नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से लगातार बाहर निकलने से रुपया पिछले कुछ महीनों में कई बार अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. एफपीआई के बाहर निकलने के अलावा रुपये में गिरावट का कारण डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी और कच्चे तेल का महंगा होना है. विशेषज्ञों ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में रुपया चुनौतियों का सामना करेगा और मध्यम अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को छू सकता है.
डॉलर की दहाड़ से कांप रहा रुपया, रिकॉर्ड लो स्तर 81 पार पहुंचा
नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Rupee) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, कल गुरुवार को रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था जो सात महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी वहीं आज भी रुपया गिरावट के साथ ओपन हुआ, आज डॉलर के मुकाबले रुपया 27 पैसे की कमजोरी के साथ 81.12 रुपये के स्तर पर (Indian rupee crosses record low level 81) खुला।
ऐसी रही इस सप्ताह रुपये की चाल
- गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 89 पैसे की कमजोरी के साथ 80.89 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की कमजोरी के साथ 79.98 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे की मजबूती के साथ 79.75 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की कमजोरी के साथ 79.77 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
ये भी पढ़ें – Indian Railways Update : यात्रीगण कृपया ध्यान दें, 263 ट्रेन आज रद्द रहेंगी, IRCTC ने जारी की लिस्ट
कैसे प्रभावित होता है रुपया
भारतीय रुपये के कमजोर होने की कई वजह होती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण डॉलर की डिमांड बढ़ना (US dollar strong) होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैसी भी उथल पुथल से निवेशक प्रभावित होता है और घबराकर डॉलर खरीदने लगता है जिससे उसकी डिमांड बढ़ जाती है और शेष देशों की मुद्राओं में गिरावट शुरू हो जाती है जिसमें भारतीय रुपया भी प्रभावित होता है।
ये भी पढ़ें – Gold Silver Rate : आज चांदी पुरानी कीमत पर, सोने में उछाल, देखें सराफा बाजार का हाल
डॉलर से ही क्यों होती है रुपये की तुलना
दुनिया में कई मुद्राएं चलती हैं लेकिन विश्व स्तर पर बहुत सी मुद्राओं की तुलना अमेरिकी डॉलर से ही होती है। रुपये की तुलना डॉलर से ही क्यों की जाती है ये सवाल बहुत से लोगों के दिमाग में आता है, इसकी वजह हम आपको बताते हैं। दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ हुआ था। इस समझौते में न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। उस समय युद्धग्रस्त पूरी दुनिया में अमेरिका आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था। ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के रूप में चुना गया और पूरी दुनिया की करेंसी के लिए डॉलर को एक मापदंड के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।
कच्चे तेल के दाम चले फिर आसमान छूने, पेट्रोल-डीजल का है यह हाल
Crude Oil Prices : बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के समय कच्चे तेल की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में अपने उच्च स्तर पर जा पहुंच गई थी। वहीं, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में दर्ज हुई बढ़त 10 सालों में पहली बार इस कदर दर्ज की गई थी। 10 सालों के उच्चतम स्तर पहुंचने के बाद अब एक बार फिर 6 महीने बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़त दर्ज की तो इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमत पर दिखने लगा है और तेल की कीमतें फिर असमान छूती नज़र आरही हैं।
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी :
दरअसल, अमेरिकी फेडरल रिजर्व डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? द्वारा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त दर्ज होने के बाद पिछले दिन कच्चा तेल लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो गया। हालांकि, इसके बाद भी देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़त दर्ज नही हुई है। तेल कंपनियों ने यह कीमतें स्थिर रखी हैं। गुरुवार को देश के महानगरों में पेट्रोल डीजल की कीमत में कोई बदलाव नही देखने को मिला है। जबकि , पिछले 24 घंटे में कच्चे तेल की कीमतों में कभी बढ़त देखने को मिली है। वही, आज सुबह ब्रेंट क्रूड की कीमत लगभग 2 डॉलर बढ़कर 82.70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। WTI भी आज लगभग 2 डॉलर चढ़कर 77.25 डॉलर प्रति बैरल के पार नज़र आई।
बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमतें :
दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें - 96.72 रुपये प्रति लीटर
मुंबई में पेट्रोल की कीमतें - 106.31 रुपये रुपये प्रति लीटर
चेन्नई में पेट्रोल की कीमतें - 102.63 रुपये प्रति लीटर
कोलकाता में पेट्रोल की कीमतें - 106.03 रुपये प्रति लीटर
भोपाल में पेट्रोल की कीमतें - 108.65 रुपये प्रति लीटर
बड़े शहरों में डीजल की कीमतें :
दिल्ली में डीजल की कीमतें - 89.62 रुपये प्रति लीटर
मुंबई में डीजल की कीमतें - 94.27 रुपये प्रति लीटर
चेन्नई में डीजल की कीमतें - 94.24 रुपये प्रति लीटर
कोलकाता में डीजल की कीमतें - 92.76 रुपये प्रति लीटर
भोपाल में डीजल की कीमतें - 93.90 रुपये प्रति लीटर
क्यों बढ़ती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें ?
आप हो या हम हर किसी के दिमाग में यह सवाल जरूर उठता होगा कि, आखिर पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों बढ़ती हैं ? भारत में इन दिनों एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार क्यों बढ़ रही हैं? या भारत के ही अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अलग-अलग क्यों होती है तो आपको बता दें, इसके तीन मुख्य कारण हैं,
भारत में ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगने वाला टैक्स
डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी
कच्चे तेल की कीमतें
पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के हैं ये कारण :
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के ये मुख्य तीन कारण हैं। पहले भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स जिसमें एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन की कीमत शामिल रहती हैं और भारत के सभी राज्यों में पेटोल-डीजल पर अलग अलग टैक्स लगता है। जिसके कारण सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक जैसी नहीं होती है। इसके अलावा टैक्स के आधार पर प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें सुबह 6 बजे तय की जाती हैं। इस दौरान इन कीमतों में कमी या बढ़ोतरी दोनों हो सकती है। दूसरा कारण डॉलर की तुलना में यदि रूपये मजबूत होते हैं तो उसका असर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिखता है पर तीसरा कारण है 'कच्चा तेल' (क्रूड ऑइल)। पेट्रोल की कीमतें क्रूड ऑइल की कीमतों पर डिपेंड करती हैं। इसका मतलब यह हुआ यदि क्रूड ऑइल की कीमतों में कमी आती हैं तो ऑटोमेटिक पट्रोल की कीमतों में भी कमी आ जाती है। बहुत कम ही ऐसा होता है कि, कच्चा तेल गिरे और पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़े।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर तक गिर सकता है रुपया, जानें क्यों आ रही ये गिरावट?
नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से लगातार बाहर निकलने से रुपया पिछले कुछ महीनों में कई बार अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. एफपीआई के बाहर निकलने के अलावा रुपये में गिरावट का कारण डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी और कच्चे तेल का महंगा होना है. विशेषज्ञों ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में रुपया चुनौतियों का सामना करेगा और मध्यम अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को छू सकता है.
रुपया पिछले कुछ महीनों से लगातार गिर रहा है. 12 जनवरी, 2022 को रुपया 73.78 डॉलर प्रति डॉलर पर था और तब से यह छह महीने से भी कम समय में 5 रुपये से अधिक गिर गया है. इसने शुक्रवार को 79.11 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को छुआ.
हालांकि, 12 जनवरी से गिरावट लगातार नहीं रही है. पहले यह 12 जनवरी से 8 मार्च के बीच कमजोर होकर 77.13 पर पहुंचा और फिर 5 अप्रैल तक एक महीने के लिए मजबूत होकर 75.23 डॉलर प्रति डॉलर पर पहुंच गया. 5 अप्रैल के बाद से रुपये में लगातार गिरावट देखी गई है और तब से यह कई बार सर्वकालिक निचले स्तर को छू चुका है.
विदेशी निवेश का बाहर निकलना रुपये में गिरावट का एक प्रमुख कारण है. रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सख्त मौद्रिक नीति के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक संकट से इसमें और तेजी आ गई है. इसके अलावा गिरावट का श्रेय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और डॉलर की मजबूती को भी दिया जा सकता है. एफपीआई अक्टूबर 2021 से लगातार भारतीय इक्विटी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं.
यह भी पढ़ें | अब ये सरकारी बैंक कराएगा ताबड़तोड़ कमाई, FD की ब्याज दरों में किया 0.55 फीसदी का इजाफा
इस साल अब तक इक्विटी बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 2.13 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. जून में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 51,000 करोड़ रुपये निकाल लिए. कोटक सिक्योरिटीज के अनिंद्य बनर्जी ने कहा है कि भारत में आर्थिक विकास मजबूत रहा है लेकिन वैश्विक बाजार में उथल-पुथल और फेड की बढ़ोतरी ने भारत में बड़े निवेश को रोक दिया है. साथ ही कच्चा तेल भी 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है.
बनर्जी ने कहा कि अगले 6-9 महीनों में रुपये को वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती, अमेरिकी डॉलर की तरलता में कमी और तेल की ऊंची कीमतों से चुनौतियों का सामना करने पड़सकता है. उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक स्तर पर डॉलर में तेजी बनी रहती है रुपया गिरकर 80 तक पहुंच जाएगा.
रुपया गिरने से आयात महंगा जिससे वस्तुओं व सेवाएं के दाम में और तेजी आएगी. सरल शब्दों में कहें तो महंगाई बढ़ जाएगी. विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा. यहां से जितनी रकम पहले खर्च के लिए भेजी जाती अब वह एक्सचेंज के बाद पहले के मुकाबले कम हो जाएगी. इसके अलावा चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाएगा.
अर्थ जगत: नए-नए तरीके इजाद कर रहे डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? हैं हैकर्स, बढ़ेंगे साइबर हमले और मस्क ने टेस्ला के 3.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे
एलन मस्क ने लगभग 3.5 अरब डॉलर मूल्य के 20 मिलियन से अधिक टेस्ला शेयर बेचे हैं और इलेक्ट्रिक कार कंपनी में और अधिक स्टॉक बेचने का कोई कारण नहीं बताया है। साइबर हमलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं हैकर्स, बढ़ेंगे साइबर हमले: सिस्को के शीर्ष अधिकारी
साइबर हमलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है और चूंकि हैकर्स संगठनों को निशाना बनाने के लिए नए-नए साधनों का उपयोग करते हैं, समय की आवश्यकता है कि बड़े पैमाने पर बाजारों के लिए साइबर सुरक्षा का निर्माण किया जाए क्योंकि यह अब केवल आला बाजारों तक ही सीमित नहीं है, सिस्को में सुरक्षा और सहयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष और महाप्रबंधक जीतू पटेल ने यह बात कही है।
हाल ही में आयोजित 'सिस्को लाइव' कार्यक्रम से इतर डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि साइबर हमले बड़े हो गए हैं क्योंकि खतरों की जटिलता बढ़ गई है। हमलावरों का सोफिस्टिकेशन 5 से 7 साल पहले की तुलना में अधिक हो गया है, यानी अब हैकर्स नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं।
15 अमेरिकी राज्यों ने गूगल, एप्पल से टिकटॉक की आयु रेटिंग बढ़ाने को कहा
15 रिपब्लिकन यूएस स्टेट अटॉर्नी जनरल के एक ग्रुप ने मांग की है कि गूगल और एप्पल के अधिकारी ऐप स्टोर पर टिकटॉक ऐप के लिए आयु रेटिंग बढ़ाएं।
अटॉर्नी जनरल ने गूगल के सीईओ सुंदर डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? पिचाई और एप्पल के सीईओ टिम कुक को पत्र भेजे जिसमें उन्होंने कहा, "टिकटॉक में अक्सर वयस्क कंटेंट होते हैं, जिसमें सेक्स और नशीली दवाओं के उपयोग के बारे में भी शामिल है और केवल मेच्योर या '17 प्लस' रेटिंग, गूगल प्ले स्टोर और एप्पल के ऐप स्टोर पर सूचीबद्ध वर्तमान किशोर वर्गीकरण नहीं है।"
स्विगी पर बिरयानी को फिर से सबसे ज्यादा किया गया ऑर्डर
बिरयानी ने 2022 में स्विगी पर 2.28 बिरयानी ऑर्डर प्रति सेकंड के साथ नया रिकॉर्ड बनाया, जबकि इटालियन रैवियोली (एक प्रकार का पास्ता) और कोरियाई बिबिमबैप (चावल डिश) जैसे विदेशी स्वाद सबसे लोकप्रिय भोजन ऑप्शन थे। पिछले साल देशभर में 1 लाख से अधिक नए रेस्टोरेंट और क्लाउड किचन स्विगी से जुड़े।
फूड एग्रीगेटर ने कहा, "हमारे सबसे हंगियरेस्ट कस्टमर्स दिवाली के दौरान 75,378 रुपये के सिंगल ऑर्डर के साथ बेंगलुरु से आए, इसके बाद पुणे में एक ग्राहक ने 71,229 रुपये के बिल मूल्य के साथ अपनी पूरी टीम के लिए बर्गर और फ्राइज का ऑर्डर दिया।" ग्राहकों ने अपना पहला ऑर्डर श्रीनगर, पोर्ट ब्लेयर, मुन्नार, आइजोल, जालना, भीलवाड़ा और अन्य शहरों में दिया।
एसर ने भारत में नया 16 इंच का ओएलईडी लैपटॉप लॉन्च किया
ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी एसर ने गुरुवार को अपना नया 16 इंच का ओएलईडी लैपटॉप लॉन्च किया जो माइक्रोसॉफ्ट प्लूटन सुरक्षा प्रोसेसर से लैस है। एसर ने एक बयान में कहा कि 'स्विफ्ट एज' लैपटॉप कंपनी के आधिकारिक ई-स्टोर और अमेजन पर 1,24,999 रुपये की शुरुआती कीमत पर उपलब्ध है।
नया लैपटॉप 4के ओएलईडी डिस्प्ले डीसीआई-पी3 कलर गैमट के 100 प्रतिशत को सपोर्ट करता है और मूवी-क्वालिटी विजुअल्स के लिए 500 निट्स की पीक ब्राइटनेस देता है। भले ही यह लैपटॉप हल्का (1.17 किग्रा) है, लेकिन यह अत्याधुनिक तकनीकों से भरा हुआ है जो उत्पादकता और टीमवर्क जैसे तेज प्रसंस्करण में सुधार करता है। बढ़ते साइबर हमलों से लड़ने में मदद के लिए, यह माइक्रोसॉफ्ट प्लूटन सुरक्षा प्रोसेसर से लैस है जो सीपीयू पर एक समर्पित हार्डवेयर चिप है।
ट्विटर में बदलाव के बीच मस्क ने टेस्ला के 3.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे
एलन मस्क ने लगभग 3.5 अरब डॉलर मूल्य के 20 मिलियन से अधिक टेस्ला शेयर बेचे हैं और इलेक्ट्रिक कार कंपनी में और अधिक स्टॉक बेचने का कोई कारण नहीं बताया है। नवंबर 2021 से मस्क ने टेस्ला के 39 अरब डॉलर से ज्यादा के शेयर बेचे हैं।
ताजा शेयर बिक्री के बाद, यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के साथ दायर एक फॉर्म के मुताबिक, मस्क अब लगभग 66 अरब डॉलर मूल्य के टेस्ला स्टॉक के मालिक हैं।
इस साल अप्रैल में, नए ट्विटर सीईओ ने टेस्ला के 8.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे थे, जबकि अगस्त में उन्होंने 7 अरब डॉलर के अन्य शेयर बेचे थे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Rupee Fall: दुनिया के मुकाबले कितना गिरा भारतीय रुपया? FPI इस साल कर चुका है 2.25 डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है? लाख करोड़ की बिकवाली
डीएनए हिंदी: भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले 79.11 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. लगातार गिरता रुपया क्या भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए चिंता का संकेत है? वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया ने बाकी कई अन्य देशों की करेंसी से बेहतर प्रदर्शन किया है तो आइए जान लेते हैं कि पिछले एक साल में रुपये का प्रदर्शन अन्य देश की करेंसी के मुकाबले कैसा रहा.
दुनिया की बड़ी मुद्राओं की बात करें तो एक साल में डालर के मुकाबले जहां रूसी रूबल सबसे ज्यादा मजबूत होने वाली करेंसी रही. रूसी रूबल पिछले एक साल में 27 प्रतिशत मजबूत हुआ. इसके अलावा UK पाउंड (12 %), यूरोपियन यूरो (12.6 %) में मजबूती देखी गई. वहीं, सऊदी अरब की मुद्रा रियाल में कोई बदलाव नहीं हुआ. भारतीय रुपया पिछले एक साल में 6.18% गिरा है. वहीं, हांगकांग डॉलर (1.04 %), इंडोनेशिया रुपया (3.32 %) , सिगांपुर डॉलर (3.53 %) और चीनी युआन (3.65 %) जैसी एशियाई देशों की मुद्राएं भी कमजोर हुई हैं लेकिन इनका प्रदर्शन भारतीय रुपये से बेहतर रहा है.
भारत से ज्यादा कमजोर होने वाली प्रमुख मुद्राओं में ताइवान डॉलर (6.79 %), थाईलैंड भाट (10.1 %), फिलीपींस पेसो (13.34 %), दक्षिणी अफ्रीकी मुद्रा रैंड (14.48 %) और दक्षिण कोरिया वान(15.09 %) और जापानी येन (23.65 %) शामिल हैं.
क्यों गिर रहा है रुपया?
भारत को कच्चे तेल, गैस, खाद्य तेल के लिए भारी विदेशी मुद्रा चुकानी पड़ती है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल, गैस और खाद्य तेल, फर्टिलाईजर के लिए ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है. वहीं अमेरिका ने बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए साल 2018 के बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाई. अमेरिकी फेडरल बैंक ने फरवरी 2022 में ब्याज दरों में 0.25 की बढ़ोतरी की थी.
जब फेड अपनी ब्याज दर बढ़ाता है तो उच्च ब्याज दरों पर डॉलर-आधारित बांड सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न के लिए एक सुरक्षित साधन बन जाते हैं. इन फंड में हेज फंड, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, बीमा बांड इत्यादि शामिल होते हैं.
FII कर चुके हैं 2.25 लाख करोड़ की बिकवाली
इसके बाद से ही भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे निवेशकों ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी. इस साल के 6 महीनों ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) अब तक 2.25 लाख करोड़ से ज्यादा भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं जो कि साल 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के समय की गई बिकवाली से भी ज्यादा है.
हालांकि भारत में होने वाले FDI निवेश में ज्यादा अतंर नहीं आया है पर FPI (Foreign Portfolio Investment) में बीते वित्तीय वर्ष में कुल 17,225 USD मिलियन की कमी आई है.
विदेशी मुद्रा भंडार में 40 बिलियन डॉलर की कमी
डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 79.11 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जारी इस गिरावट से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा भंडार को बेचना भी शुरू किया. जिससे रुपये की गिरावट को थामने का प्रयास किया गया. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 40 बिलियन डालर की कमी आ चुकी है.
RBI कहां तक संभालेगा रुपया?
पिछले हफ्ते, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर, माइकल डी पात्रा ने कहा कि भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन तुलनात्मक रुपये से कम हुआ है. इसके साथ उन्होने इस RBI द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में कहा कि हम रुपये की स्थिरता के लिए प्रयास करेंगे. हम बाजार में हैं, हमारे मन में (रुपये की कीमत) का कोई स्तर नहीं है लेकिन हम रुपये की कीमत में अस्थिरता नहीं आने देंगे.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 623