डेली न्यूज़
व्यापार लागत को कम करने के उद्देश्य से भारतीय राष्ट्रीय एक्सचेंज सदस्यों के संघ (Association of National Exchanges Members of India-ANMI) ने भारत सरकार से दीर्घकालीन पूंजी लाभ कर (Long Term Capital Gains Tax) और प्रतिभूति लेन-देन कर (Securities Transaction Tax-STT) को वापस लेने का आग्रह किया है।
भारतीय पूंजी बाजार ने बड़े-बड़े दिग्गज देशों को पछाड़ा, पिछले साल रहा शानदार प्रदर्शन
Indian Capital Market : अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों एवं चीन एवं ब्राजील जैसे विकासशील देशों समेत दुनिया के प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार में निवेश पर प्रतिफल बेहतर रहा.
म्यूचुअल फंड की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 11.4 प्रतिशत बढ़कर 24 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई. (फाइल)
भारतीय पूंजी बाजार का प्रदर्शन पिछले वित्त वर्ष कई बड़े पूंजी बाजारों से अच्छा रहा. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों एवं चीन एवं ब्राजील जैसे विकासशील देशों समेत दुनिया के प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार में निवेश पर प्रतिफल बेहतर रहा. मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच बंबई शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स ने 17.3 प्रतिशत का प्रतिफल जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी के 14.9 प्रतिशत के मुकाबले बेहतर है. यह प्रदर्शन अमेरिका (7.6 प्रतिशत), ब्रिटेन (3.2 प्रतिशत), चीन (2.5 प्रतिशत की गिरावट), ब्राजील (11.8 प्रतिशत), जापान (1.2 प्रतिशत की गिरावट), दक्षिण कोरिया (12.5 प्रतिशत की गिरावट) तथा हांगकांग (3.5 प्रतिशत की गिरावट) के मुकाबले बेहतर है.
इन देशों में शेयर बाजारों के रिटर्न का विश्लेषण करने से यह पता चलता है कि 2017-18 में भारतीय मानक सूचकांकों का प्रदर्शन अमेरिका, ब्राजील, जापान, दक्षिण कोरिया तथा हांगकांग से कमजोर रहा था. हालांकि ब्रिटेन और चीन के मुकाबले बेहतर था. मानक सूचकांकों के सकारात्मक प्रदर्शन तथा बाजार से बढ़ी हुई मात्रा में कोष जुटाने के साथ भारत में पूंजी बाजार का आकार 2018-19 में बढ़ा. यह 6 प्रतिशत बढ़कर 151 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया.
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 11.4 प्रतिशत बढ़कर 24 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई. वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के माध्यम से लगायी संपत्ति 8.6 प्रतिशत बढ़कर 30 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई. उल्लेखनीय है कि वैश्विक तथा घरेलू समस्याओं के कारण 2018-19 अपेक्षाकृत कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान पूंजी बाजार से पूंजी जुटाने के मामले में भी वृद्धि देखी गई. बॉन्ड और इक्विटी के जरिये जुटाई गई राशि 5.3 प्रतिशत बढ़कर करीब 9 लाख करेड़ रुपये पहुंच गई.
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सितंबर 2018 से कुछ मामलों खासकर स्थिर आय वाली प्रतिभूतियों के मोर्चे पर नकारात्मक गतिविधियों के बावजूद दहाई अंक में रिटर्न आया. म्यूचुअल फंड के मामले में बॉन्ड से जुड़े कोष से धन निकासी की गई. इसका कारण सितंबर 2018 से बांड बाजार की गतिविधियां रही. हालांकि इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड में पूंजी प्रवाह जारी रहा. इक्विटी एवं अन्य प्रकार के म्यूचुअल फंड में संयुक्त रूप से 2018-19 में 1.58 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया जो 2017-18 में 2.84 लाख करोड़ रुपये था.
भारतीय पूंजी बाजार में दिसंबर तक पी-नोट्स के जरिये निवेश बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर
नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) भारतीय पूंजी बाजारों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश दिसंबर, 2021 के अंत तक बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले महीने पी-नोट्स के जरिये निवेश का प्रवाह ‘स्थिर या नकारात्मक’ रहेगा। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें उचित जांच-परख की प्रक्रिया को पूरा करना होता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के
पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें उचित जांच-परख की प्रक्रिया को पूरा करना होता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश का मूल्य दिसंबर, 2021 के अंत तक बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर के अंत तक 94,826 रुपये था। इनमें शेयर, बांड और हाइब्रिड प्रतिभूतियां तीनों शामिल हैं।
इससे पहले अक्टूबर के अंत में निवेश का स्तर 1.02 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च, 2018 के बाद सबसे अधिक था। उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 1.06 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
सेबी के पास पंजीकृत पीएमएस पाइपर सेरिका के भारत में पूँजी बाजार संस्थापक और कोष प्रबंधक अभय अग्रवाल ने कहा कि दिसंबर के पी-नोट्स के आंकड़े एक ‘सपाट’ प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। इनसे पता चलता है कि शेयरों में लगभग 675 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार में 716 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ है।
उन्होंने कहा कि पी-नोट्स के जरिये निवेश का यह प्रवाह हैरान करने वाला है क्योकि एफपीआई ने दिसंबर में शेयर और बांड बाजार में जबर्दस्त बिकवाली की है। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों से 19,026 करोड़ रुपये और बांड बाजार से 11,799 करोड़ रुपये निकाले हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक माह के आंकड़ों के आधार पर दीर्घावधि के रुझान का आकलन नहीं किया जा सकता।
दिसंबर, 2021 तक पी-नोट्स के जरिये कुल 95,501 करोड़ रुपये के निवेश में से 84,948 करोड़ रुपये शेयरों में, 10,322 करोड़ रुपये बांड में, 231 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में डाले गए हैं।
राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि पी-नोट्स के जरिये शेयरों में निवेश लगभग छह माह के निचले स्तर पर है। हालांकि, बांड बाजार में इसके जरिये निवेश का प्रवाह बढ़ा है। ‘‘वैश्विक स्तर पर भी भारत में पूँजी बाजार भारत में पूँजी बाजार कुछ इसी तरह रुझान देखने को मिल रहा है।’’
भारतीय पूंजी बाजार में दिसंबर तक पी-नोट्स के जरिये निवेश बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर
नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) भारतीय पूंजी बाजारों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश दिसंबर, 2021 के अंत तक बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले महीने पी-नोट्स के जरिये निवेश का प्रवाह ‘स्थिर या नकारात्मक’ रहेगा। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें उचित जांच-परख की प्रक्रिया को पूरा करना होता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के
पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें उचित जांच-परख की प्रक्रिया को पूरा करना होता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश का मूल्य दिसंबर, 2021 के अंत तक बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर के अंत तक 94,826 रुपये था। इनमें शेयर, बांड और हाइब्रिड प्रतिभूतियां तीनों शामिल हैं।
इससे पहले अक्टूबर के अंत में निवेश का स्तर 1.02 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च, 2018 के बाद सबसे अधिक था। उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 1.06 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
सेबी के पास पंजीकृत पीएमएस पाइपर सेरिका के संस्थापक और कोष प्रबंधक अभय अग्रवाल ने कहा कि दिसंबर के पी-नोट्स के आंकड़े एक ‘सपाट’ प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। इनसे पता चलता है कि शेयरों में लगभग 675 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार में 716 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ है।
उन्होंने कहा कि पी-नोट्स के जरिये निवेश का यह प्रवाह हैरान करने वाला है क्योकि एफपीआई ने दिसंबर में शेयर और बांड बाजार में जबर्दस्त बिकवाली की है। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों से 19,026 करोड़ रुपये और बांड बाजार से 11,799 करोड़ रुपये निकाले हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक माह के आंकड़ों के आधार पर दीर्घावधि के रुझान का आकलन नहीं किया जा सकता।
दिसंबर, 2021 तक पी-नोट्स के जरिये कुल 95,501 करोड़ रुपये के निवेश में से 84,948 करोड़ रुपये शेयरों में, 10,322 करोड़ रुपये बांड में, 231 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में डाले गए हैं।
राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि पी-नोट्स के जरिये शेयरों में निवेश लगभग छह माह के निचले स्तर पर है। हालांकि, बांड बाजार में इसके जरिये निवेश का प्रवाह बढ़ा है। ‘‘वैश्विक स्तर पर भी कुछ इसी तरह रुझान देखने को मिल रहा है।’’
भारतीय पूंजी बाजार ने बड़े-बड़े दिग्गज देशों को पछाड़ा, पिछले साल रहा शानदार प्रदर्शन
Indian Capital Market : अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों एवं चीन एवं ब्राजील जैसे विकासशील देशों समेत दुनिया के प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार में निवेश पर प्रतिफल बेहतर रहा.
म्यूचुअल फंड की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 11.4 प्रतिशत बढ़कर 24 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई. (फाइल)
भारतीय पूंजी बाजार का प्रदर्शन पिछले वित्त वर्ष कई बड़े पूंजी बाजारों से अच्छा रहा. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों एवं चीन एवं ब्राजील जैसे विकासशील देशों समेत दुनिया के प्रमुख बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार में निवेश पर प्रतिफल बेहतर रहा. मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच बंबई शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स ने 17.3 प्रतिशत का प्रतिफल जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी के 14.9 भारत में पूँजी बाजार प्रतिशत के मुकाबले बेहतर है. यह प्रदर्शन अमेरिका (7.6 प्रतिशत), ब्रिटेन (3.2 प्रतिशत), चीन (2.5 प्रतिशत की गिरावट), ब्राजील (11.8 प्रतिशत), जापान (1.2 प्रतिशत की गिरावट), दक्षिण कोरिया (12.5 प्रतिशत की गिरावट) तथा हांगकांग (3.5 प्रतिशत की गिरावट) के मुकाबले बेहतर है.
इन देशों में शेयर बाजारों के रिटर्न का विश्लेषण करने से यह पता चलता है कि 2017-18 में भारतीय मानक सूचकांकों का प्रदर्शन अमेरिका, ब्राजील, जापान, दक्षिण कोरिया तथा हांगकांग से कमजोर रहा था. हालांकि ब्रिटेन और चीन के मुकाबले बेहतर था. मानक सूचकांकों के सकारात्मक प्रदर्शन तथा बाजार से बढ़ी हुई मात्रा में कोष जुटाने के साथ भारत में पूंजी बाजार का आकार 2018-19 में बढ़ा. यह 6 प्रतिशत बढ़कर 151 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया.
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 11.4 प्रतिशत बढ़कर 24 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई. वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के माध्यम से लगायी संपत्ति 8.6 प्रतिशत बढ़कर 30 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई. उल्लेखनीय है कि वैश्विक तथा घरेलू समस्याओं के कारण 2018-19 अपेक्षाकृत कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान पूंजी बाजार से पूंजी जुटाने के मामले में भी वृद्धि देखी गई. बॉन्ड और इक्विटी के जरिये जुटाई गई राशि 5.3 प्रतिशत बढ़कर करीब 9 लाख करेड़ रुपये पहुंच गई.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें:
सितंबर 2018 से कुछ मामलों खासकर स्थिर आय वाली प्रतिभूतियों के मोर्चे पर नकारात्मक गतिविधियों के बावजूद दहाई अंक में रिटर्न आया. म्यूचुअल फंड के मामले में बॉन्ड से जुड़े कोष से धन निकासी की गई. इसका कारण सितंबर 2018 से बांड बाजार की गतिविधियां रही. हालांकि इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड में पूंजी प्रवाह जारी रहा. इक्विटी एवं अन्य प्रकार के म्यूचुअल फंड में संयुक्त रूप से 2018-19 में 1.58 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया जो 2017-18 में 2.84 लाख करोड़ रुपये था.
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