यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बासमती चावल और उच्च गुणवत्ता वाली चाय के लिए ईरान भारत का प्रमुख निर्यात बाजार है। भारत से चाय के कुल विदेशी लदान का पांचवां हिस्सा ईरान को भेजा जाता है। इसी तरह, बासमती चावल के मामले में पिछले वित्त वर्ष में भारत से कुल बासमती चावल निर्यात का एक चौथाई हिस्सा ईरान को गया।
ईरान में भारतीय चावल-चाय का आयात बंद
वाणिज्य विभाग ने कृषि मंत्रालय और तेहरान में भारतीय दूतावास से अनुरोध किया है कि वे इस बात की जानकारी दें कि ईरानी खरीदारों ने भारत से चावल और चाय का आयात क्यों बंद कर दिया है। एक सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। निर्यातकों ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली चाय और चावल जैसी वस्तुओं का निर्यात पिछले सप्ताह से ठप पड़ा है। उन्होंने कहा कि अब तक अधिकारियों की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है और तेहरान दूतावास से भी प्रतिक्रिया में वक्त लग रहा है।
भारतीय चाय संघ के सचिव (निर्यात) सुजीत पात्र ने कहा, ‘यह एक बड़ी चिंता का विषय रहा है क्योंकि भारत बड़ी मात्रा में ईरान को उच्च गुणवत्ता वाली परंपरागत चाय का निर्यात करता है। असम से परंपरागत चाय अधिक मात्रा में ईरान जाती है। ईरान के बाजार में भारतीय चाय की काफी अधिक मांग है। हम वाणिज्य विभाग, डीजीएफटी और तेहरान में दूतावास से यह जानना चाहते हैं कि खरीदारों ने अचानक भारत से चाय और चावल खरीदना क्यों बंद कर दिया है।’
अटल पेंशन योजना
भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:
Tips and Tricks: आपके बिजनेस को मुनाफा दिलाने में मददगार हो सकता है ये तरीका, जानें अपने फायदे की बात
ई-मार्केटिंग (E-Marketing) के जरिए आप अपने प्रोडक्ट्स की रीच को तमाम कस्टमर्स तक पहुंचा सकते हैं और इससे आपका प्रोडक्ट प्रमोट होता है. ऐसे में आपके बिजनेस को अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता हैं.
आज के समय में इंटरनेट के जरिए तमाम काम घर बैठे ही आसानी से हो जाते हैं. चाहे बैंकिंग हो, टिकट बुक करवानी हो या ईमेल एक्सेस करना हो, सब मोबाइल पर इंटरनेट की मदद से झटपट किया जा सकता है. इसी तरह आप अपने बिजनेस या किसी खास प्रोडक्ट को भी इंटरनेट की मदद से आसानी से प्रमोट कर सकते हैं. वैसे तो प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया, ब्लॉग या वेबसाइट जैसे कई जरिए हैं, लेकिन आज हम आपको बताएंगे ई-मार्केटिंग के बारे में. ई-मार्केटिंग यानी ईमेल मार्केटिंग, जो आपके प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए बेहद कारगर हो सकती है.
ई-मार्केटिंग के फायदे
- ईमेल मार्केटिंग के जरिए आप अपने प्रोडक्ट्स को कम खर्च में ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं. इससे आपके प्रोडक्ट का अच्छा खासा प्रमोशन हो जाता है.
- ईमेल मार्केटिंग के जरिए आप अपने कस्टमर से सीधे तौर पर जुड़ जाते हैं, जिससे आपके और उसके बीच सवाल-जवाब भी हो सकता है. इससे आपके और कस्टमर के बीच विश्वसनीयता बढ़ती है.
- छोटे व्यवसाय को प्रोत्साहित करने या उसका प्रचार करने के लिए ये बेहतर विकल्प हो सकता है. वैसे आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियां भी ईमेल मार्केटिंग की मदद से अपने प्रोडक्ट्स, ऑफर्स आदि की जानकारी देती हैं.
- ईमेल मार्केटिंग को तमाम उपकरणों के जरिए आप ट्रैक भी कर सकते हैं. कि जब आप कस्टमर को एक ईमेल क्यों व्यापार विदेशी विकल्प भेजते हैं, तो डिलीवरी रेट, बाउंस रेट, अनसब्सक्राइब रेट, क्लिक रेट और ओपन रेट को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं.
Elon Musk news: जानिए क्यों Twitter के हेड ऑफिस में लगे हैं बिस्तर और वॉशिंग मशीन, क्या है Elon Musk का नया प्लान
नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले
नई दिल्ली:
सोशल मीडिया पर इन दिनों Twitter के हेडक्वार्टर की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। यह तस्वीरें सैन फ्रांसिस्को हेडक्वार्टर की हैं। इन तस्वीरों में दिख रहा है कि Twitter के हेड ऑफिस में बिस्तर लगे हुए हैं। वॉशिंग मशीन लगी है। एलन मस्क (Elon Musk ) ने ऑफिस की कुछ जगह को बेडरूम में बदल दिया है। इन फोटो को देखकर लोग हैरान हैं और तेजी से शेयर कर रहे हैं। यह तस्वीरें दिखा रही हैं कि ट्विटर के ऑफिस के अंदर कर्मचारियों के सोने की व्यवस्था की गई है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, क्योंकि यह बिल्डिंग कमर्शियली यूज के लिए रजिस्टर है। इसलिए सैन फ्रांसिस्को डिपार्टमेंट ऑफ बिल्डिंग इंस्पेक्शन इन फोटो को देखकर एक्शन में आ गया है और जांच शुरू कर दी है।
कौन हैं संजय पुगलिया? (Who is Sanjay Pugalia?)
संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) मूल रूप से झारखंड के साहिबगंज जिले के रहने वाले हैं। पुगलिया दो भाई हैं और इनके पिता जूट, कपड़ा और खाद्यान्न का व्यापार करते थे। संजय पुगलिया की पत्नी का नाम संगीता पुगलिया हैं, । मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संजय पुगलिया के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वो पत्रकार बनें इसलिये इसका तीखा विरोध भी किया।
संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) कहते हैं कि मैंने शुरू से ही तय कर लिया था कि मुझे पारिवारिक बिजनेस क्यों व्यापार विदेशी विकल्प में कतई नहीं जाना है, बल्कि अपना खुद का नाम बनाना है। indiantelevision.com को दिये एक इंटरव्यू में संजय पुगलिया कहते हैं कि ‘मैं बिजनेस नहीं करना चाहता था। मेरे सामने IAS या IPS जैसे विकल्प रखे गए थे, लेकिन मैं पढ़ाई में भी कुछ खास नहीं था। मन नहीं लगता था और हमेशा खुद से सवाल करता था कि ये क्यों पढ़ रहा हूं? इसका क्या हासिल है।’
कुछ ऐसी है संजय पुगलिया की लाइफस्टाइल
indiantelevision.com को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि ज्यादातर वीकेंड पर वह अपनी पत्नी के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। इसके अलावा वह कहीं मूवी देखने जाते हैं या फिर कहीं किसी शांत जगह पर डिनर करना पसंद करते हैं। पुगलिया साक्षात्कार के दौरान बताते हैं कि उन्हें यात्रा करना बेहद पसंद है। यदि किसी को घूमना पसंद है तो उसे लॉस वेगास की यात्रा जरूर करनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उन्हें साउथ मुंबई में सी लाउन्ज पर समय बिताना पसंद है।
पत्रकारिता में कैसे आए संजय पुगलिया?
संजय पुगलिया कहते हैं कि 80 का दशक बहुत उथल-पुथल भरा था। इमरजेंसी के ठीक बाद मीडिया, लोकतांत्रिक मसलों पर खूब मुखर हो गई थी। इस दौर में एक दिन मेरी निगाह ‘रविवार’ मैगजीन पर पड़ी, क्यों व्यापार विदेशी विकल्प जिसके संपादक एसपी सिंह थे। मैं उस मैगजीन को देखकर इतना प्रभावित हुआ कि उसी वक्त पत्रकारिता में अपना करियर बनाने का फैसला ले लिया
संजय पुगलिया ने अपने परिवार और खासकर, पिता के तमाम विरोध के बावजूद साल 1982 में अपना घर छोड़ दिया और मुंबई आ गए। यहां 2000 रुपये के मासिक वेतन पर “नवभारत टाइम्स” में नौकरी की शुरुआत की।
पुगलिया ने नवभारत टाइम्स के साथ दस साल तक काम किया और बाद में दिल्ली आ गए। यहां 3 साल तक “बिजनेस स्टैंडर्ड” के साथ काम किया और बाद में “आजतक” में डिप्टी एग्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर के रूप में जॉइन किया। फिर साल 2000 में कुछ दिनों के लिए ऑस्ट्रेलिया के नाइन नेटवर्क से जुड़े। क्यों व्यापार विदेशी विकल्प साल 2001 में संजय पुगलिया ने ज़ी न्यूज़ में बतौर संपादक ज्वाइन किया।
आपातकाल में देना क्यों व्यापार विदेशी विकल्प चाहते थे गिरफ्तारी
द क्विंट (The Quint) के लिए लिखे एक संस्मरण में संजय पुगलिया ने विस्तार से लिखा है कि किस तरह इमरजेंसी के दिनों में वे सक्रिय रहे थे। पुगलिया लिखते हैं कि आपातकाल से ठीक पहले जयप्रकाश (जेपी) का आंदोलन तेज हो गया था। तब गिरफ्तारियां देने की प्रथा थी। मैंने भी सोचा या था कि विरोध प्रदर्शनों में शामिल होऊंगा और अपनी गिरफ्तारी दूंगा, लेकिन मेरी उम्र आड़े आ गई।
संजय पुगलिया लिखते हैं कि मेरी गिरफ्तारी नहीं हुई तो जेल की तरफ पैदल ही चल पड़ा था। जब पहुंचा तो देखा जेल छोटी थी और सैकड़ों लोगों को क्यों व्यापार विदेशी विकल्प गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जेल के बाहर एक खुला जेल जैसा शिविर स्थापित किया जहां इन गिरफ्तार लोगों को एक दिन रहना था। पिकनिक जैसा लग रहा था। जब मैं वहां पहुंचा तो मुझे उस ग्रुप में शामिल होने से किसी क्यों व्यापार विदेशी विकल्प ने नहीं रोका। मैंने खुद को दिलासा दिया कि मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 710