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किसी भी बैंक को इन उपर्युक्त 6 मानकों के आधार पर जांचा जाता है और हर मानक को 1 से लेकर 5 तक के पॉइंट दिए जाते हैं l सबसे अच्छे प्रदर्शन को1 अंक और सबसे ख़राब को 5 अंक दिया जाता है l यदि किसी बैंक को 3 रेटिंग मिलती है तो यह माना जाता है कि बैंक की स्थिति संतोषजनक स्तर से कम है और इसको अपनी गुणवत्ता में सुधार लाने की जरुरत है l
CAMELS:अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का तरीका
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का यह तरीका सबसे पहले अमेरिका में 1979 में फेडरल बैंक ने शुरू किया थाl भारत में इस रेटिंग मानक की शुरुआत 1995 में रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सुपरविजन की समीक्षा करने के लिए गठित S. पद्मनाभम की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गयी थी l किसी भी बैंक को ‘CAMELS’ की 6 श्रेणियों के आधार पर रैंकिंग दी जाती हैl
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की गुणवत्ता मापने का यह तरीका सबसे पहले अमेरिका में 1979 में फेडरल बैंक ने शुरू किया थाl भारत में इस रेटिंग मानक की शुरुआत 1995 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सुपरविजन की समीक्षा करने के लिए गठित S. पद्मनाभम की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गयी थी l किसी भी बैंक को ‘CAMELS’ की 6 श्रेणियों के आधार पर रैंकिंग दी जाती हैl
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों की निवेश दक्षता अनुपात गुणवत्ता मापने का यह तरीका सबसे पहले अमेरिका में 1979 में फेडरल बैंक ने शुरू किया था l भारत में इस रेटिंग मानक की शुरुआत1995 में रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग सुपरविजन की समीक्षा करने के लिए गठित S. पद्मनाभम की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर शुरू की गयी थीl इस समिति ने यह निवेश दक्षता अनुपात सुझाव दिया कि बैंकों के सुपरविजन को सुद्रढ़ता, वित्तीय, प्रबंधकीय तथा क्रियात्मक कुशलता के लिए परिभाषित मानकों पर ध्यान देना चाहिए l “CAMELS” रेटिंग में 6 मानक हैं जो कि इस प्रकार हैं :
1. C: Capital Adequacy Ratio (पूँजी पर्याप्तता अनुपात):- पूँजी पर्याप्तता इस बात को मापती है कि बैंक किस प्रकार अपनी हानियों को ठीक करता है और बैंक को बंद किये बिना ग्राहकों के प्रति अपने सभी दायित्वों का निर्वहन करता हैl इसे 25% भार (weightage) दिया गया हैl
2. A:Asset Quality (संपत्ति की गुणवत्ता) :- परिसंपत्तियों में एक बैंक की सभी संपत्तियों को गिना जाता है जैसे वर्तमान लोन, निवेश, जमीन और बैलेंस शीट के अलावा अन्य तरह के निवेश दक्षता अनुपात लेनदेन आदि l इसे 20% भार (weightage) दिया गया हैl
3. M: Management Effectiveness (प्रबंधन प्रभावशीलता)¬:- इसमें बैंक के निदेशक मंडल और शीर्ष-स्तरीय प्रबंधकों को शामिल किया जाता है जो कि एक बैंक की सभी नीतियों, जैसे निवेश, व्यापार विस्तार और कर्मचारियों से सम्बंधित सभी निर्णय लेते हैंl इसे 25% भार (weightage) दिया गया हैl
4. E: Earning (कमाई):- इसमें जिन गतिविधियों के द्वारा बैंक लाभ कमाता है, को शामिल किया जाता है l यदि कोई बैंक कम रुपये निवेश कर ज्यादा लाभ कमाता है तो उसको लाभ कमाने वाला बैंक माना जाता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
5. L:Liquidity (तरलता):- परिसंपत्तियों को नकद में बदलने की बैंक की क्षमता को ‘तरलता’ कहा जाता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
6. S: Sensitivity (बाजार जोखिम के प्रति संवेदनशीलता, विशेष रूप से ब्याज दर जोखिम):- इसमें बैंक की इस योग्यता को मापा जाता है कि बैंक बदलती बाजार की स्थितियों की दशा में किस प्रकार की नीति अपनाता है, साथ ही कितनी सटीकता से इस बात का अनुमान लगता है कि ब्याज दर में परिवर्तन, विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन बैंक के लाभ या हानि को कैसे प्रभावित करता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl
इस्लामिक बैंकिंग क्या होती है और यह कैसे काम करती है?
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किसी भी बैंक को इन उपर्युक्त 6 मानकों के आधार पर जांचा जाता है और हर मानक को 1 से लेकर 5 तक के पॉइंट दिए जाते हैं l सबसे अच्छे प्रदर्शन को1 अंक और सबसे ख़राब को 5 अंक दिया जाता है l यदि किसी बैंक को 3 रेटिंग मिलती है तो यह माना जाता है कि बैंक की स्थिति संतोषजनक स्तर से कम है और इसको अपनी गुणवत्ता में सुधार लाने की जरुरत है l
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इस रेटिंग के आधार पर बैंक का सुपरविजन अधिकारी इस बात का निर्णय लेता है कि किन बैंकों का प्रदर्शन ठीक नही है और इसको ठीक करने की रणनीति बताता हैl यहाँ पर यह बात उल्लेखनीय है कि कहीं कहीं केवल 5 मानकों के आधार पर रेटिंग तय की जाती है l
भारत में विदेशी बैंकों के प्रदर्शन की गुणवत्ता, कार्यप्रणाली को जानने के लिए CACS मानक का प्रयोग किया जाता है l इसका विस्तार इस प्रकार है :
C: Capital Adequacy (पूँजी पर्याप्तता)
A: Assets Quality (संपत्तियों की गुणवत्ता)
C: Compliance (RBI के नियमों का अनुपालन)
S: Sensitivity (जोखिम के निवेश दक्षता अनुपात प्रति संवेदनशीलता)
इस प्रणाली में ‘प्रबंधन और कमाई’ को शामिल नही किया गया है l
इस प्रकार, "CAMELS" रेटिंग के माध्यम से, बैंक की समग्र वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है और सुधारात्मक कार्य, यदि कोई हो, तदनुसार किया जाता है।
Profitability Index क्या है?
Profitability Index, जिसे लाभ निवेश अनुपात और मूल्य निवेश अनुपात के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रस्तावित परियोजना के निवेश के लिए अदायगी का अनुपात है। यह परियोजनाओं की रैंकिंग के लिए एक उपयोगी उपकरण है क्योंकि यह आपको निवेश की प्रति इकाई सृजित मूल्य की मात्रा निर्धारित करने की अनुमति देता है।
लाभप्रदता सूचकांक (पीआई) क्या है? [What is Profitability Index? In Hindi]
Profitability Index (PI), जिसे वैकल्पिक रूप से Value Investment Ratio (VIR) या Profit Investment Ratio (PIR) के रूप में संदर्भित किया जाता है, एक Index का वर्णन करता है जो एक प्रस्तावित परियोजना की लागत और लाभों के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी गणना भविष्य में अपेक्षित cash flow के वर्तमान मूल्य और परियोजना में निवेश की गई प्रारंभिक राशि के बीच के अनुपात के रूप में की जाती है। एक उच्च Profitability Index (PI) का मतलब है कि एक परियोजना को अधिक आकर्षक माना जाएगा।
'लाभप्रदता सूचकांक' की परिभाषा [Definition निवेश दक्षता अनुपात of "Profitability Index" In Hindi]
Profitability Index एक वित्तीय उपकरण है जो हमें बताता है कि किसी निवेश को स्वीकार किया जाना चाहिए या अस्वीकार किया जाना चाहिए। यह पैसे की समय मूल्य अवधारणा का उपयोग करता है और इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है।
यदि PI 1 से अधिक है, तो निवेश स्वीकार करें। यदि PI 1 से कम है, तो निवेश को अस्वीकार करें और यदि PI = 1 है, तो उदासीन (निर्णय को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है) Production Possibility Frontier (PPF) निवेश दक्षता अनुपात क्या है?
Federal Bank: आईएफसी ने ग्रीन रिकवरी को बढ़ावा देने को फेडरल बैंक में इक्विटी निवेश किया
Federal Bank: आईएफसी ने ग्रीन रिकवरी को बढ़ावा देने को फेडरल बैंक में इक्विटी निवेश किया है.
Published: July 30, 2021 8:17 AM IST
Federal Bank: ग्लोबल फंडिंग एजेंसी इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (IFC) ने अपनी संबद्ध संस्थाओं के साथ मिलकर फेडरल बैंक में ग्रीन रिकवरी को बढ़ावा देने के लिए इक्विटी निवेश किया है. निवेश से छोटे व्यवसायों के लिए वित्त तक पहुंच में सुधार की उम्मीद है.
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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जलवायु के अनुकूल परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण में वृद्धि के साथ-साथ छोटे व्यवसायों के लिए अधिक वित्तपोषण से कोविड-19 से बिगड़ी भारत की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार लाने में मदद करने के लिए फेडरल बैंक में 126 मिलियन डॉलर (916 करोड़ रुपये) का इक्विटी निवेश किया है.
बयान में कहा गया है, निवेश अपने टियर 1 पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) को मजबूत करते हुए और अपने सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) और जलवायु वित्त विभागों का विस्तार करते हुए पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) मानकों के प्रति एफबीएल की प्रतिबद्धता का भी समर्थन करेगा, जो विकास के अवसरों के लिए महत्वपूर्ण हैं.
ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु स्मार्ट कृषि, हरित भवन और अपशिष्ट प्रबंधन सहित परियोजनाओं के लिए ग्रीन पोर्टफोलियो वित्तपोषण में वृद्धि के साथ, इक्विटी निवेश से फेडरल बैंक को अपने ईएसजी पोर्टफोलियो को विकसित और मजबूत करने की उम्मीद है.
वर्तमान में, भारत ग्रीनहाउस-गैस (जीएचजी) उत्सर्जन के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है, देश को 2030 तक जीएचजी उत्सर्जन को कम करने के लिए पेरिस समझौते के तहत अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त निवेश की जरूरत है.
(With IANS Inputs)
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Asset Turnover Ratio क्या है?
एसेट टर्नओवर रेश्यो क्या है? [What is Asset Turnover ratio?] [In Hindi]
Asset Turnover Ratio, जिसे कुल एसेट टर्नओवर अनुपात के रूप में भी जाना जाता है, उस दक्षता (efficiency) को मापता है जिसके साथ एक कंपनी अपनी संपत्ति का उपयोग बिक्री करने के लिए करती है। एसेट टर्नओवर अनुपात फॉर्मूला किसी कंपनी की कुल या औसत संपत्ति से विभाजित शुद्ध बिक्री के बराबर है। उच्च परिसंपत्ति कारोबार अनुपात वाली कंपनी कम अनुपात वाले प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक कुशलता से काम करती है।
'एसेट टर्नओवर अनुपात' की परिभाषा [Definition of 'Asset Turnover Ratio'] [In Hindi]
एसेट टर्नओवर अनुपात किसी कंपनी की बिक्री या राजस्व के मूल्य और उसकी संपत्ति के मूल्य के बीच का अनुपात है। यह उस दक्षता (efficiency) का संकेतक है जिसके साथ एक कंपनी राजस्व उत्पन्न करने के लिए अपनी संपत्ति को तैनात कर रही है। इस प्रकार, परिसंपत्ति कारोबार अनुपात (asset turnover ratio) कंपनी के प्रदर्शन का निर्धारक हो सकता है। रेश्यो जितना अधिक होगा, कंपनी का प्रदर्शन उतना ही बेहतर होगा। एसेट टर्नओवर रेश्यो कंपनी से कंपनी में भिन्न हो सकता है। आमतौर पर, इसकी गणना एक विशिष्ट वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक आधार पर की जाती है।
- एसेट टर्नओवर कुल बिक्री या राजस्व का औसत संपत्ति का रेश्यो है।
- यह मीट्रिक निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि कंपनियां बिक्री उत्पन्न करने के लिए अपनी संपत्ति का कितना प्रभावी उपयोग कर रही हैं।
- निवेशक समान क्षेत्र या समूह में समान कंपनियों की तुलना करने के लिए परिसंपत्ति कारोबार अनुपात का उपयोग करते हैं।
- एक कंपनी का परिसंपत्ति कारोबार अनुपात किसी दिए गए वर्ष में बड़ी संपत्ति की बिक्री के साथ-साथ महत्वपूर्ण संपत्ति खरीद से प्रभावित हो सकता है।
What is the formula of Asset Turnover Ratio?
- शुद्ध बिक्री (Net Sales) बिक्री रिटर्न, बिक्री छूट और बिक्री भत्ते में कटौती के बाद उत्पन्न राजस्व की राशि है।
- औसत कुल संपत्ति (Average of total sales) वर्तमान या पिछले वित्तीय वर्ष के वर्ष के अंत में कुल संपत्ति का औसत है। नोट: एक विश्लेषक या तो औसत या अवधि के अंत की संपत्ति का उपयोग कर सकता है।
एसेट टर्नओवर अनुपात की गणना किसी कंपनी द्वारा वर्ष की शुरुआत में और एक वित्तीय वर्ष के अंत में संपत्ति के औसत पर विचार करके और संपत्ति की कुल संख्या को हर के रूप में रखते हुए की जा सकती है। कुछ क्षेत्रों की कंपनियों के लिए रेश्यो दूसरों की तुलना में अधिक हो सकता है।
अडानी पावर Vs टाटा पावर: बंपर कमाई के लिए कौन सा स्टॉक है बेहतर और क्यों? चेक करें डिटेल
Adani Power vs Tata Power Stock: पावर स्टॉक में निवेश के लिए टाटा पावर और अडानी पावर के शेयरों को हमेशा से ही बेहतर माना जाता रहा है। अगर आप पावर स्टॉक में निवेश (Power stock) करने की सोच रहे हैं.
Adani Power vs Tata Power Stock: पावर स्टॉक में निवेश के लिए टाटा पावर और अडानी पावर के शेयरों को हमेशा से ही बेहतर माना जाता रहा है। अगर आप पावर स्टॉक में निवेश (Power stock) करने की सोच रहे हैं लेकिन टाटा पावर के शेयर और अडानी पावर के शेयर में कंफ्यूज्ड हैं तो आपके लिए यह खबर काम की हो सकती है। हम आपको दोनों कंपनी और शेयरों की तुलनात्मक डिटेल दे रहे हैं ताकि आपकी दुविधा कुछ हद तक कम सके।
अडानी पावर और टाटा पावर स्टॉक ही क्यों?
इस आधुनिक दुनिया में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बिजली बहुत महत्वपूर्ण है। चूंकि बिजली किसी देश के बुनियादी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए यह एक देश की जिम्मेदारी है कि वह सभी को सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे। फिर भी, देश अभी भी बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप अन्य देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति खपत कम है। उदाहरण के लिए, भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और बिजली का उत्पादक है। हालांकि, प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत के एक तिहाई से भी कम है। हालांकि, 2040 तक भारत में बिजली की मांग तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है। भारत थर्मल, हाइड्रो, सौर, पवन और परमाणु जैसे बिजली के विविध स्रोतों का घर है, फिर भी यह थर्मल स्रोतों से अपनी अधिकांश बिजली आवश्यकताओं को पूरा करता है। थर्मल पावर कैटेगरी में दो मशहूर प्राइवेट पलेयर, अडानी पावर और टाटा पावर हैं।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- बिजनेस
अडानी पावर, अडानी ग्रुप (Adani group) का हिस्सा है, जो भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट थर्मल पावर कंपनी है। भारत में यह कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने में अग्रणी है। कंपनी के पास बिजली बेचने के लिए कई अल्पकालिक और दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) हैं। यह भारत में बिजली उत्पादन की कुल क्षमता का 6% है। यह रिनेबल एनर्जी सेक्टर में भी है और गुजरात में इसका एक सोलर प्लांट भी है। अब आते हैं टाटा पावर पर, टाटा पावर प्रतिष्ठित टाटा समूह (Tata group) का हिस्सा है और यह विविध विद्युत कंपनी है। कंपनी सोलर रूफटॉप्स, पंप्स, माइक्रोग्रिड्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्जिंग स्टेशनों जैसे कंज्यूमर-सेंट्रिक व्यवसायों में भी मौजूद है। जहां एक निवेश दक्षता अनुपात तरफ अडानी पावर पूरी तरह से थर्मल पावर जेनरेट करने में लगी है। वहीं, दूसरी तरफ टाटा पावर बिजली क्षेत्र की वैल्यू चेन में मौजूद है, उसके पास काफी नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो है।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- रेवेन्यू ग्रोथ
किसी व्यवसाय के विकास का पहला संकेतक उसका राजस्व है। Equitymaster रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी पावर का साल 2017-18 में रेवेन्यू ग्रोथ 8.9% था, 2018-19 में 25.0%, 2019-20 में 5.6% और 2020-2021 में रेवन्यू ग्रोथ 1.1% रहा। तो वहीं, टाटा पावर का 2017-18 में रेवेन्यू ग्रोथ 4.7%, 2018-19 में 12.1%, 2019-20 में 1.7% और 2020-21 में 11.2 फीसदी रहा। टाटा पावर का राजस्व पिछले पांच वर्षों में अडानी पावर के 4.1 फीसदी के मुकाबले 3.1 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। वहीं, पिछले पांच वर्षों में अडानी पावर का वॉल्यूम 0.3% गिर गया, जबकि टाटा पावर का 2.3% (CAGR) गिर गया। वित्त वर्ष 2021 में अडानी पावर का एबिटडा मार्जिन टाटा पावर के 23.8% के मुकाबले 40.4% था। अडानी पावर के लिए, मार्जिन में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि टाटा पावर ने अपने एबिटडा मार्जिन को 23%-24% की सीमा में बनाए रखा। कम लॉजिस्टिक्स लागत और प्लांट लेवल पर लागत-कटौती पहल के कारण अडानी पावर का एबिटडा मार्जिन अधिक है।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- बिजली उत्पादन क्षमता
अडानी पावर की भारत में छह बिजली प्लांट्स में कुल 12,410 मेगावाट की स्थापित कैपासिटी है। इसका गुजरात में 40MW की क्षमता वाला एक सोलर एनर्जी प्लांट भी है। कंपनी अपने सभी प्लांट में 7,000 मेगावाट कैपासिटी एड कर रही है, जिसमें बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति के लिए झारखंड में 1,600 मेगावाट की एक परियोजना भी शामिल है।
पावर सेक्टर का फ्यूचर
हालांकि, भारत बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत से काफी कम है। इस सेक्टर में ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। यह सरकार की पहल जैसे 'सभी के लिए बिजली', बढ़ती जनसंख्या और भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के सरकार के उद्देश्य के साथ मिलकर इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगा। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, अडानी पावर नए और मौजूदा प्लांट्स में अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
दूसरी ओर, टाटा पावर अक्षय ऊर्जा में प्रवेश कर रहा है और अपने नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को आक्रामक रूप से बढ़ा रहा है। कंपनी ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सौर इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी) और ईवी चार्जिंग स्टेशनों में भी कदम रखा है। टाटा पावर 3,532 किमी के ट्रांसमिशन नेटवर्क और पूरे भारत में चार लाख सर्किट किमी से अधिक के वितरण नेटवर्क का प्रबंधन भी करता है।
शेयरों की कीमत
अडानी पावर के शेयर वर्तमान में एनएसई पर 123.35 रुपये पर हैं तो टाटा पावर के शेयर 223 रुपये प्रति स्तर पर है।
कौन है बेहतर
टाटा पावर की तुलना में अदानी पावर की राजस्व वृद्धि और परिचालन मार्जिन अधिक है, जो परिचालन दक्षता को दर्शाता है। आर्थिक मंदी के दौरान भी, कंपनी के वॉल्यूम पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। टाटा पावर, शुद्ध लाभ मार्जिन और उच्च रिटर्न अनुपात के मामले में आगे है। इसमें अडानी पावर की तुलना में कम लीवरेज है, जो एक मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल का संकेत देता है। कंपनी के पास सकारात्मक मुक्त कैश प्रवाह भी है और उसने पिछले 20 वर्षों से अपने शेयरधारकों को लगातार लाभांश का भुगतान किया है। जबकि दोनों कंपनियां अपनी-अपनी निवेश दक्षता अनुपात श्रेणियों में प्रमुख खिलाड़ी हैं, किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले, दोनों कंपनियों के मूल सिद्धांतों और मूल्यांकन की जांच करें। साथ ही एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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