सिंगापुर निफ्टी से मिल रहे गिरावट के संकेत, लाल निशान में खुल सकते हैं भारतीय बाजार

भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (12 दिसंबर) को गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत के संकेत मिल रहे हैं। सिंगापुर निफ्टी में सुबह 8.20 बजे के आसपास 65 अंकों की सुस्ती दिखाई दे रही है और यह 0.35% लुढ़क कर 18,526 के स्तर के आसपास मंडरा रहा है।

इससे पहले शुक्रवार (09 दिसंबर) को भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ खुले थे। मगर यह अपनी बढ़त बरकरार नहीं रख सके और जल्दी ही लाल निशान में पहुँच गये। एनएसई का निफ्टी 112.75 अंकों की गिरावट के साथ 0.61% गिर कर 18,496.60 के स्तर पर बंद हुआ। बीएसई के सेंसेक्स में 389.01 अंकों की सुस्ती रही और यह 0.62% की नरमी के साथ 62,181.67 के स्तर पर बंद हुआ।

एशियाई बाजारों की बात करें तो आज सुबह से प्रमुख बाजार में गिरावट नजर आ रही है। जापान के निक्केई में 79.89 अंकों की सुस्ती है और यह 0.29% की नरमी के साथ कारोबार कर रहा है। हॉन्ग कॉन्ग के हैंग सेंग में आज 1.60% की गिरावट दिख रही है और यह 319.34 अंकों की सुस्ती के साथ कारोबार कर रहा है। शंघाई कंपोजिट 0.52% की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। दक्षिण कोरिया के स्टॉक एक्सचेंज कॉस्पी में 0.69% की नरमी दिखाई दे रही है।

यूरोपीय बाजार अभी खुले नहीं हैं और यहाँ शु्क्रवार (09 दिसंबर) को प्रमुख बाजार में तेजी देखने को मिली थी। शुक्रवार के कारोबार में लंदन के एफटीएसई 100 (FTSE 100) में 0.06% की तेजी रही और यह 4.46 अंक की उछाल के साथ 7476.63 के स्तर पर बंद हुआ। पेरिस का बेंचमार्क इंडेक्स कैक 40 (CAC 40) 0.46% की बढ़त के साथ 6,677.64 के स्तर पर बंद हुआ। फ्रैंकफर्ट के डैक्स 30 (DAX30) में 0.74% की तेजी रही और यह 106.16 अंक की उछाल के साथ क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं बंद हुआ।

अमेरिका के लगभग सभी प्रमुख बाजार में शुक्रवार (09 दिसंबर) को गिरावट दर्ज की गयी थी। डॉव जोंस में 305.02 अंक लुढ़क गया और 33,476.46 के स्तर पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट में 77.39 अंक या 0.70% की नरमी आयी और यह 11,004.62 के स्तर पर बंद हुआ। एसऐंडपी 500 में भी 29.13 अंक या 0.73% की सुस्ती रही और यह 3,934.38 के स्तर पर बंद हुआ।

डॉलर इंडेक्स पर होगी बाजार की नजर, 3 बजे तक ट्रेडर्स निफ्टी में करें छोटी मुनाफावसूली- अनुज सिंघल

अनुज सिंघल ने निफ्टी बैंक में आज बड़ी गिरावट नहीं होगी। निफ्टी बैंक में खरीदारी का 43,900-43,950 अच्छा जोन है। लॉन्ग सौदों पर 43,800 का SL रखें। निफ्टी बैंक को शॉर्ट नहीं करें। 44,150 के ऊपर 44,300 बहुत जल्द मिलेगा। 44,300 मुनाफावसूली का जोन मिलेगा

अनुज सिंघल ने कहा है गैप डाउन में निफ्टी सपोर्ट जोन क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं तक जा सकता है। निफ्टी के लिए 18,570-18605 पर सपोर्ट है। पहले सपोर्ट जोन पर खरीदारी से फायदा होता है।

Anuj Singhal on Nifty or Bank Nifty Views- कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच आज भारतीय बाजार गिरावट के साथ खुले। फेड की पॉलिसी को ग्लोबल बाजारों का ठंडा रिस्पॉन्स मिला है। एशियाई बाजार और SGX NIFTY फ्लैट कारोबार कर रहे है । अमेरिकी बाजार भी कमजोर होकर बंद हुए। हालांकि US फ्यूचर्स में मजबूती के साथ कारोबार हो रहा है। । ऐसे में ग्लोबल बाजार के सेटअप पर बात करते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल का क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं कहना है कि भारत के लिए ग्लोबल संकेत खराब नहीं है। बाजार की नजर आज डॉलर इंडेक्स पर होगी। नैस्डेक ने हाल की सारी बढ़त गंवाई है। न्यू इकोनॉमी शेयर खराब कर रहे हैं। निफ्टी के मुकाबले बैंक निफ्टी आउटपरफॉर्म करेगा।

निफ्टी पर क्या है राय

ऐसे में आज निफ्टी और बैंक निफ्टी में कैसे हो सकती है कमाई, इस क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं पर अपनी राय देते अनुज सिंघल ने कहा है गैप डाउन में निफ्टी सपोर्ट जोन तक जा सकता है। निफ्टी के लिए 18,570-18605 पर सपोर्ट है। पहले सपोर्ट जोन पर खरीदारी से फायदा होता है। निफ्टी का 10 DEMA 18,576 पर है। लॉन्ग सौदों पर 20 DEMA 18,495 पर SL रखें। लॉन्ग सौदों पर मुनाफावसूली का जोन 18,670-18,700 है। 3 बजे तक ट्रेडर्स छोटी मुनाफावसूली करें। 3 बजे के बाद डेटा के मुताबिक आगे का ट्रेंड देखेंगे।

खराब एयर क्वालिटी IVF लैब्स को प्रभावित कर सकती है; एक्सपर्ट के मुताबिक प्रदूषण स्टिल बर्थ के मामलों को बढ़ा सकते हैं

स्टडी के परिणामों के मुताबिक लैब्स में AQI कई मौकों पर औसतन 250 से ज्यादा क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं हो गया, जिसे अनहेल्दी और घातक माना जाता है.प्रयोगशालाओं में पाए जाने वाले प्रदूषक संपूर्ण आईवीएफ प्रक्रिया के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं.

खराब एयर क्वालिटी IVF लैब्स को प्रभावित कर सकती है; एक्सपर्ट के मुताबिक प्रदूषण स्टिल बर्थ के मामलों को बढ़ा सकते हैं

स्नेहा कुमारी: ग्रीन थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, अक्टूबर से नवंबर तक की अवधि में दिल्ली पिछले आठ सालों की तुलना में सबसे कम प्रदूषित थी और सर्दियों के मौसम में अब तक कोई गंभीर स्मॉग नहीं देखा गया है. हालांकि ये बहुत अच्छी बात है लेकिन वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है, इससे यह समस्या दूर नहीं होती है.

हमारे स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को समझने के लिए की जा रही कई स्टडी के मद्देनजर, एक्सपर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की प्रक्रिया के परिणाम पर इनडोर एयर क्वॉलिटी का सीधा प्रभाव पड़ता है.

पूरे भारत में आईवीएफ क्लीनिकों के अंदर रियल-टाइम एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) की मॉनिटरिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास में, हाल ही में एक स्टडी की गई थी जिसमें लैब में मौजूद पॉल्यूटेंट्स (प्रदूषकों) को हाईलाइट किया गया था जो आईवीएफ प्रक्रिया के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं. एयर प्यूरिफायर बनाने वाली कंपनी ऑरा एयर ने देश भर के आईवीएफ क्लीनिकों में इनडोर एयर क्वॉलिटी पर एक रिसर्च की है.

मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग की सलाहकार डॉ. गंधाली देवरुखकर ने News9 को बताया, “लैब में किए जाने वाले हर IVF ऑपरेशन के दौरान HEPA फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है. दो मुख्य कारक हैं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जो एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) को गिराने का कारण बनते हैं और लोअर बर्थ रेट से जुड़े हैं. इसके अलावा, 10 मिमी या उससे ज्यादा बड़े कणों को गर्भवती महिलाओं के गर्भपात से जोड़कर देखा गया है.”

“चूंकि क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं पूरी आईवीएफ प्रक्रिया क्वॉलिटी कंट्रोल के साथ एक नियंत्रित सेटिंग में की जाती है, इसलिए किसी भी गलती का गर्भावस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. HEPA प्यूरीफायर को जितना ज्यादा वायु प्रदूषण बाहर है उस हिसाब से फिलटरेशन करना चाहिए, हालांकि यह पूरी तरह से मशीन की क्वॉलिटी पर निर्भर करता है. आईवीएफ ऑपरेशन रूम के अंदर हवा की गुणवत्ता को बनाए रखा जाना चाहिए. किसी भी कमी का उस महीने की गई हर आईवीएफ प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है.

हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड स्टिलबर्थ से जुड़ी है

स्टडी के उपायों में AQI, PM 2.5 और PM 10 (पार्टिकुलेट मैटर), VOCs (वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड), CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड), CO (कार्बन मोनोऑक्साइड), तापमान और आर्द्रता शामिल थे.

डॉ देवरुखकर ने कहा, “चाहे आईवीएफ लैब के बाहर हो या अंदर सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सहित अन्य गैसें गर्भपात और प्रजनन दर कम करने में भूमिका निभाती हैं. वायु प्रदूषण के चलते पुरुषों और महिलाओं दोनों ने प्रजनन क्षमता में कमी का अनुभव किया है.”

उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ओव्यूलेशन के दौरान अंडों में मौजूद द्रव को प्रभावित करता है और इससे अंडों की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इसके चलते प्रजनन दर कम और गर्भपात हो सकता है. मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड स्टिल बर्थ रेट से खास तौर पर जुड़ी हुई है.”

AQI कई मौकों पर औसतन 250 से ज्यादा रहता है

स्टडी के परिणामों के मुताबिक लैब्स में AQI कई मौकों पर औसतन 250 से ज्यादा हो गया, जिसे अनहेल्दी और घातक माना जाता क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं है. VOC एक कॉमन इनडोर एयर पोल्यूटेंट (वायु प्रदूषक) स्टडी का प्रमुख प्रदूषक था, जिसका रिकॉर्ड किया गया उच्चतम स्तर 2600ppb था, जबकि इसका सुरक्षित स्तर 500ppb से कम है. स्टडी में पाया गया कि CO2, PM 2.5, PM 10 और CO का स्तर सुरक्षित सीमा के अंदर था.

स्टडी के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए ऑरा एयर के प्रबंध निदेशक भारद्वाज पीवी ने कहा, “प्रयोगशालाओं में पाए जाने वाले वायु कण या किसी भी प्रकार के प्रदूषक संपूर्ण आईवीएफ प्रक्रिया के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं. यह स्टडी वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता की जांच के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित की गई थी. यहां तक कि असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) बिल भारतीय आईवीएफ केंद्रों के लिए मासिक वायु-गुणवत्ता रिपोर्ट देना अनिवार्य बनाता है.”

“आईवीएफ केंद्रों के क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं पास आज उन उपकरणों के लिए एक बजट है जो VOC के स्तरों पर नजर रखते हैं और उसे कम करते हैं. इनडोर एयर पोल्यूटेंट (वायु प्रदूषकों) को HEPA पर आधारित हाई क्वालिटी वाले फिल्टर के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है. हमें विश्वास है कि मेडिकल लेबोरेटरी, आईवीएफ सेंटर और अस्पताल जल्द ही एयर क्वालिटी को मॉनिटर करने और हानिकारक VOC से छुटकारा पाने के लिए प्यूरिफिकेशन टेक्नोलॉजी में निवेश को प्राथमिकता देंगे क्योंकि यह लैब के परिणामों पर खराब असर डाल सकते हैं.”

गुजरात चुनाव जीतते ही पीएम मोदी ने दिए सख्त फैसलों के संकेत, आर्थिक क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं हालत ठीक नहीं होने का दिया इशारा

एक तरह से पीएम मोदी ने इशारा दे दिया कि सरकार आने वाले दिनों में कई कड़े फैसले ले सकती है। जिसकी झलक अगले साल फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं दिख सकती है। इसमें करों में बढ़ोतरी से लेकर नौकरियों की कमी तक शामिल हो सकती है।

फोटोः @BJP4India

नवजीवन डेस्क

पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव में बीजेपी की जीत के तुरंत बाद ‘रेवड़ी’ कल्चर पर हमला बोलते हुए सख्त आर्थिक फैसलों के क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं संकेत दिए हैं। उन्होंने ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’ कहावत से देश की सरकार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने का इशारा देते हुए कहा कि हमें अपने आसपास के देशों की हालत को देखते हुए याद रखना होगा कि चुनावी हथकंडों से किसी का भला नहीं हो सकता।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पीएम गुरुवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने गुजरात की जीत पर कहा कि मैं लोगों के आगे नतमस्तक हूं। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं की संगठन शक्ति पर भरोसा करके अपनी रणनीति बनाती है और सफल होती है।

इसी दौरान चुनावों के दौरान किए जाने वाले लोकलुभावन वादों पर भी पीएम मोदी ने इशारों में हमला बोला। उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रेवड़ी कल्चर पर कहा कि एक कहावत है कि ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’। अगर यही हिसाब रहेगा तो क्या हालत होगी। उन्होंने कहा कि हम अपने आस-पास के देशों में देख रहे हैं। इसलिए देश आज सतर्क है। देश के हर दल को यह याद रखना होगा कि चुनावी हथकंडों से किसी का भला नहीं हो सकता है।

पीएम मोदी ‘मुफ्त वादों’ पर हमला करते हुए यहीं नहीं रुके और आगे कहा कि देश का मतदाता आज इतना जागरूक है कि वह अपना हित और अहित जानता है। उन्होंने कहा कि देश का मतदाता जानता है कि ऐसी शॉर्टकट की राजनीति का कितना बड़ा नुकसान देश को उठाना होगा।

एक तरह से पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव जीतते ही इशारों-इशारों में सरकार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के संकेत दे दिए हैं। और यह इस बात का भी इशारा है कि सरकार आने वाले दिनों में कई कड़े फैसले ले सकती है। जिसकी झलक अगले साल फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में दिख सकती है। इसमें करों में बढ़ोतरी से लेकर नौकरियों की कमी तक शामिल हो सकती हैं।

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