 को हुई।

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