‘द हिंदू’ में प्रकाशित एम. सुरेश बाबू के लेख पर आधारित। 20 जनवरी, 2020
निवेश पर कर छूट सीमा हो सकती है 2 लाख रुपये
घर-परिवार में बचत को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्रालय विभिन्न वित्तीय उत्पादों में निवेश पर मिलने वाली कर छूट सीमा को दोगुना कर कर सकता है। फिलहाल व्यक्तिगत आयकरदाताओं को एक लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट मिलती है। माना जा रहा है कि आगामी बजट में आयकर कानून की धारा बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद 80सी, 80 सीसी तथा 80 सीसीसी के तहत दी जाने वाली छूट की इस सीमा को 2 लाख रुपये किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग अभी यह आकलन कर रहा है कि यदि निवेश पर कर छूट की सीमा बढ़ाई जाती है, तो इससे सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा। इसकी घोषणा बजट में हो सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली 2014-15 का बजट 10 जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगे।
रोजाना 100 रुपये से कम की बचत कर बना सकते हैं अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित, LIC की इस योजना में करना होगा निवेश
LIC देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है और देश के हर वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फंड लाती है। LIC Jeevan Tarun Plan बच्चों के लिए पेश किया गया एक उत्पाद है। इस योजना में निवेश करके आप अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
माता-पिता बनना अपने साथ कई जिम्मेदारियां लेकर आता है। अब प्ले स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा (Higher Studies) तक की प्लानिंग बच्चे को लेकर करनी है। इससे आपको बेहतर शिक्षा के साथ अपने बच्चे का बेहतर भविष्य मिलता है। ऐसे में आपको ऐसे उपकरणों में निवेश करने की जरूरत है, जिनमें जोखिम कम हो। भारत में लोग अभी भी गारंटीड रिटर्न प्लान (Guaranteed Return Plan) के साथ निवेश विकल्प पर विशेष जोर देते हैं। अगर आप भी हाल ही में माता-पिता बने हैं तो आपको तुरंत निवेश शुरू कर देना चाहिए। बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद इसके लिए आप LIC के जीवन तरुण प्लान (LIC Jeevan Tarun Plan) में निवेश करने के बारे में सोच सकते हैं।
हर दिन 100 रुपये से भी कम बचत से बनेंगे 15 लाख रुपये (LIC Jeevan Tarun Plan Return)
अगर आपके बच्चे के जन्म को 90 दिन हो गए हैं, तो आपका निवेश शुरू हो जाना चाहिए। एलआईसी कैलकुलेटर (LIC Calculator ) के मुताबिक अगर आप 90 दिन से एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हर महीने करीब 2,800 रुपये (प्रति दिन 100 रुपये से कम) निवेश करते हैं तो आपको 15.66 लाख रुपये का रिटर्न मिल सकता है।
इसके लिए आपको 20 साल तक हर महीने 2,800 रुपये का निवेश करना होगा। बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद हालांकि, यह स्कीम 25 साल में मैच्योर होती है और ऐसे में आपको मैच्योरिटी बोनस मिलता है। इस तरह आप मात्र 7.20 लाख रुपये के निवेश पर 15.66 लाख रुपये का कोष बना पाएंगे, जिससे आपके बच्चों की उच्च शिक्षा से जुड़े खर्चे पूरे होंगे।
इस पॉलिसी के बारे में जान लीजिए (About LIC Jeevan Tarun Plan)
LIC ने यह पॉलिसी बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की है। LIC JEEVAN TARUN एक गैर-लिंक्ड, सहभागी, व्यक्तिगत, जीवन बीमा बचत योजना है। इसके तहत LIC सुरक्षा और बचत दोनों सुविधाएं एक साथ देती है। यह योजना बच्चों की शिक्षा और अन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
इस पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए बच्चे की उम्र कम से कम 90 दिन होनी चाहिए। वहाँ ही। अधिकतम आयु सीमा 12 वर्ष निर्धारित की गई है। LIC की इस पॉलिसी पर कई तरह के Rider लिए जा सकते हैं।
ऐसे कर सकते हैं प्रीमियम का पेमेंट
आप वार्षिक, अर्धवार्षिक, त्रैमासिक या मासिक आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप इसे NACH के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं या सीधे अपने वेतन से बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद प्रीमियम काट सकते हैं। यदि आप किसी भी अवधि में प्रीमियम का भुगतान करने में चूक करते हैं, तो तिमाही से वार्षिक आधार पर प्रीमियम का भुगतान करने वालों को 30 दिनों की छूट अवधि मिलेगी। वहीं अगर आप हर महीने पेमेंट जमा करते हैं तो आपको 15 दिन का ग्रेस पीरियड मिलेगा।
जब बच्चा 25 साल का हो जाता है, तो इस योजना के तहत पूरा लाभ बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद मिलता है। यह एक लचीली योजना है। इस योजना पर आपको मैच्योरिटी के समय डबल बोनस मिलता है। आप यह पॉलिसी कम से कम 75,000 रुपये बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद की बीमा राशि (Sum Assured) के लिए ले सकते हैं। हालांकि, बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद इसके लिए कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है।
बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद
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‘मेक इन इंडिया’ की विफलता
2014 में भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरूआत की थी। मोदी सरकार का यह विचार कोई नया नही था। भारत में फैक्टरी की संस्कृति बहुत पुरानी है। सरकार की इस औपचारिक घोषणा ने भारत बचत एवं निवेश से जुड़े उत्पाद को विनिर्माण के क्षेत्र में एक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया। इस कार्यक्रम के तीन लक्ष्य थे। (1) विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर को 12.14% प्रति वर्ष बढ़ाना; (2) 2022 तक इस क्षेत्र में रोजगार के 10 करोड़ अवसर उत्त्पन करना और (3) 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र की भागीदारी को 25% तक ले जाना। इन तीनों आधारों पर अगर हम ‘मेक इन इंडिया’ का विश्लेषण करें, तो जान सकते हैं कि आखिर सरकार का यह कार्यक्रम विफल क्यों हुआ।
‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाने के उद्देश्य से सरकार ने नीतिगत बदलाव किए थे। चूंकि नीतिगत बदलाव विनिर्माण क्षेत्र के तीन प्रमुख तत्वों-निवेश, आउटपुट और रोजगार वृद्धि की दृष्टि से किए गए थे, इसलिए मुख्यतः इन आधारों पर नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।
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डॉ. एम. चंद्र शेखर का कॉलम: कर्ज पर मिल रहे प्रोत्साहन बचत की आदत में बाधा बन रहे हैं
तकनीक युवा पीढ़ी को कर्ज की नीति पर चलने वाला बना रही है और उसके भीतर से बचत के बीज को खत्म कर रही है। बैंक और नॉन-बैंकिंग संस्थान आज डेटा व आर्टीफिशियल इंटलिजेंस का इस्तेमाल करके कर्ज न लेने वालों या नए कर्ज लेने वालों के लिए बिना थके प्रोत्साहन दे रही हैं। ये वित्तीय संगठन जितनी रुचि ऋण देने में दिखा रहे हैं, उतनी बचत करने में नहीं दिखाते।
ये संस्थान तकनीक का इस्तेमाल करके ‘डेट फॉर नीड’ या ‘डेट फॉर नैसेसिटी’ जैसे अनेक इनोवेटिव उत्पाद भी पेश कर रहे हैं। वे कम ब्याज दर, शून्य प्रोसेसिंग शुल्क या शून्य ब्याज दर जैसे प्रोपोगेंडा को बढ़ावा देकर युवा पीढ़ी और मध्यम वर्ग के लोगों को कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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