इक्विटी शेयर के फायदे
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इस कंपनी के शेयरहोल्डर्स को होगा डबल मुनाफा, 10 अक्टूबर को हो सकता है ऐलान, पिछले साल आया था IPO
कंपनी ने मंगलवार को बताया कि उसके बोर्ड की इक्विटी शेयर के फायदे इक्विटी शेयर के फायदे बैठक अगले सप्ताह सोमवार, 10 अक्टूबर, 2022 को होगी। इसमें कंपनी के बोनस इक्विटी शेयर और सब-डिवीजन या शेयर के शेयर विभाजन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
EaseMyTrip या Easy Trip Planners IPO अपने शेयरधारकों को बंपर मुनाफा कराने की तैयारी में है। दरअसल, इजी माय ट्रिप अपने निवेशकों को बोनस शेयर (Bonus share) देने का ऐलान करने वाली है। साथ ही स्टॉक स्प्लिट (Stock split) की भी घोषणा हो सकती है।
कंपनी ने दी जानकारी
कंपनी ने मंगलवार को बताया कि उसके इक्विटी शेयर के फायदे बोर्ड की बैठक अगले सप्ताह सोमवार, 10 अक्टूबर, 2022 को होगी। इसमें कंपनी के बोनस इक्विटी शेयर और सब-डिवीजन या शेयर के शेयर विभाजन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इस खबर के बाद आज इंट्रा डे में कंपनी के शेयर 9% तक उछल गए।
स्टॉक स्प्लिट के फायदे
बता दें कि स्टॉक स्प्लिट मौजूदा शेयरधारकों को अधिक शेयर जारी करके बकाया शेयरों की संख्या को बढ़ाता है। स्टॉक स्प्लिट शेयरों के बाजार प्राइस को कम करता है, हालांकि, कंपनी के मार्केट कैप में परिवर्तन नहीं होता है। एक कंपनी अपने स्टॉक को अधिक किफायती बनाने के लिए स्टॉक स्प्लिट का निर्णय लेती है। वो भी तब जब उसका प्राइस बहुत अधिक है। इससे स्टॉक में लिक्विडिटी बढ़ती है।
बोनस शेयर के फायदे
एक कंपनी आमतौर पर स्टॉक की तरलता बढ़ाने के लिए अपने शेयरधारकों के लिए बोनस शेयर जारी करती है। साथ ही अपने स्टॉक की कीमत को कम करने के उद्देश्य से यानी निवेशकों के लिए इसे सस्ती बनाने के लिए जारी किया जाता है। बोनस शेयर पूरी तरह से एक कंपनी द्वारा अपने मौजूदा शेयरधारकों को जारी किए गए अतिरिक्त शेयरों का भुगतान किया जाता है।
कंपनी का कारोबार
EaseMyTrip भारत में ऑफलाइन ट्रैवल मार्केट को पूरा करने के लिए ट्रैवल एजेंटों को घरेलू ट्रैवल एयरलाइन टिकट बुक करने के लिए अपनी वेबसाइट तक पहुंच प्रदान करता है। इसका कारोबार मुख्य रूप से एयरलाइन टिकट, होटल और हॉलिडे पैकेज और अन्य यात्रा सेवाओं जैसे रेल टिकट, बस टिकट, टैक्सी किराए, यात्रा बीमा, वीजा प्रोसेसिंग जैसे सेगमेंट में है।
कंपनी के शेयरों का हाल
ईज़ी ट्रिप प्लानर्स के शेयर सुबह बीएसई पर 8% से अधिक ₹413 पर कारोबार कर रहे थे। स्टॉक अब तक 2022 (साल-दर-तारीख या YTD) में लगभग 54% ऊपर है। EasyMyTrip के शेयरों ने मार्च 2021 में अपनी लिस्टिंग के बाद से 294% से अधिक का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। Easy Trip Planners IPO 8 मार्च से 10 मार्च के बीच खुला था और शेयरों ने 19 मार्च को शेयर बाजार में शुरुआत की।
डायरेक्ट शेयर या इक्विटी शेयर के फायदे फिर इक्विटी म्युचुअल फंडों के जरिये करें निवेश? जानिए क्या है आपके लिए फायदे का सौदा
नई दिल्ली, नितेश कुमार तिवारी। 'लाभ जोखिम का पुरस्कार है'। प्रो० हॉले का ये कथन व्यापार जगत से लेकर निवेश बाजार के लिए सटीक बैठता है। शेयर बाजार में निवेश की बात करें तो अगर आप जानकार हैं और कंपनियों की गतिवधियों को समझते हैं तो सीधे उन शेयरों में निवेश कर सकते हैं जो आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, एक आम निवेशक के लिए शेयरों में निवेश के लिए कंपनियों पर रिसर्च करना एक मुश्किल काम है। आम निवेशकों के इस काम को आसान करते हैं इक्विटी म्युचुअल फंड। इक्विटी म्युचुअल किसी एक शेयर में नहीं बल्कि तमाम कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इस वजह से किसी एक कंपनी से होने वाले नुकसान आपके निवेश पोर्टफोलियो को प्रभावित नहीं करता है।
शेयर बाजार में सीधे निवेश के फायदे और नुकसान
अगर निवेशक शेयर बाजार में सीधे निवेश करते हैं तो इसका फायदा यह है कि इसपर ज्यादा रिटर्न के साथ-साथ अधिक नुकसान की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसके अपने खतरे भी हैं। शेयर में सीधे निवेश करना ज्यादा रिटर्न के लिहाज से ठीक तो है लेकिन कई बार नुकसान का खतरा बढ़ जाता है और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर कोई निवेशक शेयर बाजार में सीधे निवेश करता है तो उसे अपने पोर्टफोलियो पर निरंतर ध्यान देना होता है।
सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर, और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मनिकरण सिंघल ने कहा, जिसको स्टॉक की जानकारी नहीं है, शेयर कैसे खारीदा जाए, वे प्रोफेशनल मैनेजमेंट के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करें। इसमें सब कुछ डिसिप्लिन के तहत होता है। हर महीने SIP के जरिये जाएं। हां, अगर किसी के पास पूरा समय है, कोई निवेशक अगर मार्केट के बारे में जानता है, उसके पास रिसर्च के लिए बहुत समय है, तो फिर वो डायरेक्ट शेयर के लिए जा सकता है, वरना म्युचुअल फंड सबसे बेहतर विकल्प है।
लॉन्ग टर्म के लिए करें निवेश
कई दफा ऐसा होता है कि निवेशक शेयर बाजार से बहुत जल्दी भारी भरकम रिटर्न की उम्मीद लगा लेते हैं, जबकि बाजार हमारी सोच के हिसाब से नहीं चलते, इसलिए शेयर में निवेश करें तो थोड़ा धैर्य रखना होगा, क्योंकि इंतजार करने पर आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
फंड मैनेजर को होती है जानकारी
अगर आप म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करते हैं उसका प्रबंधन प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स करते हैं। फंड मैनेजर को बाजार के उतार-चढ़ाव की अच्छी समझ होती है। इसके अलावा निवेश पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होने से उतार-चढ़ाव का खतरा भी कम हो जाता है।
लैडर7 फाइनेंशियल सर्विसेज के फाइनेंशियल एडवाइजर, सुरेश सदगोपन का कहना है कि अगर कोई निवेशक डायरेक्ट शेयर में निवेश के लिए जाता है तो उसे स्टॉक मार्केट के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसे रिसर्च करना होगा, नये लोगों के लिए ये मुश्किल है, इसलिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल मैनेजर को मार्केट की मौजूदा हालत से लेकर शेयरों के बारे में जानकारी होती है कि कौन सा शेयर किस वक़्त कैसे परफॉर्म कर रहा है। इसलिए म्युचुअल फंड का रास्ता सही है।
एक छोटी राशि से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत?
आमतौर पर म्युचुअल फंड में 500 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। लेकिन कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो 100 रुपये से निवेश शुरू करने की सुविधा देती हैं।
Rights Issue क्या होता है, इसमें कैसे और कब किया जा सकता है निवेश?, जानिए यहां
देश की अग्रणी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) के निदेशक मंडल ने राइट्स इश्यू (Rights Issue) के जरिए 21,000 करोड़ रुपये तक जुटाने को मंजूरी दे दी है. राइट्स इश्यू का इश्यू प्राइस 535 रुपये फुली पेड-अप इक्विटी शेयर तय किया गया है, जिसमें 530 रुपये प्रति शेयर का प्रीमियम भी शामिल है. कंपनी ने एक नियामक फाइलिंग में कहा है बोर्ड ने 21,000 रुपये करोड़ तक के इश्यू आकार के रिकॉर्ड तिथि (बाद में अधिसूचित) के अनुसार कंपनी के पात्र इक्विटी शेयरधारकों को अधिकार के आधार पर कंपनी के प्रत्येक 5 रुपये के अंकित मूल्य के इक्विटी शेयर जारी करने को मंजूरी दी है. हालांकि इस खबर के बाद कई निवेशकों के मन सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह राइट्स इश्यू क्या है? इसमें कौन कैसे और कब निवेश कर सकता है? इसके अलावा इसमें निवेश से निवेशकों को क्या फायदा होगा. आज की इस रिपोर्ट में हम इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे.
क्या होता है राइट्स इश्यू?
शेयर बाजार से जुड़े जानकारों का कहना है कि किसी कंपनी के मौजूदा शेयरहोल्डर्स को एक निश्चित अनुमात में नए शेयर जारी किए जाते हैं. बता दें कि पैसे को जुटाने के लिए कंपनियों के द्वारा राइट्स इश्यू का सहारा लिया जाता है. शेयरधारकों के पास जितनी मात्रा में शेयर होते हैं उसी के हिसाब से राइट्स इश्यू की बिक्री की जाती है. मान लीजिए कि अगर राइट्स इश्यू 2:5 का है तो इसके तहत निवेशक को प्रति 5 शेयर पर 2 राइट्स शेयर बेचे जाएंगे. जानकारों का कहना है कि राइट्स इश्यू को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए इनकी कीमतों को कम रखा जाता है. इसका मतलब यह है कि निवेशक राइट्स इश्यू के जरिए सस्ती कीमत पर शेयर खरीद सकता है.
जानकारों का कहना है कि कंपनी के द्वारा शेयरहोल्डर्स को राइट्स इश्यू में डिस्काउंट दिया जाता है. हालांकि राइट्स इश्यू जारी होने से कंपनी के शेयर बेस के ऊपर असर पड़ता है और कंपनी का इक्विटी बेस भी बढ़ जाता है. राइट्स इश्यू जारी होने से स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी के शेयरों की लिक्विडिटी में बढ़ोतरी हो जाती है. वहीं कंपनी की ओनरशिप में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होता है.
किसी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले इस तरह चेक करें कि वह सस्ता है या महंगा, हमेशा फायदे में रहेंगे
आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है।
Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 20, 2022 21:59 IST
Photo:FILE शेयर
नई दिल्ली, अनीश कुमार सिंह। म्यूचुअल फंड से अपनी इन्वेस्टमेंट की यात्रा शुरू करने के बाद एक समय ऐसा आता है कि आप शेयरों को भी इन्वेस्टमेंट के लिहाज से खरीदकर लॉन्ग टर्म के लिए रखना चाहते हैं। ऐसे में बहुत से लोग पेनी स्टॉक में फंस जाते हैं। पेनी स्टॉक वैसे स्टॉक होते हैं जिनकी कीमत 50 रुपये प्रति शेयर से कम होती है। नए-नए इन्वेस्टर्स इन पेनी स्टॉक को सस्ता समझकर खरीद लेते हैं। चूंकि इस तरह के स्टॉक में Volatility यानी अस्थिरता ज्यादा होती है और इनमें से कई फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग भी नहीं होते, इसलिए नए-नए निवेशक इन पेनी स्टॉक्स में उलझकर अपना बड़ा नुकसान कर लेते हैं। ऐसे नुकसान से बचने के लिए क्या करें, आइए जानते हैं।
शेयर लेने में सब्जी खरीदने जैसा दिमाग लगाएं
आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है। इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं। आप सब्जी मार्केट जाते हैं। वहां आपको आलू 50 रुपये किलो मिल रहा होता है, और परवल 60 रुपये किलो। आप किसे सस्ता समझेंगे। जो लोग सब्जी मार्केट नहीं जाते हैं उन्हें आलू और परवल में यहां आलू सस्ता लगेगा, लेकिन हकीकत में यहां आलू के मुकाबले परवल सस्ता है। अमूमन आलू का भाव खुदरा मार्केट में 30 रुपये प्रति किलो के ईर्द-गिर्द रहता है बशर्ते कि उसकी सप्लाई में कोई बड़ी कमी न हो, या फिर किसी अप्रत्याशित कारण से अचानक उसकी डिमांड न बढ़ गई हो। जबकि परवल अपने सीजन में 15 से 20 रुपये पाव के हिसाब से दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मिल जाता है। यानी परवल की यहां Intrinsic Value(जिसे हम आम बोल-चाल की भाषा में मोलाई भाव भी कह सकते हैं)उसके करेंट प्राइस के बराबर या पास में है। यानि आमतौर पर कोई भी ग्राहक दुकानदार से दाम कम करने के लिए नहीं कहेगा। इसका मतलब ये है कि उस ग्राहक को पता है कि परवल सही दाम पर बिक रहा है। और वो अपने हिसाब से परवल ले लेता है। लेकिन 50 रुपये प्रति किलो आलू बेचने वाले के पास ग्राहक जाकर उससे दाम कम करने के लिए जरूर कहेगा। यानी उस ग्राहक को आलू का Intrinsic Value इक्विटी शेयर के फायदे पता है। जो अभी काफी ज्यादा है। इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे कि परवल यहां आलू के मुकाबले सस्ता है। अगर आप ये बात जान गए तो आप अच्छे शेयर का चुनाव भी कुछ यही फॉर्मूला लगाकर कर सकते हैं।
Intrinsic Value बताएगा शेयर सस्ता है या महंगा
आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह इक्विटी शेयर के फायदे आप सब्जी खरीदने में आम तौर पर मोलाई करते हैं। यानी सब्जी के दाम को कम करने के लिए दुकानदार को कहते हैं, ठीक उसी तरह का काम इन्वेस्टमेंट की भाषा में Intrinsic Value का है। शेयर सस्ता है या महंगा बहुत हद तक इससे पता चल जाता है। अगर शेयर की करेंट प्राइस Intrinsic Value से अधिक है तो शेयर महंगा है, और अगर कम है तो शेयर लेने लायक है (ऊपर के उदाहरण से आपको ये बात समझ आ गई होगी) आपको Intrinsic Value निकालने की जरूरत भी नहीं। इसे आप गूगल में सर्च कर देख सकते हैं या फिर टिकर टेप जैसी साइट पर जाकर इसे देख सकते हैं। चलिए सस्ते शेयर का पता लगाने के लिए Intrinsic Value को समझने का पहला स्टेज तो आप पार कर गए, अब बारी आती है दूसरे स्टेज की।
PE Ratio जानकर सस्ते शेयर को चुने
इसे Price Upon Earning Ratio कहते हैं। साधारण भाषा में कहें तो किसी शेयर से 1 रुपये कमाने के लिए कितने रुपये आपको लगाने पड़ेंगे, ये PE Ratio से पता लगता है। किसी शेयर का PE जितना कम हो उतना सही माना जाता है। एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपकी लिस्ट में एक ही क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियां हैं। दोनों कंपनियां अच्छा रिटर्न जेनरेट कर रही हैं। एक कंपनी का PE ज्यादा और दूसरी का कम है, तो पहली नज़र में जिस कंपनी का PE कम है उसपर आपको फोकस करना चाहिए। आम तौर पर 20 या इससे कम की PE अच्छी मानी जाती है। लेकिन कुछ इमर्जिंग शेयरों के लिए ये Ratio बहुत ज्यादा भी हो सकता है। वैसे तीन और जरूरी Ratio होते हैं जिनका इस्तेमाल हम अच्छे शेयर के चुनाव में करते हैं। PB ratio, Current ratio और Debt to Equity ratio..जिन्हें हम बाद में जानेंगे।
जो शेयर अच्छा है, जरूरी नहीं अभी सस्ता है
इसका एक बेहतरीन उदाहरण आपको देता हूं। मेरे एक मित्र को D-Mart का शेयर बहुत अच्छा लगा(इस शेयर का जिक्र महज उदाहरण के तौर पर किया गया है, इसे किसी तरह का Recommendation न समझें) आमतौर पर हम सुनते हैं कि उसी स्टॉक में निवेश करो जिसके बारे में आप जानते हैं, जिसका प्रोडक्ट आप इस्तेमाल करते हैं। ये ठीक भी है। FMCG सेक्टर में HUL और ITC के प्रोडक्ट्स किसके घर में प्रयोग नहीं किए जाते। लेकिन अगर इसके प्रोडक्ट्स बाजार भाव से सस्ते में मिले तो क्या कहना। मेरे एक मित्र मेरे पास आए और बोले, भाई D-Mart में सामान सस्ते मिलते हैं। लोगों की काफी भीड़ रहती है। सामान हाथों-हाथ बिक जाते हैं। ये कंपनी शानदार प्रॉफिट बनाती होगी। तो क्यों न इसके शेयर लिए जाएं, तो सुझाव ये इक्विटी शेयर के फायदे है कि अभी इस शेयर को इन्वेस्टमेंट के लिहाज से नहीं लिया जा सकता। इसके दो कारण हैं। पहला कारण इसका करेंट प्राइस इसकी Intrinsic Value से ज्यादा है। यानी खरीदने के लिए जो इसका भाव होना चाहिए ये उससे काफी महंगे रेट पर मौजूद है(ख़बर लिखे जाने के दिन तक) और दूसरी बात ये कि इसका PE Ratio भी सेक्टर के PE की तुलना में ज्यादा है। फिलहाल इसका PE:187 है। यानी इस शेयर से एक रुपये कमाने के लिए आपको 187 रुपये लगाने होंगे। हां, आप एक काम कर सकते हैं, इस शेयर को हर डेढ़ या 2 फीसदी की गिरावट पर खरीदते जाएं। या फिर किसी बड़े डीप करेक्शन का इंतज़ार करें। जिसमें आपका मनपसंद स्टॉक अपने Intrinsic Value के आस-पास आ जाए, या फिर उसका PE ratio उसके सेक्टर के ratio के आस-पास आ जाए। इस तरह आप कुछ जरूरी चीजों को समझकर अच्छे शेयर का चुनाव कर सकते हैं। और अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग सेक्टर के बेहतरीन स्टॉक्स से हमेशा हरियाली में रख सकते हैं, साथ ही भविष्य में बढ़िया पैसे जनरेट कर पाएंगे।
(लेखक इंडिया टीवी में सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं।)
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