आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
We'd love to hear from you
We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800
Samudrik Shastra : सामुद्रिक शास्त्र में कामुक पुरुषों के बताए गये हैं कई लक्षण, देखते ही पहचान जाएंगे आप
सामुद्रिक शास्त्र में कामुक पुरुषों की पहचान के लिए कई लक्षण बताए गये हैं, जिन्हें देखकर आप आसानी से उनकी पहचान कर सकते हैं. कामुक पुरुष को उसके शरीर के आकार एवं बनावाट के माध्यम से पहचानने के लिए पढ़ें ये लेख
सनातन परंपरा में जीवन आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं का पूर्ण आनंद लेने के लिए पुरुषार्थ चतुष्टय यानी धर्म , अर्थ , काम , और मोक्ष का कांसेप्ट है . इन तीनों में जब हम काम की बात करते हैं तो इसका जुड़ाव क्या स्त्री और क्या पुरुष और क्या पशु सभी से होता है . काम की इच्छा किसी में कम तो किसी में ज्यादा पाई जाती है . सामुद्रिक शास्त्र में कामुक पुरुषों की पहचान के लिए कई लक्षण बताए गये हैं , जिन्हें देखकर आप आसानी से उनकी पहचान कर सकते हैं . सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार एक कामुक पुरुष की वासना उसके पूरे शरीर , आकार एवं बनावाट आदि से झलकती है . आइए जानते हैं कामुक पुरुषों की पहचान कराने वाले शारीरिक लक्षणों के बारे में –
- सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन पुरषों के पैरों की अंगुलियों के साथ मोटा और भारी अंगूठा होता है , ऐसे पुरुष कामुक होते हैं .
- जिन पुरुषों के कान मध्यम आकार के होते हैं और कान का निचला भाग मुलायम होता है , ऐसे पुरुषों में काम वासना की अधिकता पाई जाती है .
- जिन पुरुषों का माथा चौड़ा और बीच में हल्का सा उभार लिये होता है , ऐसे पुरुष प्राय : कामुक पाये जाते हैं .
- सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार ऐसे पुरुष जिनके बाल भारी एवं घने होते हैं , उनमें भी काम वासना की आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं अधिकता पाई जाती है .
- सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन पुरुषों का चेहरा गोल आकार का और गाल उभार लिये होते हैं , उनमें काम की अधिकता होती है .
- मान्यता है कि जिन पुरुषों के शरीर पर घने बाल होते हैं और उनकी छाती के बाल गर्दन तक पहुंच जाते हैं , ऐसे पुरुष प्राय : कामुक प्रवृत्ति के होते हैं .
- सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन पुरुषों की जांघें गोल , मजबूत एवं आपस में सटी हुई होती हैं , वे प्राय : कामुक प्रवृत्ति के होते हैं .
- कामुक एवं वासना प्रधान पुरुषों की पहचान उनके हाथों के लकीरों को देखकर भी की जा सकती है . यदि किसी पुरुष के हाथ में गोल एवं घुमावदार गहरी जीवन रेखा तथा उसके भीतर शुक्र के स्थान का उभरा एवं गुदगुदा होना उसके कामुक होने को दर्शाता है .
- जिन पुरुषों की हथेली एवं नाखून का रंग गुलाबी होता है , ऐसे पुरुष भी प्राय : कामुक पाये जाते हैं .
ये भी पढ़ें — Samudrik Shashtra : बड़ी आसानी से ठगे जाते हैं ऐसे अंगूठे वाले, जानें भाग्यवान लोगों के लिए क्या कहता है सामुद्रिक शास्त्र
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
साप्ताहिक अवलोकन राशिफल
मेष राशि वालों के लिए यह सप्ताह शानदार रहेगा। आपका व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन सब कुछ नियंत्रण में रहेगा। आपके पास एक व्यक्ति के रूप में बढ़ने और विकसित होने का अवसर भी होगा। वास्तव में, आप एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति के रूप में उभरेंगे जो हमेशा दूसरों की परवाह करता है और उन्हें बिना शर्त प्यार करता है। एक बार जब आप जीवन में अपनी प्राथमिकताओं को प्रोजेक्ट करना शुरू कर देंगे तो आपके परिवार को आपकी कीमत का एहसास होगा। कई मुद्दे और चुनौतियाँ होंगी, लेकिन आपको उन सभी को दूर करने के लिए पर्याप्त परिपक्व होना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए। कोई और आपके जीवन को प्रभावित नहीं कर सकता जैसा आप कर सकते हैं। मानदंड उठाओ और अपने जीवन के प्रत्येक पहलू के मूल्य को मापो। आपकी व्यावसायिक सफलता आपके कई सहयोगियों को ईर्ष्यालु और असुरक्षित बनाने वाली है। चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन आप उन्हें सही रास्ता दिखाकर उनकी मदद कर सकते हैं। जीवन में अपने तात्कालिक लक्ष्यों पर ध्यान दें ताकि आप अपने जीवन को आगे स्थिर कर सकें। यदि संभव हो तो आपको वैकल्पिक करियर के बारे में भी सोचने की जरूरत है। वित्तीय समस्याएं आपको चिंतित करने वाली हैं और आपको इस समय परेशान कर रही हैं। आपको यह याद रखने की जरूरत है कि यह जीवन का सिर्फ एक चरण है जो बहुत जल्द खत्म हो जाएगा। अपनी प्रवृत्ति में विश्वास और साहस रखें। इस मामले में आपके पार्टनर का पूरा सहयोग रहेगा। अगर आप मिलजुल कर काम करेंगे तो आप अपने जीवन को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे। एक जोड़े के रूप में आप सार्वजनिक रूप से कैसे बोलते हैं, इस बारे में बहुत सचेत रहें। यह सप्ताह ढेर सारी जिम्मेदारियां और समस्याएं लेकर आने वाला है। हालाँकि, आपके पास जीवन में कुछ बड़ा करने का विवेक होगा। अपनी समय प्रबंधन क्षमताओं पर ध्यान दें ताकि आप बहुत कम समय में बहुत से काम कर सकें। आपको जल्द ही वह सफलता मिलेगी जिसके लिए आप काम कर रहे हैं, और आपका भविष्य उज्जवल होगा।
रवीश इस्तीफ़ा प्रसंग : दो खेमे में बंटी मीडिया मंडली एक्टिविज्म के नाम पर सिर्फ पार्शियलिज्म करती नज़र आती है!
रवीश कुमार के इस्तीफे पर जब तक सोशल मीडिया के लड़ाके तलवार भांजते रहे, इग्नोर करता रहा। लेकिन जब पत्रकारिता के कई नामवर कवच-कुंडल के साथ इस मैदान में हुंकार भरने लगे तो स्वाभाविक रूप से असहज होने लगा। रवीश एक उम्दा टीवी प्रेजेंटर हैं, इसे उनके धुर विरोधी भी स्वीकार करेंगे। डिबेट पैनल में शामिल चुनिंदा अतिथियों से व्यंग और तंज भरे कुटिल अंदाज़ में चर्चा पर भी ऐतराज नहीं। इसे उनका सिग्नेचर स्टाइल मानकर स्वीकार किया जा सकता है।
लेकिन उन्हें आधुनिक पत्रकारिता का धर्मगुरु मानते हुए यह घोषणा करना कि उनके एनडीटीवी से नाता तोड़ लेने भर से एक युग का अंत हो गया, समझ से परे है। सवाल यह कि अगर किसी पेशेवर का किसी संस्थान विशेष से बिलगाव युगांत है तो फिर उस आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं पेशेवर की शख्सियत उसकी निजी उपलब्धि है या संस्थान की माया? इस पर सोचा जाना चाहिए।
दूसरे, जिस तरह पत्रकारीय निष्पक्षता और पक्षधरता का भेद मिटाने का कलंक कथित गोदी मीडिया के नुमाइंदों पर लगता रहा है, उससे क्या खुद रवीश कुमार बरी दिखते हैं? क्या यह सच नहीं कि उनकी पत्रकारिता में एक खास पक्षधरता साफ परिलक्षित होती रही है? वह भी अब तक एक खास एजेंडे को ही आगे बढ़ाते नज़र आए हैं? अगर ऐसा नहीं तो फिर उनकी आम पहचान मोदी विरोधी की क्यों? फिर वो जो कर रहे थे वह मोदी विरोधी तमाम राजनीतिक दलों के नुमाइंदों से इतर कैसे? क्यों आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं रवीश के समर्थक और विरोधी भी अपने सियासी रुझानों के सापेक्ष बंटे हैं? इन सवालों पर भी सोचा जाना चाहिए।
रवीश कुमार टीवी स्टूडियो में बैठकर जिस तरह एक दल विशेष की सरकार के खिलाफ मुहिम चलाते रहे, उससे कहीं ज्यादा मुखर विरोध तो विरोधी दलों के प्रवक्ता उसी स्टूडियो में और उनके ही शो में करते रहे। अगर इस तरह रवीश देश की सोई या भटकी हुई जनता को जगा रहे थे तो यह काम कहीं ज्यादा ऊंची आवाज में विरोधी नेता-प्रवक्ता या विरोधी दल के समर्थक करते रहे। तो क्या रवीश से बड़ा सामाजिक-राजनीतिक मार्गदर्शक पत्रकार उन्हें ही नहीं मान लिया जाना चाहिए? जिस सरकार के विरोध का एजेंडा रवीश चलाते रहे, उसके खिलाफ अब तक कितने तथ्यात्मक खुलासे किए उन्होंने? चाहते तो नया ‘तहलका’ क्रिएट कर सकते थे। चैनल प्रबंधन का अभूतपूर्व समर्थन हासिल था उन्हें।
जरा सोचिए, सिर्फ विपक्षी दलों द्वारा सरकार के खिलाफ रची जाने वाली अवधारणाओं को टीवी चैनल आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं के जरिए अपने अंदाज में जनता के सामने परोसने के अलावा उन्होंने सरकार की किन कारगुजारियों का खुलासा अपने पत्रकारीय कौशल से किया? दूसरी तरफ, अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के पत्रकार यही कौशल लगातार दिखा रहे हैं। ‘टेलीग्राफ’ के पन्नों पर भी यह कौशल स्पष्ट दृष्टिगोचर है। लेकिन उन रिपोर्टरों के नाम तक हमें याद नहीं। इसलिए कि वे सिर्फ तथ्यात्मक खुलासे तक सीमित रहते हैं, पक्षधरता का ठेका नहीं उठाते। आज के ज्यादातर हिंदी अखबार जरूर यह जज्बा और हौसला नहीं दिखा पा रहे, जो बेहद अफसोसनाक है। उनकी तारीफ सिर्फ इसलिए हो सकती है कि वे आज भी विभाजन रेखा पर खड़े हैं।
निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए हमें मीडिया एक्टिविज्म और पार्शियलिज्म के अंतर को ठीक से समझना होगा। मीडिया एक्टिविज्म के तहत किसी खास विषय, मुद्दा या प्रकरण की तह तक पहुंचने और उसे पूरी निष्पक्षता के साथ जनहित में सार्वजनिक करने की प्रवृत्ति होती है, जबकि किसी दल, सम्प्रदाय या अन्य जनसमुच्चय के पक्ष या विपक्ष में इसका विश्लेषण/प्रस्तुतिकरण पार्शियलिज्म। इस लिहाज से दो खेमे में बंटी मीडिया मंडली एक्टिविज्म के नाम पर सिर्फ पार्शियलिज्म करती नज़र आएगी। चाहे सियासी लकीर के आर हो या पार। जिसे हम गोदी मीडिया कहते हों या लुटियंस मीडिया। एक्टिविज्म तो किसी ओर नहीं।
यह एक्टिविज्म इन पारंपरिक मीडिया से कहीं ज्यादा मुखर तो सोशल मीडिया पर है। स्टिंग ऑपरेशन तक अब पार्टियां खुद कर रही हैं, जिन्हें तमाम पारंपरिक मीडिया सिर्फ अपने-अपने गुण-धर्म के हिसाब से अपने-अपने दर्शक-पाठक समूहों तक पहुंचा रहा है।
ब्रिटेन नहीं इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन कहिए!
ब्रिटेन की जनसंख्या में बड़े बदलाव आये हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिटेन में ईसाइयों की आबादी आधी से भी कम रह गई है। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिमों की जनसंख्या तेजी से आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं बढ़ी है। यह आंकड़े ब्रिटेन के भविष्य को लेकर सतर्क होने के लिए चेताते हैं।
जरा सोचिए कि आप एक ऐसे देश में रहते हैं जहां कई धर्म के लोग साथ रह रहे हों और आप उस देश में बहुसंख्यक वाले धर्म में आते हैं। फिर से सोचिए कि अचानक ही उस देश के मूल धर्म की जनसंख्या तेजी से घटने लगे, वहीं दूसरे अल्पसंख्यक वाले धर्म की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने लगे, तो इस पर आप क्या कहेंगे? क्या रातों-रात किसी देश के मूल धर्म की जनसंख्या में गिरावट आना संभव है? क्या इसके पीछे कोई जादू है? बिलकुल नहीं। लेकिन ब्रिटेन में तो ऐसा ही हो रहा है, जहां अब मुस्लिम जनसंख्या ईसाइयों को भी पीछे छोड़ती नजर आ रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ब्रिटेन अब इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन बनने की ओर बढ़ रहा है।
घट रही ईसाईयों की जनसंख्या
ब्रिटेन का आधिकारिक धर्म ईसाई है। ब्रिटेन में हमेशा से ही ईसाईयों की संख्या अधिक रही है। परंतु अब इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। ब्रिटेन में प्रमुख ईसाई धर्म की जनसंख्या तेजी के साथ घटती जा रही है जबकि मुस्लिमों की आबादी में वृद्धि हो रही है। हाल ही में सामने आए जनगणना के आंकड़े इसका प्रमाण देते हैं। आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में ईसाई आबादी अब तक के इतिहास में सबसे कम हो गयी है। यहां ईसाईयों की आबादी में 13 प्रतिशत से अधिक की बड़ी गिरावट सामने आई है।
ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) ने हाल में जनगणना का डेटा जारी किया है। साल 2021 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में अब 46% ही आबादी ही ऐसी है, जो स्वयं को ईसाई धर्म का मानती हैं, जबकि एक दशक पूर्व यानी साल 2011 में हुए जनगणना में यह जनसंख्या 59.3 प्रतिशत थी। किसी देश के मूल धर्म में 13 प्रतिशत की गिरावट आना कोई सामान्य बात है क्या? ऐसा पहली बार जब यहां ईसाई धर्म की आबादी आधी से भी कम आबादी रही। इसकी संख्या की बात करें तो ये करीब 27.5 मिलियन है। वहीं 2011 में 59.3 प्रतिशत यानी 33.3 मिलियन लोग ईसाई धर्म के थे।
मुस्लिमों की आबादी बढ़ी
दूसरी ओर इन 10 सालों के अंतराल में ब्रिटेन में मुस्लिमों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा समय में ब्रिटेन में 39 लाख मुस्लिम रहते हैं जिनकी कुल आबादी में 6.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। दस वर्षों पूर्व इनकी जनसंख्या 27 लाख के आसपास थीं। इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। अगर हम पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि पिछले कई सालों से ब्रिटेन इस्लामिस्टों का पनाह गृह बन रहा है।
इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन में इस्लामिस्टों का आतंक
उदाहरण के लिए सितंबर माह में यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर में हुई हिंसा की ही बात ले लीजिये। ब्रिटेन के लीसेस्टर शहर में हिंदू और मुस्लिम के बीच तनाव की खबरें सामने आयी थी। पूरे विवाद की शुरुआत एशिया कप मैच में 28 अगस्त को पाकिस्तान की हार से हुई थी। जिसके बाद यहां मुस्लिम समुदाय द्वारा लीसेस्टर शहर में रहने वाले मासूम हिंदुओं को निशाना बनाया था। इतना ही नहीं इन इस्लामिस्टों ने हिंदू मंदिर और युवाओं पर भी हमलों का कहर बरसाया था। इस दौरान बिना किसी भय के सार्वजनिक रूप से इन्होंने पवित्र धार्मिक ध्वज को फाड़कर उसका अपमान कर उसे जला दिया था।
इसके कुछ दिनों बाद कट्टरपंथी और शांतिप्रिय समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स के स्मेथविक शहर में ऐसे ही व्यवहार का प्रदर्शन किया था। इस दौरान कथित रूप से मुस्लिम समुदाय से जुड़े लगभग 200 लोग शहर के एक हिंदू मंदिर के बाहर योजनाबद्ध रूप से विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे। इस दौरान कई लोगों ने ‘अल्ला-हु अकबर’ तक लगाए थे।
स्पष्ट तौर पर ब्रिटेन इस्लामिस्टों का अड्डा बनता नजर आ रहा है। वहीं ब्रिटेन के दिल में भी इनके लिए किस प्रकार से प्रेम उमड़ रहा है, यह हमें कुछ समय पूर्व तब देखने मिला था जब ‘क्रिकेट का मक्का’ कहे जाने वाले लॉर्ड्स को वास्तव में ‘मक्का’ ही बना दिया गया था। घटना 21 अप्रैल 2022 ईद के मौके की है, जब इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने तथाकथित वोक दिवस मनाया था। इस दौरान अंग्रेजी बोर्ड ने रमजान के मौके पर लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में पहली इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इसमें कई पूर्व और वर्तमान दिग्गज महिला और पुरुष क्रिकेटरों ने भी भाग लिया। पार्टी का आयोजन ईसीबी के आईटी हेल्पडेस्क की मैनेजर तमिना हुसैन ने किया था। इफ्तार लॉर्ड्स लॉन्ग रूम में हुआ, जहां नमाज़ भी अदा की गई।
ब्रिटेन को जनसंख्या में आये बदलाव के यह आंकड़े भविष्य के चताते हैं कि वो समय रहते सतर्क हो जाए और इस्लामिस्टों के प्रति नरमी दिखाना बंद कर दें। नहीं तो उसे इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन बनते देर नहीं लगेगी।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 291