Itaú Global Wallet

इटाú ग्लोबल वॉलेट में आपका स्वागत है। यह उत्पाद एक बहु-मुद्रा डिजिटल वॉलेट है जो विशेष रूप से इटाú प्राइवेट बैंक के ग्राहकों के लिए उपलब्ध है। यह एक व्यक्तिगत मास्टरकार्ड के साथ आता है जिसे आप अपने इटाú प्राइवेट बैंक अंतरराष्ट्रीय खाते से कभी भी पुनः लोड कर सकते हैं।

मोबाइल ऐप के साथ, आप यात्रा करने से पहले मुद्रा दरों को अच्छी तरह से लॉक कर सकते हैं। यह आपको अपना इटाú ग्लोबल वॉलेट लोड करने की अनुमति देता है जब दरें आपके अनुकूल हों। तब आप मुद्रा में उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करना बंद कर सकते हैं जो आपके यात्रा बजट पर प्रभाव डाल सकते हैं।

एक बार जब आप USD के साथ अपना Itaú ग्लोबल वॉलेट लोड कर लेते हैं, तो आप प्रोग्राम द्वारा समर्थित ६ विदेशी मुद्राओं में से किसी में USD का आदान-प्रदान करने के लिए Itaú ग्लोबल वॉलेट मोबाइल ऐप का उपयोग कर सकते हैं:

• ग्रेट ब्रिटिश पाउंड
• यूरो
• स्विस फ्रैंक
• ब्राजीली रियल
• जापानी येन
• कैनेडियन डॉलर

*आपका ऐप और कार्ड सिंक हो गया है*
आपका भौतिक मास्टरकार्ड मोबाइल ऐप के साथ समन्वयित है, इसलिए जब आप ऐप पर मुद्रा वॉलेट में धनराशि स्थानांतरित करते हैं, तो आपके मास्टरकार्ड में तुरंत वे धनराशि शामिल हो जाती है। मान लें कि आपने फ़्रांस में रहते हुए मोबाइल ऐप पर यूरो खरीदा है। अब जब आप अपने कार्ड का उपयोग उन व्यापारियों के लिए करते हैं जो यूरो में लेनदेन करते हैं, तो आप स्थानीय की तरह खर्च करेंगे और शुल्क बचाएंगे।

*दुनिया भर में कहीं भी इसका इस्तेमाल करें*
अपने इटाú ग्लोबल वॉलेट के साथ, आप आसानी से खरीदारी कर सकते हैं या एटीएम तक पहुंच सकते हैं जहां मास्टरकार्ड स्वीकार किया जाता है।

*आप नियंत्रण में हैं*
इटाú ग्लोबल वॉलेट मोबाइल ऐप का उपयोग करके, आप कभी भी, कहीं भी आसानी से पैसे का आदान-प्रदान कर सकते हैं। भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है आप अपनी यात्रा निधि को अपने इटाú ग्लोबल वॉलेट कार्ड में प्री-लोड कर सकते हैं और अपनी पूरी यात्रा के दौरान अपने बजट पर स्वयं को पूर्ण नियंत्रण दे सकते हैं। लेकिन क्या होगा अगर आप अपनी यात्रा में थोड़ा बहुत आनंद ले रहे हैं? चिंता मत करो। आप अपने इटा, ग्लोबल वॉलेट कार्ड को कभी भी, कहीं से भी आसानी से पुनः लोड कर सकते हैं।

भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है

आज भारत के रूपे कार्ड को विश्व भर में गौरव और सम्मान के साथ अपनाया जा रहा है। भारत द्वारा सृजित यूपीआई तथा आईएमपीएस को वित्तीय स्थानांतरण का सबसे उन्नत तकनीक माना जा रहा है। — विकास सिन्हा

किसी ने ठीक ही कहा है कि सही दिशा में लिए गए छोटे-छोटे कदम आपके जीवन के सबसे बड़े कदम बन सकते हैं। किसे मालूम था कि मार्च 2012 में प्रक्षेपित रूपे-कार्ड भारत में आने वाली अंकीय क्रांति का उद्घोष साबित होगी। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं के विस्तार के लिए लिया गया यह कदम आने वाले भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है सालों में मिल का पत्थर साबित होगा, जिसे हटाने के लिए विकसित देशों को एकजूट होना पड़ रहा है।

इसकी सफलता ने भारत में अंकीय लेन-देन के नए तरीकों का अविष्कार कर दिया और आज हम भारत में यूपीआई, आईएमपीएस, क्यूआर कोड़ जैसे शीघ्रतम व्यवस्थाओं से क्षण मात्र में पैसे का आदान-प्रदान कर सकते है।

अंकीय लेन-देन का अभिरूप क्या है

कोई भी अंतरण विधि जिससे मूल्यों का आदान प्रदान एक भुगतान खाता से दुसरे भुगतान खाते में हो जाए, जिसमें अंकीय प्रणाली का इस्तेमाल हो, जैसे यूपीआई, आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि।

अंकीय लेन-देन के फायदे

  • अंकीय भंडारण की लागत बहुत कम होती है, जबकि भौतिक मुद्रा के परिचालन में काफी खर्च होता है।
  • अंकीय लेन-देन में टूट-फूट का खर्च नहीं होता है, जो कि भौतिक मुद्रा में लगता है।
  • अंकीय लेन-देन में फर्ज़ी मुद्रा के परिचालन की संभावना समाप्त हो जाती है।
  • अंकीय लेन-देन में व्यक्ति अपने घर बैठे दूर-दराज स्थान से वित्तीय सेवाएं प्राप्त कर सकता है, वो भी न्यूनतम मूल्य पर।
  • अंकीय लेन-देन में यह पहचान कर पाना आसान है कि मूल्य का सही लाभार्थी कौन है और इस तरह हम काला धन को समाप्त कर सकते है।

भारत में अंकीय लेन-देन की सफल गाथा

बीते आर्थिक वर्ष में हमारे देश ने 7422 करोड़ अंकीय लेन-देन दर्ज किया गया, जो कि 33 प्रतिशत वृद्धि का संकेत देता है तथा पूरे विश्व में सबसे अधिक है। ये अपने आपमें एक मिसाल है और सूचित करता है कि जब हमने एक बार ठान लिया तो हमसे आगे कोई नहीं हो सकता है।

एसीआई वर्ल्डवाईड के मार्च 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत अंकीय लेन-देन में 2019 से विश्व में सबसे अग्रणी देश है तथा वास्तविक समय लेन-देन (रियल टाईम ट्रांजेक्शन) में हम चीन तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान पर है।

पिछले साल के मुक़ाबले इस साल यूपीआई लेन देन में संख्या भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है तथा मात्रा में 100 प्रतिशत की वृद्धि पायी गयी है।

भारत में आधारित तथा भारत में विकसित रूपे कार्ड 62 करोड़ से अधिक लोगों को प्रचालित किया जा चुका है और आज डेबिट तथा क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में भारत में इसकी मार्किट हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक है।

यूपीआई (यूनिक पेयमेंट इंटरफेस) लोगां के लिए लेन-देन की पहली पसंद बन गया है, बीते मई माह में लोगो ने यूपीआई का प्रयोग करके 10 लाख करोड़ रूपए से अधिक का लेन-देन कर एक नया कीर्तिमान बना दिया।

आज ग्रामीण इलाकों में लोग आधार कार्ड को अपने बैंक खाते से लिंक करके एईपीएस लेन-देन कर रहे है।

कुछ रोचक तथ्य

  • कोरोना महामारी के बाद लोगों में अंकीय लेन-देन की प्रवृति बढ़ती दिखी है, पहले जहां मुख्यतः नौजवान इस माध्यम का इस्तेमाल करते थे। महामारी के बाद अधेड़ अवस्था तथा कुछ हद तक वृद्धावस्था वाले लोगों ने इसको प्रयोग में लाना शुरू किया।
  • सर्वे के अनुसार यह पाया गया है की सामजिक सुरक्षा के अंतर्गत अंकीय रूप से प्राप्त हुए मूल्य का इस्तेमाल लाभार्थी भी अंकीय लेन देन से ही करते है
  • अंकीय लेन देन का सबसे अधिक इस्तेमाल शॉपिंग के लिए किया जाता है।
  • 50 प्रतिशत से अधिक व्यस्क लोग अंगीय लेन-देन के आने से अब मात्र 30 दिनों में आसानी से ऋण पा सकने में सक्षम है।
  • आज 100 करोड़ से अधिक डेबिट और क्रेडिट कार्ड प्रचलन में है, जिसमें 93 प्रतिशत हिस्सा एटीएम कार्ड का है। हालांकि औसत टिकट आकार क्रेडिट कार्ड का डेबिट कार्ड के मुक़ाबले तीन गुना है।

अंकीय लेन-देन के दुष्प्रभाव

यद्यपि अंकीय लेन-देन के फायदे बहुत है, परन्तु इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है।

आइडेंटिटी थेफ्टः यानी पहचान की चोरी किसी अन्य व्यक्ति की व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी प्राप्त करने का अपराध है, जिससे कि अवैध लेनदेन या खरीदारी जैसे अपराध किए जा सकें।

अभिगम्यताः भारत जैसे विकासशील देश में जहां आधी आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है में वास करती है और गावों में आधारभूत संरचना मौजूद नहीं है, वहाँ अंकीय लेनदेन, जिसमें दूरसंचार का इस्तेमाल होता है, लोगों तक मुहैया कराना काफी मुश्किल कार्य है।

व्यक्तिगत संबंध का अभावः अंकीय लेनदेन संचार पर आधारित है, जिसमें भौतिक तौर पर मनुष्य की जरूरत नहीं होती है और इससे व्यग्तिगत संबध का अभाव होता है और इससे समस्याओं के समाधान में देरी होती है।

सुझाव

  • अंकीय लेनदेन जिस रफ़्तार से बढ़ रही है, उन पर लगने वाले नियम कानून में भी उतनी ही तेजी से बदलाव करना होगा। समय-समय पर उनकी समीक्षा करनी पड़ेगी।
  • अंकीय लेनदेन में बढ़ते हुए धोखाधड़ी की वारदातों को देखते हुए सरकार को तथा नियामक संस्थाओं द्वारा लोगों में जागरूकता लाने की भरसक कोशिश करनी चाहिए।
  • अंकीय लेनदेन में आने वाले खर्चे को न्यूनतन स्तर पर लाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे कि ये सेवाएं ग्रामीण एवं सुदूर इलाकों तक आसानी से पहुंचायी जा सके।

अंतिम लेकिन समाप्ति नहीं

भारत ने जिस तरह अंकीय लेनदेन में अपनी आत्मनिर्भरता साबित की है, उससे पूरी दुनिया अचम्भे में है, इतने कम लागत में इतनी उन्नत अंकीय वित्तीय सेवाओं को प्रदान कर पाना पूरे दुनिया को एक सबक देता है कि हम भारतीय किसी से कम नहीं है।

आज भारत के रूपे कार्ड को विश्व भर में गौरव और सम्मान के साथ अपनाया जा रहा है। भारत द्वारा सृजित यूपीआई तथा आईएमपीएस को वित्तीय स्थानांतरण का सबसे उन्नत तकनीक माना जा रहा है।

इस भारतीय प्रणाली की सफलता को देखकर इसे न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्देशीय मूल्य स्थानांतरण में भी इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है। भारत, सिंगापुर तथा कुछ अन्य राष्ट्रों के सहयोग से इस पर शोध कर रहा है और किसे पता हम स्विफ्ट जैसे एकान्तर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन प्रणाली का प्रारूप बनकर सामने आएं। आत्मनिर्भरता सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है। ु

डिजिटल करेंसी शरीयत में नजायज फिकही कांफ्रेंस में उलमा का बड़ा फैसला

bitcoin

इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटलाइजेशन के इस वैज्ञानिक युग में जब करेंसी को डिजिटल करने की बात की जा रही है तो इसे लेकर उलमा फिक्रमंद हैं। सवाल उठ रहे हैं कि डिजिटल करेंसी की शरई हैसियत क्या है? ये माल है भी या नहीं? इसे लेना-देना जायज है या नहीं? इन पर यहां ताजुश्शरीया अल्लामा अजहरी मियां की ओर से बुलाई गई ‘फिकही कांफ्रेंस’ में दिग्गज उलमा और दानिश्वरों के बीच गंभीर बहस हुई। नतीजा डिजिटल करेंसी को नाजायज करार देने के रूप में सामने आया।
यह फैसला यहां मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेंटर जमीयतुर्रजा में चल रही ‘फिकही कांफ्रेंस’ में देश-विदेश के लगभग सौ उलमा ने शरीयत की रोशनी में एकराय होकर लिया है। इसका खुलासा घोसी से आए जामिया अमजदिया के संस्थापक मुफ्ती जियाउल मुस्तफा अमजदी ने प्रेसवार्ता में किया। उन्होंने फैसले के पक्ष में रखे गए तर्क के संबंध में बताया कि डिजिटल करेंसी, क्रिप्टो करेंसी (बिट क्वाइन आदि) भौतिक तौर पर मौजूद नहीं है। इसका सारा लेन देन नेट के माध्यम से बर्की खाता (एयर एकाउंट) के जरिए होता है। ये माल की हैसियत में नहीं होता। शरीयत की नजर में इसकी माद्दी हैसियत नहीं है। इसलिए जब डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी माल नहीं है तो इसका लेन-देन तथा खरीद-फरोख्त नाजायज है। इसका एक पहलू यह भी है कि डिजिटल करेंसी के पीछे कोई जिम्मेदार नहीं है, न हुकूमत न बैंकिंग। नोट अगर बंद हो जाए तो हुकूमत उतना ही पैसा उपलब्ध कराती है। मगर यह करेंसी अगर कोई कंपनी लेकर भाग जाए या बंद हो जाए तो उस पैसे का कौन जिम्मेदार होगा। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के बाद यह भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है फैसला लिया गया।
इस पर फैसला लेने वाले उलमा में मुफ्ती जियाउल मुस्तफा के अलावा जानशीने ताजुश्शरीया शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी, श्रीलंका के मौलाना बाबू रजा, अंबेडकर नगर के शहर काजी मुफ्ती अख्तर हुसैन, इलाहाबाद के मुफ्ती शब्बीर हसन, मुंबई के शहर काजी मुफ्ती महमूद अख्तर, मुफ्ती उजैर आलम, मुफ्ती रफीक आलम, मुफ्ती शहजाद रजा, मुफ्ती बहाउल मुस्तफा, मुफ्ती आलमगीर आदि शामिल रहे। प्रेसवार्ता के दौरान जमात रजा मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां, मुफ्ती शहजाद रजा, आला हजरत ट्रस्ट के मोहतशिम रजा खां भी मौजूद रहे।

नीलामी संपत्ति खरीदने, नमाजी के सामने से गुजरने के सवाल पर भी होगी चर्चा
बरेली। फिकही कांफ्रेंस में अभी दो और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होनी है। मुफ्ती मोहम्मद शहजाद रजा ने बताया कि इनमें एक बिंदु तो यह है कि हुकूमत की ओर से ऐसी जमीन-जायदाद नीलाम की जाती है जो किसी शख्स के कर्ज न चुका पाने पर जब्त की गई होती है। ऐेसी जायदाद को मुसलमान खरीदें या नहीं? ऐसी जायदाद को खरीदने वाला मालिक होगा या नहीं? अंतिम सवाल है कि बड़ी मस्जिदों में जहां हर वक्त लोग नमाज अदा करते रहते हैं वहां पर नमाजी के सामने से गुजरना सही है या नहीं? जमात रजा मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने बताया कि इन सवालों पर फैसला होने के बाद इसे अखबारों एवं किताबों के हवाले से लोगों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही इस पर फैसले की कॉपी सभी दारुल इफ्ता को भेजी जाएगी।

इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटलाइजेशन के इस वैज्ञानिक युग में जब करेंसी को डिजिटल करने की बात की जा रही है तो इसे लेकर उलमा फिक्रमंद हैं। सवाल उठ रहे हैं कि डिजिटल करेंसी की शरई हैसियत क्या है? ये माल है भी या नहीं? इसे लेना-देना जायज है या नहीं? इन पर यहां ताजुश्शरीया अल्लामा अजहरी मियां की ओर से बुलाई गई ‘फिकही कांफ्रेंस’ में दिग्गज उलमा और दानिश्वरों के बीच गंभीर बहस हुई। नतीजा डिजिटल करेंसी को नाजायज करार देने के रूप में सामने आया।


यह फैसला यहां मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेंटर जमीयतुर्रजा में चल रही ‘फिकही कांफ्रेंस’ में देश-विदेश के लगभग सौ उलमा ने शरीयत की रोशनी में एकराय होकर लिया है। इसका खुलासा घोसी से आए जामिया अमजदिया के संस्थापक मुफ्ती जियाउल मुस्तफा अमजदी ने प्रेसवार्ता में किया। उन्होंने फैसले के पक्ष में रखे गए तर्क के संबंध में बताया कि डिजिटल करेंसी, क्रिप्टो करेंसी (बिट क्वाइन आदि) भौतिक तौर पर मौजूद नहीं है। इसका सारा लेन देन नेट के माध्यम से बर्की खाता (एयर एकाउंट) के जरिए होता है। ये माल की हैसियत में नहीं होता। शरीयत की नजर में इसकी माद्दी हैसियत नहीं है। इसलिए जब डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी माल नहीं है तो इसका लेन-देन भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है तथा खरीद-फरोख्त नाजायज है। इसका एक पहलू यह भी है कि डिजिटल करेंसी के पीछे कोई जिम्मेदार नहीं है, न हुकूमत न बैंकिंग। नोट अगर बंद हो जाए तो हुकूमत उतना ही पैसा उपलब्ध कराती है। मगर यह करेंसी अगर कोई कंपनी लेकर भाग जाए या बंद हो जाए तो उस पैसे का कौन जिम्मेदार होगा। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया।

इस पर फैसला लेने वाले उलमा में मुफ्ती जियाउल मुस्तफा के अलावा जानशीने ताजुश्शरीया शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी, श्रीलंका के मौलाना बाबू रजा, अंबेडकर नगर के शहर काजी मुफ्ती अख्तर हुसैन, इलाहाबाद भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है के मुफ्ती शब्बीर हसन, मुंबई के शहर काजी मुफ्ती महमूद अख्तर, मुफ्ती उजैर आलम, मुफ्ती रफीक आलम, मुफ्ती शहजाद रजा, मुफ्ती बहाउल मुस्तफा, मुफ्ती आलमगीर आदि शामिल रहे। प्रेसवार्ता के दौरान जमात रजा मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां, मुफ्ती शहजाद रजा, आला हजरत ट्रस्ट के मोहतशिम रजा खां भी मौजूद रहे।

नीलामी संपत्ति खरीदने, नमाजी के सामने से गुजरने के सवाल पर भी होगी चर्चा
बरेली। फिकही कांफ्रेंस में अभी दो और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होनी है। मुफ्ती मोहम्मद शहजाद रजा ने बताया कि इनमें एक बिंदु तो यह है कि हुकूमत की ओर से ऐसी जमीन-जायदाद नीलाम की जाती है जो किसी शख्स के कर्ज न चुका पाने पर जब्त की गई होती है। ऐेसी जायदाद को मुसलमान खरीदें या नहीं? ऐसी जायदाद को खरीदने वाला मालिक होगा या नहीं? अंतिम सवाल है कि बड़ी मस्जिदों में जहां हर वक्त लोग नमाज अदा करते रहते हैं वहां पर नमाजी के सामने से गुजरना सही है या नहीं? जमात रजा मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने बताया कि इन सवालों पर फैसला होने के बाद इसे अखबारों एवं किताबों के हवाले से लोगों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही इस पर फैसले की कॉपी सभी दारुल इफ्ता को भेजी जाएगी।

Digital Rupee Explained: कैसे काम करेगी भारत की पहली वर्चुअल करेंसी?

Digital Rupee Explained: कैसे काम करेगी भारत की पहली वर्चुअल करेंसी?

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने वित्त वर्ष 2022-23 के Budget भाषण में Digital Rupee को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है. वित्त मंत्री के मुताबिक, Digital Rupee को Reserve Bank of India (RBI) की तरफ से जारी किया जाएगा. आपको बता दें, वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने अपने Budget भाषण के दौरान कहा, कि “वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत में RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा और यह डिजिटल इकोनॉमी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को एक बूस्ट प्राप्त होगा”.

Digital Rupee ब्लॉकचेन समेत अन्य टेक्नोलॉजी पर आधारित डिजिटल करेंसी होगी. वैसे तो, हम सब डिजिटल या वर्चुअल करेंसी को Bitcoin, Dogecoin के रूप में जानते हैं, लेकिन इन डिजिटल करेंसी को RBI की तरफ से कोई मान्यता प्राप्त नहीं है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि Digital Rupee पहली वर्चुअल करेंसी होगी, जिसे RBI की ओर से जारी किया जाएगा और Central Bank Digital Currency (CBDC) इसे रेगुलेट करेगी. आइए जानते हैं, कि आखिर Digital Rupee कैसे काम करेगी, और यह बाकी प्राइवेट डिजिटल करेंसी से कैसे अलग होगी?

क्या है CBDC और कौन करेगा लॉन्च

आपको बता दें, कि आगामी वित्त वर्ष में CBDC को लॉन्च करेगी. CBDC एक लीगल टेंडर है, जिसे सेंट्रल बैंक एक डिजिटल रूप में जारी करती है. यह कागज में जारी एक फिएट मुद्रा के समान है और किसी भी अन्य भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है फिएट मुद्रा के साथ लेनदेन करने योग्य है. वहीं, अगर लीगल टेंडर को समझा जाए तो, हम लीगल टेंडर को भारतीय मुद्रा के रूप में समझ सकते हैं, जिसे लेने से कोई मना नहीं कर सकता. इसी प्रकार Digital Rupee एक लीगल टेंडर है, जिसे RBI जारी करेगी. यह अन्य प्राइवेट डिजिटल करेंसी के जैसी नहीं है. साथ ही आपको बता दें, कि CBDC को नोट के साथ बदला भी जा सकेगा.

क्या होती है Cryptocurrency

Cryptocurrency एक ऐसी करेंसी है, जिसे हम महसूस या देख नहीं सकते, यानी यह एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है. लेकिन इसे भारत समेत कई अन्य देशों में मान्यता प्राप्त नहीं है. Digital Rupee जारी करने के बाद निश्चित तौर पर सरकार का अगला कदम दूसरी अन्य प्रकार की डिजिटल करेंसी पर रोक लगाना ही होगा. Digital Rupee भी एक वर्चुअल करेंसी की तरह ही काम करेगी और इसे देश में लेनदेन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी.

क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में डाटा ब्लॉक्स मौजूद होते हैं, इन ब्लॉक्स में करेंसी को डिजिटली रूप में रखा जाता है. यह सारे ब्लॉक्स आपस में एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. जिससे डेटा की एक लंबी चेन बन जाती है, जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कहा जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि इन डाटा ब्लॉक्स में सारी लेन-देन की जानकारी डिजिटल रूप में सुरक्षित रहती है, और साथ ही प्रत्येक ब्लॉक एंक्रिप्शन के द्वारा सुरक्षित होते हैं.

आपको बता दें, कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी होती है. अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए, तो करेंसी की कीमत को कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता. ऐसे में Digital Rupee में मुनाफे की गुंजाइश ज्यादा मानी जा रही है.

Digital Rupee बाकी वर्चुअल करेंसी की तुलना में कैसे है अलग?

Digital Rupee बाकी वर्चुअल करेंसी से अलग होगी, क्योंकि Digital Rupee को RBI जारी करेगी और यह करेंसी CBDC के तहत काम करेगी. बता दें, कि CBDC को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. ऐसे में Digital Rupee में निवेश करना बाकी वर्चुअल करेंसी की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है.

कितने तरह की होती हैं डिजिटल करेंसी ?

वर्तमान में बाज़ार में कई तरह की डिजिटल करेंसी मौजूद है. लेकिन मुख्यतः डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है. पहली रिटेल डिजिटल करेंसी, जिसे आम लोग और कंपनियों के लिए जारी किया जाता है. दूसरी होलसेल डिजिटल करेंसी, जिसका इस्तेमाल वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाता है.

भारत सरकार द्वारा Digital Rupee को लेकर एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. इसकी पूरी प्रक्रिया होने में अभी समय लगेगा. RBI, भले ही इसे जारी करने के लिए तैयार है, लेकिन यह तब तक संभव नहीं है, जब तक संसद में क्रिप्टो कानून पारित नहीं हो जाता. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत, मुद्रा को लेकर जो मौजूदा प्रावधान हैं, वह भौतिक मुद्रा रूप को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं. जिसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में भी संशोधन की आवश्यकता होगी.

भौतिक मुद्रा डिजिटल हो जाती है

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