भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?

(i) विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं । वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में उत्पादन किया जाता हैं ।

(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। फिर इन्हें अपने ब्राण्ड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं। इन बड़ी कंपनियों में दूरस्थ उत्पादकों के मूल्य, गुणवत्ता, आपूर्ति और शर्म-शर्तों का निर्धारण करने की प्रचण्ड क्षमता होती हैं।

(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कंपनियों को खरदीना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के अन्य विकसित देशों ने उनके लिए पूर्ण समर्थन का विस्तार किया है।

निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

A. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर खरीदती हैं। (i) मोटर गाड़ियों
B. आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन (ii) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।
C. विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ (iii) कॉल सेंटर
D. विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ (iv) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी
E. अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है। (v) व्यापार अवरोधक

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर खरीदती हैं।

कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।

विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ

टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी

विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ

अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है।

दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह . की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ . बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि . । जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प इसलिए बढ़ते . और . के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम . ।

वे सस्ता शर्म एवं अन्य संसाधन प्राप्त कर सकता हैं।

(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाज़ार के नज़दीक हो, जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो और जहाँ उत्पादन के अन्य कारकों की उपलब्धता सुनिचित हो।

(ii) साथ ही, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सरकारी नीतियों पर भी नज़र रखती हैं, जो उनके हितों का देखभाल करती हैं।

(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ सयुंक्त रूप से उत्पादन करती हैं। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कंपनियों को खरदीना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना हैं।

(iv) विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता हैं।

(v) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। फिर इन्हें अपने ब्राण्ड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं।

क्यों व्यापार विदेशी विकल्प?

कारोबारी संगठन कैट के लोगो का फाइल फोटो

-व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा

-ई-कॉमर्स व्यापार के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता बन रही है बड़ी रुकावट

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (हि.स)। भारत के बाजार में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।

कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए है।

कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है।

आखिर रुपया इतना दुबला हुआ क्यों?

रुपए की दुर्दशा घरेलू आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से हुई जबकि यूरो और डॉलर को मुश्किल में देख चीन कर रहा युआन का वैश्वीकरण. दो साल पहले रुपए के वैश्वीकरण की दिशा में सरकार ने उसका प्रतीक चिक्क अपनाया. तब से रुपया 20 फीसदी गिर चुका है.

धीरज नय्यर

  • नई दिल्‍ली,
  • 11 जून 2012,
  • (अपडेटेड 12 जून 2012, 5:05 PM IST)

अभी 1 जून की सुबह चीन ने अपने बढ़ते वैश्विक आर्थिक प्रभाव को और बढ़ाने के लिहाज से एक बड़ा कदम उठाया. उसने अपनी मुद्रा युआन के जापानी मुद्रा येन के साथ सीधे व्यापार की घोषणा की. इसी दिन मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक ने डूबते रुपए को थामने का अपना आशाहीन प्रयास जारी रखा, लेकिन उसे मामूली कामयाबी ही मिली.

रुपया 31 मई के 56.10 रुपए प्रति डॉलर के भाव से गिरकर 1 जून को 55.60 रुपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया. यहां तक कि चीन अब युआन को भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है, लेकिन एक आर्थिक महाशक्ति बनने का भारत का ख्वाब अभी दूर की कौड़ी ही है.

चीन-जापान व्यापार सिर्फ युआन और येन में निपटाया जाएगा और इसके लिए अमेरिकी डॉलर की जरूरत नहीं होगी. इस कदम से दोनों देशों की मुद्रा को डॉलर में बदलने की लेन-देन की लागत बच जाएगी. पहले सालाना 300 अरब डॉलर का 60 फीसदी चीन-जापान व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता था. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा. चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक ''युआन की अंतरराष्ट्रीय भूमिका बढ़ाने के लिए एक कदम और उठाया गया है.''

अमेरिकी एजेंसी ब्लूमबर्ग ने इसे ''चीन के अपनी मुद्रा के वैश्विक इस्तेमाल को बढ़ाने के प्रयास और डॉलर पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक और कदम'' बताया.

चीन ने यह कदम सही समय पर उठाया है. यूरो जोन गहरे संकट में है और जापान पिछले दो दशकों से ठहरा हुआ है, ऐसे में अमेरिकी डॉलर दुनिया भर में वास्तविक रूप में एकमात्र स्वीकार्य मुद्रा है. यहीं पर एक विकल्प के लिए जगह बनती है. भारत के मुकाबले चीन काफ ी बेहतरीन स्थिति में है. किसी देश की मुद्रा की ताकत आखिरकार उसकी अर्थव्यवस्था की मजबूती से तय होती है.

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसका जीडीपी 7.2 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर है, भारत के 1.7 लाख करोड़ डॉलर के मुकाबले लगभग चार गुना. यह करीब 8 फीसदी की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी है, भारत की 6 फीसदी से भी कम वृद्धि दर के मुकाबले काफी तेज. चीन का चालू खाता सरप्लस में है क्योंकि वह आयात से ज्‍यादा निर्यात करता है. इससे युआन को ताकत मिलती है. दूसरी तरफ , भारत चालू खाते के मोर्चे पर भारी घाटे का सामना कर रहा है. इससे रुपए की हालत और नाजुक हो जाती है.

अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय बताते हैं, ''डॉलर सिर्फ व्यापार में अपने इस्तेमाल की वजह से ही दुनिया की भंडार मुद्रा नहीं बना हुआ है, इसकी वजह यह भी है कि लोग डॉलर में प्रचलित वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे बांड एवं ट्रेजरी बिल्स जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. चीन ने अभी अपने वित्तीय बाजारों को नहीं खोला है, इस तरह से उसने युआन को सिर्फ व्यापारिक जरूरतों के लिए सीमित रखा है.'' देबरॉय को लगता है कि अब से कम से कम 20 साल के बाद ही युआन वैश्विक मुद्रा बन पाएगा. फिलहाल चीन शायद उसे क्षेत्रीय स्तर पर स्वीकार्य मुद्रा बनाने की सीमित महत्वाकांक्षा ही रखता है.

दूसरी तरफ , रुपया तो क्षेत्रीय मुद्रा का दर्जा हासिल करने की भी नहीं सोच सकता. ऐक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सौगत भट्टाचार्य कहते हैं, ''मैं यह कल्पना ही नहीं कर सकता कि रुपए को मदद के रूप में भारत वापस भेजने के अलावा जापान उसका कोई और भी इस्तेमाल कर सकता है.''

पिछले साल से रुपए के मूल्य में 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. इसके इस रिकॉर्ड को देखते हुए कोई भी अपने विदेशी मुद्रा भंडार में रुपया नहीं रखना चाहेगा. देबरॉय कहते क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? हैं, ''रुपए को वैश्विक मुद्रा का दर्जा हासिल करने में कम से कम 40 साल लग सकते हैं. यदि यूपीए सरकार लंबे समय तक सत्ता में रही तो इसमें और समय लग सकता है.''

पिछले एक साल में रुपए में आई गिरावट सरकार के खराब आर्थिक प्रबंधन को ही प्रदर्शित करती है. विदेशी निवेशकों ने यह संकेत दिया है कि उन्हें फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा नहीं है. रुपए ने उनका गुस्सा और बढ़ा दिया है. जुलाई 2010 में सरकार ने रुपए के लिए एक प्रतीक चिन्ह स्वीकार किया था. तब इसे रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा जा रहा था. इसके बाद से रुपया 20 फीसदी गिरकर 46.50 रु. से करीब 55.60 रु. प्रति डॉलर पर पहुंच गया है. साल 2010 में सरकार के पास सज-संवर कर तैयार खड़ा रुपया था, लेकिन अब यह कहीं जाता नहीं दिख रहा.

आय के मुख्य स्रोत के रूप में व्यापार

Can You Make Money on Forex Trading

कर सकते हैं विदेशी मुद्रा में व्यापार या स्टॉक एक्सचेंज बाजार में मुख्य और आय के स्थायी स्रोत हो? वास्तव में, यह सवाल हर नौसिखिया व्यापारी हितों, लेकिन वहाँ कोई नहीं है जो एक निश्चित उत्तर नहीं दे सकते हैं। गतिविधि के इस क्षेत्र में सफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है: धैर्य और संतुलन, जल्दी तर्कसंगत निर्णय, एक विकसित अंतर्ज्ञान और किस्मत का एक छोटा सा है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारक बनाने की क्षमता माना जाता है ज्ञान हो और अनुभव करने के लिए।

इसके अलावा, सीखने की प्रक्रिया में पूरी गतिविधि दण्डित की जा सकती करना चाहिए। जब आप नहीं है एक सुपरवाइजर और एक सख्त काम अनुसूची, मुख से आजादी के कारण, कई नौसिखिए व्यापारियों है कि यह सबसे जोखिम भरा है और जिम्मेदार व्यवसायों में से एक है भूल जाओ।

आय का मुख्य स्रोत बनने के लिए, व्यापार अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता है। इसके अलावा, इस काम के लिए उन है, जो स्थिरता के लिए देख रहे हैं नहीं है। यही क्यों, अपने मुख्य काम छोड़ने और व्यापार लेने से पहले, यह आवश्यक है:

  • करने के लिए एक बहुत अच्छी समझ की तकनीकी और मौलिक विश्लेषण;
  • ; अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए जानने के लिए
  • खुद को लगातार; शिक्षित
  • करने के लिए पर्याप्त धन है

प्रसिद्ध व्यापारियों की सफलता की कहानियां अक्सर शुरुआती, जो, अपने मुख्य काम छोड़ने के द्वारा व्यापार में शामिल होने को प्रेरित और समय की एक छोटी अवधि के लिए अपने सभी पैसे खो.

कुछ दलालों, जो त्वरित पाठ्यक्रम और 100% सफलता प्रदान करते हैं, का विज्ञापन भी धन की हानि करने के लिए योगदान करते हैं। यह सभी मूल्य के गठन को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन, पैसे प्रबंधन सीखना, ऐसे गुण, आवश्यक होने के एक सफल व्यापार के लिए, अनुशासन, मकसद, धैर्य, आदि, एक सप्ताह या एक महीने के लिए के रूप में खेती करने के लिए असंभव है।

वित्तीय बाजारों में व्यापार आय का मुख्य स्रोत बन सकते हैं, लेकिन यह एक वर्ष या जब तक आप अपने परीक्षण रणनीति विकसित कई साल लगेंगे। इसके अलावा, रणनीति होना चाहिए विकसित और बस अपने आप से एक डेमो खाते पर परीक्षण किया। यहां तक कि अगर यह अपने डेवलपर के लिए एक सफल माना जाता है क्योंकि यह खाते में आपके मनोविज्ञान और क्षमताएँ नहीं ले करता है की रणनीति है, किसी और का उपयोग आम तौर पर कुछ नहीं के साथ, समाप्त होता है। एक व्यापारी के पेशेवर गुणों के अलावा, एक दलाल के सही विकल्प भी व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कंपनी और अपनी विश्वसनीयता, की पेशकश की ट्रेडिंग प्लेटफार्म, आदेश निष्पादन की गुणवत्ता की स्थिरता के नियमन की जाँच करें, व्यापार की स्थिति, निधियों का आहरण की मुस्तैदी और ग्राहक सेवा का समर्थन.

ट्रेडिंग मुश्किल है, लेकिन एक ही समय में सुखद काम, जहां सफलता के अनुभव और ज्ञान के साथ आता है.

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इसके अलावा, सीखने की प्रक्रिया में पूरी गतिविधि दण्डित की जा सकती करना चाहिए। जब आप नहीं है एक सुपरवाइजर और एक सख्त काम अनुसूची, मुख से आजादी के कारण, कई नौसिखिए व्यापारियों है कि यह सबसे जोखिम भरा है और जिम्मेदार व्यवसायों में से एक है भूल जाओ।

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  • खुद को लगातार; शिक्षित
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कंपनी और अपनी विश्वसनीयता, की पेशकश की ट्रेडिंग प्लेटफार्म, आदेश निष्पादन की गुणवत्ता की स्थिरता के नियमन की जाँच करें, व्यापार की क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? स्थिति, निधियों का आहरण की मुस्तैदी और ग्राहक सेवा का समर्थन.

ट्रेडिंग मुश्किल है, लेकिन एक ही समय में सुखद काम, जहां सफलता के अनुभव और ज्ञान के साथ आता है.

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