स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ
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स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ
स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध होने में लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) द्वारा दिलचस्पी न दिखाए जाने को लेकर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने चिंता जताई है। सेबी ने कहा है कि एसएमई सूचीबद्ध होने के बजाय निजी इक्विटी (पीई) निवेश को तरजीह दे रहे हैं। बाजार नियामक ने निवेशकों से रकम जुटाने में मदद के लिए छोटे उद्यमों की मदद के लिए एसएमई प्लेटफॉर्म शुरू किया था। सेबी के पूर्वकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने कहा कि इसके बावजूद कंपनियां पीई निवेश का विकल्प चुन रही हैं क्योंकि वर्तमान खुलासा ढांचे को लेकर वे झिझक रही हैं।
अग्रवाल ने एसएमई विनिर्माता एवं निर्यातक सम्मेलन में कहा, 'खुलासा जरूरत के कारण उद्यमी अपने कारोबार को सूचीबद्ध कराने से झिझक रहे हैं। एसएमई के लिए दीर्घावधि लाभ सृजित करने के लिहाज से इस पर नए सिरे से गौर करने की जरूरत है। सूचीबद्ध होने से उनकी दृष्टिï बढ़ जाएगी और उन्हें निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।' उन्होंने कहा, 'हमने तमाम क्लस्टरों में कई उद्यमियों से बातचीत की और पाया कि सूचीबद्ध कराने में उन्हें खास दिलचस्पी नहीं है।'
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दोनों के पास एसएमई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ के लिए सूचीबद्धता प्लेटफॉर्म मौजूद है जहां कम पूंजी आधार वाली कंपनियों को सूचीबद्ध किया जाता है। मुख्य एक्सचेंज के मुकाबले एसएमई प्लेटफॉर्म पर नियमन और खुलासा संबंधी नियम आसान हैं। अग्रवाल ने कहा कि सेबी ने संस्थागत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी शुरू किया था जहां कंपनियों को बिना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के सूचीबद्ध होने की सुविधा दी गई थी। उधर, एक्सचेंजों का कहना है कि वर्तमान ढांचे को और अधिक आसान बनाने की जरूरत है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक्सचेंजों को मीडिया चैनलों द्वारा संचालित किसी भी ऐसे कार्यक्रम के प्रायोजन से रोक दिया है जो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से संवेदनशील जानकारी फैलाते हैं। एनएसई, बीएसई, एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स जैसे स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा निवेशकों में जागरूकता के नाम पर प्रायोजित किए जाने रहे कई मौजूदा कार्यक्रमों के बीच सेबी का यह दिशा-निर्देश आया है। सेबी ने एक्सचेंजों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एक्सचेंजों के कर्मचारी ऐसी किसी विपणन पहल से जुड़े हुए नहीं हों। सेबी ने इस संबंध में एक्सचेंजों को अपने अधिकारियों और अन्य स्टाफ सदस्यों को उपयुक्त आचार संहिता बनाने का भी निर्देश दिया है।
DreamFolks Services IPO की धमाकेदार लिस्टिंग, 56 फीसदी प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुए शेयर
एनएसई पर कंपनी के शेयर 56 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुए हैं.
सूचीबद्ध होने के बाद एनएसई (NSE) पर एक बार ड्रीमफॉक्स सर्विसेज के शेयर (DreamFolks Services Share Price) 549 रुपये तक . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 06, 2022, 10:48 IST
हाइलाइट्स
ड्रीमफॉक्स आईपीओ का प्राइस बैंड प्रति इक्विटी शेयर 308 से 326 था.
कंपनी के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 508.70 रुपये पर पर लिस्ट हुए हैं.
बीएसई पर शेयर 505 रुपये पर सूचीबद्ध हुए हैं.
नई दिल्ली. ड्रीमफॉक्स आईपीओ की शेयर बाजारों में धमाकेदार लिस्टिंग हुई है. कंपनी के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 508.70 रुपये पर पर लिस्ट हुए हैं. बीएसई पर शेयर 505 रुपये पर सूचीबद्ध हुए हैं. ड्रीमफॉक्स आईपीओ का प्राइस बैंड प्रति इक्विटी शेयर 308 से 326 था. इस तरह एनएसई पर कंपनी के शेयर 56 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुए हैं तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर अपर बैंड से 55 फीसदी प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुए हैं.
सूचीबद्ध होने के बाद एनएसई पर एक बार कंपनी के शेयर 549 रुपये तक पहुंच गए. इसी तरह बीएसई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ पर भी लिस्टिंग के बाद शेयर 550 रुपये के स्तर को छू गए. समाचार लिखे जाने तक ड्रीमफॉक्स के शेयर एनएसई पर 48.83 फीसदी की तेजी के साथ 485.65 रुपये पर कारोबार कर
रहे थे. इसी तरह बीएसई पर कंपनी के शेयर 51.44 फीसदी की तेजी के साथ 494.80 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे.
आईपीओ को मिला था जबरदस्त रिस्पॉन्स
कंपनी के आईपीओ को इनवेस्टर्स का अच्छा रिस्पॉन्स मिला था. यह आईपीओ 56.68 गुना सब्सक्राइब हुआ. ड्रीमफॉक्स के आईपीओ को 94,83,302 शेयरों की पेशकश पर 53,74,97,212 शेयरों के लिए बोलियां मिलीं थी. पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) श्रेणी में यह 70.53 गुना सब्सक्राइब हुआ. वहीं, रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित भाग 43.66 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इसी तरह गैर-संस्थागत निवेशक श्रेणी में 37.66 गुना बोलियां मिलीं. ड्रीमफॉक्स आईपीओ का प्राइस बैंड प्रति इक्विटी शेयर 308 से 326 था. कंपनी ने एंकर निवेशकों से 253 करोड़ जुटाए थे.
प्रीमियम पर लिस्टिंग की जताई थी संभावना
इस इश्यू को लेकर ब्रोकरेज फर्म शुरू से ही पॉजिटिव थे. उन्होंने आईपीओ के शेयरों के प्रीमियम पर लिस्ट होने की घोषणा की थी. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, शेयर इंडिया के वीपी और रिसर्च हेड रवि सिंह का कहना था कि कंपनी का बिजनेस मॉडल लॉन्ग टर्म में इसे फायदा देगा. सिंह ने आईपीओ की लिस्टिंग इसके अपर प्राइस बैंड से 20 से 30 फीसदी प्रीमियम पर होने का अनुमान लगाया था. वहीं, प्रोफिशिएंट इक्विटीज के फाउंडर और डायरेक्टर मनोज डालमिया ने ड्रीमफॉक्स आईपीओ की लिस्टिंग 400 रुपये से ऊपर होने की भविष्यवाणी की थी. उनका कहना था कि आईपीओ की लिस्टिंग 408 से 428 रुपये के बीच होगी.
ब्रोकरेज ने दी थी सब्सक्राइब करने की सलाह
ड्रीमफॉक्स के आईपीओ को लेकर एनालिस्ट्स भी पॉजिटिव रहे थे. ब्रोकरेज का कहना था कि कंपनी की बैलेंसशीट मजबूत है, इसलिए इसमें निवेशकों को पैसा लगाना चाहिए. जैनम ब्रोकिंग ने अपने आईपीओ नोट में कहा था कि कंपनी मुनाफे में है और इस पर कोई कर्ज नहीं है. कंपनी को फिलहाल किसी प्रतिस्पर्धा का सामना भी नहीं करना पड़ रहा रहा है. इसलिए निवेशकों को इसमें पैसा लगाने पर मुनाफा हो सकता है. अनलिस्टेड एरेना के को-फाउंडर अभय दोषी ने भी पॉजिटिव लिस्टिंग की संभावना जताई थी.
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पूंजी जुटाने का विकल्प बना एसएमई एक्सचेंज
क्या है फायदा
कारोबारियों को एसएमई एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से न केवल पूंजी मिलती है। बल्कि इसके अलावा दूसरे भी कई फायदे मिलते हैं। जैसे कि कंपनी की पहचान और साख में बढ़ोतरी होती है। कंपनी में निवेश के लिए कहीं ज्यादा निवेशक मिलते है।
मसलन प्राइवेट इक्विटी निवेशक या वेंचर कैपिटलिस्ट ज्यादातर शेयर बाजार की कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं। एसएमई के सूचीबद्ध होने से प्राइवेट निवेशकों के विकल्प बढ़ जाते हैं।
कंपनी के शेयरों की अच्छी मांग से वैल्यूएशन में भी बढ़ोतरी होती है। कारोबारियों को अधिग्रहण और विलय के भी विकल्प उपलब्ध होते हैं। साथ ही कंपनी पर जोखिम भी कम हो जाता है।
कौन हैं पात्र
एसएमई एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए पहली पात्रता स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ कंपनी का एसएमई वर्ग के तहत होना है। उसके बाद कंपनी की शुद्ध मूर्त संपत्ति ताजा वित्तीय परिणामों के अनुसार कम से कम एक करोड़ रुपये होनी चाहिए।
इसी तरह शुद्ध नेटवर्थ भी कम से कम एक करोड़ रुपये होनी चाहिए। इश्यू के बाद कंपनी की चुकता पूंजी भी कम से कम एक करोड़ रुपये होना जरूरी है।
कंपनी को कम से कम पिछले दो वित्त वर्ष में लाभकारी होना भी जरूरी है। साथ ही, कंपनी का कभी भी बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) के पास न जाना भी एक अहम शर्त है।
बिना आईपीओ लाए भी मौका
वित्त वर्ष 2013-14 के आम बजट में सरकार ने बिना आईपीओ लाए कंपनियों के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ सूचीबद्ध होने की घोषणा कर दी है। बजट के अनुसार छोटे और मझोले वर्ग के तहत आने वाले उपक्रम विभिन्न शर्तों के अनुसार एसएमई एक्सचेंज में बिना आईपीओ लाए भी सूचीबद्ध हो सकेंगे।
कारोबार बढ़ाने के लिए हमेशा ही छोटे कारोबारियों को पूंजी की किल्लत रहती है। ऐसे में वह बैंक के अलावा दूसरे विकल्पों पर ज्यादा निर्भर नहीं रहते हैं।
सस्ती पूंजी जुटाने का एक बेहतरीन विकल्प एसएमई एक्सचेंज बन सकता है, जिसके जरिए कारोबारी पूंजी जुटाने के साथ-साथ बड़े स्तर पर एक्सपोजर भी पा सकते हैं।
देश में इस समय बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) प्रमुख रूप से छोटे कारोबारियों के लिए एसएमई प्लेटफार्म के रूप में एक्सचेंज मुहैया स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ करा रहे हैं।
छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहित करने के लिए न केवल डीआरएचपी फाइल करने में विशेष छूट मिल रही है, बल्कि उसके लिए उन्हें सलाह भी दी जा रही है।
क्या है फायदा
कारोबारियों को एसएमई एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से न केवल पूंजी मिलती है। बल्कि इसके अलावा दूसरे भी कई फायदे मिलते हैं। जैसे कि कंपनी की पहचान और साख में बढ़ोतरी होती है। कंपनी में निवेश के लिए कहीं ज्यादा निवेशक मिलते है।
मसलन प्राइवेट इक्विटी निवेशक या वेंचर कैपिटलिस्ट ज्यादातर शेयर बाजार की कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं। एसएमई के सूचीबद्ध होने से प्राइवेट निवेशकों के विकल्प बढ़ जाते हैं।
कंपनी के शेयरों की अच्छी मांग से वैल्यूएशन में भी बढ़ोतरी होती है। कारोबारियों को अधिग्रहण और विलय के भी विकल्प उपलब्ध होते हैं। साथ ही कंपनी पर जोखिम भी कम हो जाता है।
कौन हैं पात्र
एसएमई एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए पहली पात्रता कंपनी का एसएमई वर्ग के तहत होना है। उसके बाद कंपनी की शुद्ध मूर्त संपत्ति ताजा वित्तीय परिणामों के अनुसार कम से कम एक करोड़ रुपये होनी चाहिए।
इसी तरह शुद्ध नेटवर्थ भी कम से कम एक करोड़ रुपये होनी चाहिए। इश्यू के बाद कंपनी की चुकता पूंजी भी कम से कम एक करोड़ रुपये होना जरूरी है।
कंपनी को कम से कम पिछले दो वित्त वर्ष में लाभकारी होना भी जरूरी है। साथ ही, कंपनी का कभी भी बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) के पास न जाना भी एक अहम शर्त है।
बिना आईपीओ लाए भी मौका
वित्त वर्ष 2013-14 के आम बजट में सरकार स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लाभ ने बिना आईपीओ लाए कंपनियों के सूचीबद्ध होने की घोषणा कर दी है। बजट के अनुसार छोटे और मझोले वर्ग के तहत आने वाले उपक्रम विभिन्न शर्तों के अनुसार एसएमई एक्सचेंज में बिना आईपीओ लाए भी सूचीबद्ध हो सकेंगे।
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