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सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय

KFin Technologies Ltd. (KFin)
यूनिट: बजाज फिनसर्व लिमिटेड
सेलेनियम टावर बी, प्लॉट 31 & 32,
फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगुड़ा, सेरीलिंगमपल्ली मंडल,
हैदराबाद - 500 032, तेलंगाना

संपर्क किया जाने वाला व्यक्ति:
श्री मोहम्मद मोहसिनुद्दीन
श्री नागेश गोवु

टोल फ्री नंबर.: 1800-309-4001

(KPRISM) - सदस्य कृपया ध्यान दें कि हमारे रजिस्ट्रार और शेयर ट्रांसफर एजेंट ने हमारे इन्वेस्टर्स के लिए एक नया मोबाइल एप्लीकेशन - KPRISM और एक नई वेबसाइट लॉन्च की है. अब आप यह मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं और KFINTECH द्वारा सर्विस किए जाने वाले अपने पोर्टफोलियो देख सकते हैं. इसके माध्यम से डिविडेंड स्टेटस चेक करें, वार्षिक रिपोर्ट के लिए अनुरोध करें, एड्रेस में बदलाव करें, बैंक मैंडेट बदलें/अपडेट करें और स्टैंडर्ड फॉर्म डाउनलोड करें. वेबसाइट और/या एंड्रॉयड मोबाइल ऐप पर उपलब्ध सभी सुविधाओं का उपयोग करने के लिए केवल एक बार रजिस्टर करें.

Play Store (Android मोबाइल एप्लीकेशन)

कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी

सुश्री उमा शेंडे
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी:
ईमेल ID: [email protected]

इन्वेस्टर शिकायत निवारण/सामान्य

इन्वेस्टर और शेयरधारक कंपनी के साथ यहां संपर्क कर सकते हैं
निम्नलिखित पता:
रजिस्टर्ड ऑफिस: बजाज ऑटो लिमिटेड. कॉम्प्लेक्स, मुंबई-पुणे रोड, आकुर्दी,
पुणे 411 035.
फोन: (020) 66107458, (020) 27472851

संपर्क करें:
सुश्री उमा शेंडे
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी:
ईमेल आईडी: [email protected]

IEPF के प्रयोजन के लिए नोडल अधिकारी

इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड अथॉरिटी (अकाउंटिंग, ऑडिट, ट्रांसफर और रिफंड) के अंतर्गत नियम 7(2ए) के अनुसार
नोडल अधिकारी की संपर्क जानकारी (सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय 2017 में किए गए दूसरे संशोधन के नियमों के अनुसार)

संपर्क करें:
सुश्री उमा शेंडे
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी
ईमेल: [email protected]

सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय

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पूंजी बाजार(Capital market) क्या है ?

पूंजी बाजार भारतीय वित्‍तीय प्रणाली का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण खण्‍ड है। यह कंपनियों को उपलब्‍ध एक ऐसा बाजार है जो उनकी दीर्घावधिक निधियों की जरुरतों को पूरा करता है। यह निधियां उधार लेने और उधार देने की सभी सुविधाओं और संस्‍थागत व्‍यवस्‍थाओं से संबंधित है। अन्‍य शब्‍दों में, यह दीर्घावधि निवेश करने के प्रयोजनों के लिए मुद्रा पूंजी जुटाने के कार्य से जुड़ा है।
इस बाजार में कई व्‍यक्ति और संस्‍थाएं (सरकार सहित) शामिल हैं जो दीर्घावधि पूंजी की मांग और आपूर्ति को सारणीबद्ध करते हैं और उसकी मांग करते हैं। दीर्घावधि पूंजी की मांग मुख्‍य रूप से निजी क्षेत्र विनिर्माण उद्योगों, कृषि क्षेत्र, व्‍यापार और सरकारी एजेंसियों की तरफ से होती है। जबकि पूंजी बाजार के लिए निधियों सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय की आपूर्ति अधिकतर व्‍यक्तिगत और कॉर्पोरेट बचतों, बैंकों, बीमा कंपनियां, विशिष्‍ट वित्‍त पोषण एजेंसियों और सरकार के अधिशेषों से होती है।
भारतीय पूंजी बाजार स्‍थूल रूप से गिल्‍ट एज्‍ड बाजार और औद्योगिक प्रतिभूति बाजार में विभाजित है -

बॉन्ड नियम में होगा संशोधन!

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) वित्त मंत्रालय सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय और म्युचुअल फंड द्वारा उठाई गई चिंता को दूर करने के लिए पर्पेचुअल बॉन्डों के मूल्यांकन पर बीच का रास्ता निकालने के उपाय पर काम कर रहा है। मामले के जानकार शख्स ने इसकी जानकारी दी। नियामक इस संबंध में प्रस्तावित नियमों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है क्योंकि उसका मानना है कि इन बॉन्डों के मूल्यांकन के सख्त नियम म्युचुअल फंड निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जरूरी हैं। हालांकि सेबी 1 अप्रैल, 2021 से इसे लागू करने से पहले अपने परिपत्र के कई प्रावधानों को संशोधित कर सकता है।
जिन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है उनमें 100 साल की परिपक्वता अवधि को कम करना, चुनिंदा म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश की सीमा को और कम करना, 100 साल का नियम केवल ए-रेटिंग से नीचे वाली प्रतिभूतियों पर लागू करने और मूल्यांकन नियमों के लिए पुराने प्रावधानों का विस्तार करना शामिल हैं। घटनाक्रम के जानकार शख्स ने कहा कि मूल्यांकन के नए नियम को 1 अक्टूबर तक या अप्रैल 2022 तक टाले जाने पर भी चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सेबी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, फंडों और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कर रहा है। 10 मार्च को सेबी ने परिपत्र जारी कर अतिरिक्त टियर-1 (एटी 1) और टियर 2 जैसे बॉन्डों में म्युचुअल फंड के निवेश की सीमा लगा दी थी। इस तरह के बॉन्ड आम तौर पर बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं। इसके साथ ही सेबी ने कहा था कि मूल्यांकन के मकसद से सभी पर्पेचुअल बॉन्डों की परिपक्वता अवधि उसके जारी होने की तारीख से 100 साल करनी चाहिए।
सेबी के कदम से येस बैंक द्वारा जारी एटी1 बॉन्ड का मूल्यांकन कम हो गया जिसका असर कई म्युचुअल फंड निवेशकों पर पड़ा।
सेबी के परिपत्र के बाद वित्त मंत्रालय ने पत्र लिखकर नियामक को कहा कि मूल्यांकन नियम प्रतिकूल हैं और इससे उधारी लागत बढ़ सकती है। प्रस्तावित 100 साल के मूल्यांकन नियम से इन बॉन्डों को जारी करने वालों के लिए उधारी लागत बढ़ जाएगी। आम तौर पर परिपक्वता अवधि लंबी होने से डेट प्रतिभूतियों पर प्रतिफल ज्यादा होता है। वर्तमान में म्युुचुअल फंड पर्पेचुअल बॉन्ड का मूल्यांकन जारीकर्ता द्वारा बॉन्ड को वापस खरीदने की तिथि के आधार पर करते हैं। नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर नियामक से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रालय का अनुरोध सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि नियमों को वापस लेने से इसे निवेशकों के विरुद्घ माना जाएगा। हालांकि हम परिपत्र के कुछ विशिष्ट प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं और देखेंगे कि इसमें कुछ बदलाव की गुंजाइश बनती है या नहीं।’
उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि सेबी ने जिस तरह निवेश सीमित करने पर कुछ ढील दी है उसी तरह यही बात मूल्यांकन नियमों के साथ भी लागू की जा सकती है।
इस तरह, 100 वर्ष पुराना नियम केवल अभिवृद्धि निवेश पर ही लागू होगा जबकि मौजूदा निवेश मूल्यांकन वर्तमान नियमों के अनुरूप जारी रह सकते हैं।एक सूत्र ने कहा कि सेबी ने सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय अल्पावधि, लघु अवधि और बैंकिंग एवं पीएसयू डेट फंडों में डेट म्युचुअल फंड योजनाओं के अधिक निवेश पर आपत्ति जताई है। एक फंड कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘बेमियादी बॉन्ड में इन योजनाओं का निवेश अल्प अवधि के बॉन्ड में निवेश करने के उनके वादे के खिलाफ जाता है।’ एक दूसरे अधिकारी ने सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय कहा कि ‘ए’ रेटिंग से ऊपर बॉन्ड के लिए मौजूदा मूल्यांकन विधि बरकरार रखने और ‘ए’ रेटिंग से कम बॉन्ड के लिए कड़ी व्यवस्था लागू करने के लिए एक प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘इस घोषणा से हैरानी हुई है क्योंकि यह विषय पर नियामक ने किसी भी मंच पर चर्चा नहीं की थी। ‘ए’ रेटिंग से नीचे के बॉन्ड के लिए नए मूल्यांकन नियम आने से एमएफ निवेशक केवल ऊंची रेटिंग प्राप्त बॉन्ड में ही निवेश करेंगे और अगर कोई जोखिम लेना चाहता है तो वे नई विधि का सहारा ले सकते हैं।’फंड उद्योग के लोगों का कहना है कि सेबी का दिशानिर्देश एक बार प्रभाव में आने के बाद एटी1 और टियर-2 बॉन्ड में सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय म्युचुअल फंडों का निवेश सीमित हो जाएगा। वित्त मंत्रालय को इस बात की आशंका है कि सेबी की इस पहल से सरकार पर असर होगा क्योंकि उसे सरकार नियंत्रित बैंकों में अतिरिक्त पूंजी देनी होगी। नोमुरा के एक अनुमान के अनुसार बैंकों के एटी-1 और टियर-2 बॉन्ड 3.5 लाख करोड़ रुपये के हैं। इनमें ज्यादातर सरकार नियंत्रित बैंकों के हैं।

शेयर ब्रोकरों के लिए साइबर सुरक्षा नियम लाएगा सेबी

बाजार नियामक सेबी शेयर ब्रोकरों के लिए साइबर सुरक्षा नियम लाने की तैयारी में है। इससे साइबर धोखाधड़ी, आंकड़ों की सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय चोरी और ट्रेडिग खातों की हैकिग के जोखिम की आशंका कम होगी। एसोसिएशन आफ नेशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स आफ इंडिया (एएनएमआइ) के प्रेसिडेंट कमलेश शाह ने कहा कि साइबर सुरक्षा को लेकर नियम का मकसद शेयर ब्रोकर के साथ-साथ उनके ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है। इसमें वे उपाय, प्रक्रियाएं और उपकरण शामिल हो सकते हैं, जो साइबर हमले को रोकने और साइबर मजबूती के मामले में सुधार को लेकर मददगार हैं।

बाजार नियामक सेबी का यह कदम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए किए जा रहे उपायों का हिस्सा है। सेबी ने दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक समिति बनाई है, जिसमें नियामक, शेयर बाजार और एएनएमआइ के प्रतिनिधि शामिल हैं। प्रतिभूति बाजार में तेजी से हो रहे तकनीकी विकास से आंकड़ों की सुरक्षा और निजता बनाए रखने की एक चुनौती है। इसको देखते हुए शेयर ब्रोकरों के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा और साइबर मजबूती की जरूरत है।

शाह ने कहा, “शेयर ब्रोकर के पास निवेशकों के बहुत सारे महत्वपूर्ण आंकड़े होते हैं और यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे ऐसी सूचना को साइबर धोखाधड़ी तथा ट्रेडिंग खातों की हैकिग के जोखिम से बचाएं, ताकि निवेशकों को इसके कारण नुकसान उठाना नहीं पड़े।” उन्होंने कहा कि समिति दिसंबर के अंत तक दिशानिर्देश का मसौदा सेबी को दे सकती है लेकिन अंतिम रूप से नियमों के क्रियान्वयन में कम-से-कम एक साल का समय लग सकता है।

सेबी देश भर में निवेशक सर्वेक्षण करेगी, नील्सन को सौंपा जिम्मा

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने देशव्यापी निवेशक सर्वेक्षण का फैसला किया है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में व्यक्तियों और परिवारों की निवेश संबंधी आदतों को समझा जा सके। सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय नियामक ने सर्वेक्षण का जिम्मा नील्सन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है जो विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आंकड़े जुटाएगी।

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नयी दिल्ली : पूंजी बाजार नियामक सेबी ने देशव्यापी निवेशक सर्वेक्षण का फैसला किया है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में व्यक्तियों और परिवारों की निवेश संबंधी आदतों को समझा जा सके। नियामक ने सर्वेक्षण का जिम्मा नील्सन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है जो विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आंकड़े जुटाएगी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक सार्वजनिक घोषणा में कहा, सर्वेक्षण में शामिल व्यक्ति के जवाब को गोपनीय रखा जाएगा। पूंजी बाजार नियामक ने सेबी निवेशक सर्वेक्षण 2015 से पहले बचत और निवेश के पैटर्न का पता लगाने के लिए तीन और सर्वेक्षण किए हैं। पिछला सर्वेक्षण एनसीएईआर ने किया था जो जनवरी 2012 में जारी हुआ था।

पिछले सर्वेक्षण में सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय पाया गया था कि बाजार में निवेश करने वाले 32 प्रतिशत परिवार अपने मित्रों और पारिवारिक सदस्यों पर निर्भर करते हैं। सर्वेक्षण में यह भी दिखाया गया कि 35 प्रतिशत निवेशकों ने इसलिए निवेश किया कि उन्होंने अखबारों में कुछ पढ़ा या मीडिया में कुछ देखा।

इसके अलावा देश के सिर्फ 67 प्रतिशत निवेशक अनौपचारिक परामर्श प्रणाली पर भरोसा करते हैं जबकि सिर्फ एक तिहाई लोग हैं जो निवेश के लिए सेबी द्वारा निवेशक सुरक्षा उपाय औपचारिक परामर्श प्रणाली पर निर्भर हैं। सेबी अध्यक्ष यू के सिन्हा ने हाल ही में कहा था कि इस स्थिति में बदलाव की जरूरत है और पारिवारिक बचत का बड़ा हिस्सा वित्तीय बाजारों में लाया जाना चाहिए।

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