भारत पर बढ़ रहा भरोसा
व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्वपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं. वैश्विक कंपनियां अपने कारोबार का भारत और अन्य देशों में विविधीकरण कर रही हैं. खान ने कहा, “आगामी बरसों में भारत-अमेरिका द्वपिक्षीय व्यापार और बढ़ेगा. इससे आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी.”

भारत के शीर्ष 10 निर्यात और आयात व्यापार साझीदार देशों की सूची

भारत के कुल निर्यात का मूल्य नवंबर 2019 में लगभग 356.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ था. भारत अपने निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका को भेजता है जो कि भारत के कुल निर्यात का 15.88% है. दूसरी ओर भारत के आयात का सबसे बड़ा स्रोत चीन है. आइये इस लेख में भारत के निर्यात और आयात साझीदार देशों की सूची जानते हैं.

Export and Import Partners of India

वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था नॉमिनल जीडीपी के हिसाब से दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. भारत सरकार ने 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था के आकार को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है जो कि वर्तमान में 2.93 ट्रिलियन डॉलर है.यह लक्ष्य बिना निर्यात को बढ़ाये संभव नजर नहीं आता है.

भारतीय व्यापार का इतिहास

प्राचीन काल से लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना तक भारत अपने शानदार धन के लिए प्रसिद्ध था। भारतीय व्यापार इतिहास दर्शाता है कि 12 वीं से 16 वीं शताब्दी तक लगातार राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद देश अभी भी समृद्ध था। मुस्लिम शासकों द्वारा राजनीतिक और आर्थिक नीतियां देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचारित है |

भारत अपने वस्त्रों के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है । गुजरात से कपड़ा अरब देशों और दक्षिण-पूर्वी एशिया में भेजे गए थे। भारत के व्यापार इतिहास में हार्ड्वुड फर्नीचर है, हालांकि महंगी तक्षकला मुगल शैली से प्रेरित थे, लेकिन फर्नीचर को यूरोपीयेन डिजाइन पर आधारित किया गया था। प्राचीन और मध्ययुगीन भारत में कालीनों का उपयोग किया गया था लेकिन कालीन बुनाई का कौशल केवल 16 वीं शताब्दी में मुगल युग के दौरान नई ऊंचाई पर पहुंच गया था | दक्षिण भारत में आकृति पत्थर, हाथीदांत, मोती और कछुए के शैल में सजावटी कामों की एक विशाल विविधता का उत्पादन किया गया था। पर्ल मछली पकड़ना यहाँ एक प्रमुख उद्योग था।

‘आर्थिक रिश्तों को मिलेगी मजबूती’

व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां अपनी आपूर्ति के लिए केवल चीन पर निर्भरता कम कर रही हैं और भारत जैसे अन्य देशों में कारोबार का विस्तार कर रही हैं।

खालिद खान आगे कहते हैं, “आने वाले वर्षों में, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ता रहेगा। भारत एक इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) स्थापित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल हो गया है और इस कदम से आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।”

भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार

भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बैंगलोर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि भारत 1.39 अरब लोगों का घर है और इतनी बड़ी जनसँख्या के साथ यह देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते भारत और अमेरिका की कंपनियों के पास टेक्नोलॉजी लेन-देन, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के बहुत अवसर हैं।

राकेश मोहन जोशी आगे बताते हैं, “भारत से अमेरिका को पेट्रोलियम, पॉलिश किए गए हीरे, दवा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल, जमे हुए झींगा आदि निर्यात किए जाते हैं। जबकि अमेरिका से भारत में प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, तरल प्राकृतिक गैस, सोना, कोयला, बादाम आदि का आयात होता है।”

अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। 2021-22 में भारत का अमेरिका के साथ 32.8 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष था।

‘भारत आयात निर्भरता करे कम’

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इंदौर और यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया द्वारा नीति आयोग द्वारा समर्थित शोध पत्र ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम में व्हार्टन स्कूल ने चीनी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत सरकार के लिए छह रणनीतियों का सुझाव दिया है।

चीनी आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में छह चरणों में उत्पाद विभाजन, देश के मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग करना, प्रमुख व्यापार समझौतों का सदस्य बनना और भारत सरकार (भारत सरकार) की कार्य प्रक्रियाओं और संगठनात्मक डिजाइन को संशोधित करना शामिल है।

यदि भारत एक विनिर्माण (Manufacturing destination) के रूप में परिपक्व होता है तो यह न केवल भारत की चीन से आयात पर निर्भरता कम करेगा बल्कि भारत अन्य देशों के लिए निर्यात कर सकेगा। ऐसे कई देश हैं जो चीन से आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं और उनके लिए भारत से बेहतर विकल्प और हो ही नहीं सकता।

चीन को पीछे छोड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना अमेरिका, आयात से अधिक रहा हमारा निर्यात

अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर.

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 29, 2022, 12:52 IST

नई दिल्ली. अमेरिका वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है. इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है. इसे दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक रिश्तों के तौर पर देखा जा सकता है.

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था. आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था. वहीं, इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था.

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