तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए
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अनिश्चित बाजार में भी सुरक्षित रहेगा पोर्टफोलियो! एक्सपर्ट से जानें इन्वेस्टिंग फार्मूला जो रहेगा हर मौसम में हिट
Money Guru: क्या आप अपने पोर्टफोलियो को ऐसा बनाना चाहते हैं, जो आपको हर मौसम में सुरक्षित रखे और इसके साथ आपको फ्लेक्सिबिलिटी का भी फायदा मिले. आइए जानते आपको अपने पोर्टफोलियो में कितने फंड रखने चाहिए.
Money Guru: क्या ऐसा पोर्टफोलियो बनाना संभव है जहां आपको बेहतरनी क्वालिटी के स्टॉक में निवेश का मौका भी मिले, बाजार बाजार के जोखिम का कम असर भी पड़े और तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए साथ ही में निवेश की फ्लेक्सिबिलिटी का भी फायदा मिले. आइए जानते हैं कि ऐसा निवेश कैसे मुमकिन है. इसके साथ ही यह तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए भी जानेंगे कैसे बिना भीड़ बनाए आप अपना पोर्टफोलियो मजबूत बना सकते हैं. इसके लिए हमारे साथ ABSL AMC के MD&CEO ए बालासुब्रमण्यन और ऑप्टिमा मनी के एमडी पंकज मठपाल भी होंगे.
Eye Opener: कैसे बनाएं एक बढ़िया पोर्टफोलियो? म्यूचुअल फंड्स में 'अंधाधुंध निवेश' कितना सही?
पैसा कमाना जितना जरूरी है, उसे निवेश करना उससे भी ज्यादा जरूरी है.
एक सॉलिड पोर्टफोलियो बनाने के लिए iThought के श्याम शेखर ने लोगों को अहम सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि 5 से 6 स्कीम का . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 17, 2022, 16:03 IST
हाइलाइट्स
iThought के श्याम शेखर ने लोगों को अहम सलाह दी है.
उन्होंने कहा- 5 से 6 अलग-अलग स्कीम ही अच्छे पोर्टफोलियो के लिए काफी हैं.
लोग गलत समय पर गलत जगह निवेश कर रहे हैं. उन्हें सलाह लेनी चाहिए.
नई दिल्ली. पैसा कमाना जितना जरूरी है, उसे निवेश करना उससे भी ज्यादा जरूरी है. निवेश इसलिए, ताकि लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति के साथ लोग इससे पार पा सकें. यदि कोई निवेश नहीं करता है तो आज जो भी पैसा उसने कमाया है, वह महंगाई के साथ लड़ने में नाकाफी होगा. यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत के लोगों की निवेश के प्रति रुचि बढ़ी है और काफी बड़ी संख्या में पैसा निवेश होने लगा है.
निवेश के अलग-अलग विकल्प हैं. कुछ लोग बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट को बेहतर मानते हैं तो कुछ शेयर बाजार में इक्विटी में पैसा लगाने को अच्छा विकल्प मानते हैं. परंतु अधिकतर लोग टेंशन नहीं लेते हुए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना पसंद करते हैं, ताकि लम्बे समय में अच्छा रिटर्न मिले और बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम रहे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक अच्छा पोर्टफोलियो कैसे बनाया जा सकता है. पोर्टफोलियो में कितने म्यूचुअल फंड्स होने चाहिए अथवा कितनी स्कीमों में पैसा लगना चाहिए.
इस बारे में iThought के श्याम शेखर ने लोगों को अहम सलाह दी है. पिछले सप्ताह हमने उनके तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए एक इंटरव्यू के माध्यम से यह जानकारी दी थी कि निवेश के लिए कहां पैसा लगाना उपयुक्त है. श्याम शेखर ने बताया था कि 60 फीसदी पैसा इक्विटी में डालना ठीक रहेगा, और बाकी का पैसा गोल्ड, कैश और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में लगाना चाहिए.
सवाल: एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए कितनी म्यूचुअल फंड स्कीम काफी हैं?
जवाब: मुझे (श्याम शेखर) लगता है कि 5 से 6 स्कीम काफी हैं. मैं इन दिनों एक ऐसा ट्रेंड देख रहा हूं, जो डिस्टर्ब करता है. बहुत सारे लोग अपने आप पैसा निवेश कर रहे हैं. आपको बहुत सारी म्यूचुअल फंड स्कीम्स या स्टॉक्स में पैसा नहीं डालना चाहिए. आप निवेशकों को देखिए, पिछले साल किस तरह से यूएस स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया है. उन्होंने इसे काफी गलत समय पर खरीदा. यदि आप टेक्नोलॉजी स्टॉक्स को खरीदने का समय देखेंगे तो भी पाएंगे कि वह गलत था. इसे सिंपल रखिए.
सवाल: ब्याज दरें बढ़ रही हैं, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि ये बहुत अधिक नहीं बढ़ेंगी. क्या आपको शॉर्ट-टर्म बॉन्ड्स में निवेस करना चाहिए या लॉन्ग-टर्म बॉन्ड्स में?
जवाब: डेट (Debt) फंड्स में निवेश करने का सीधा-सा फंडा है. अपने पास कैश रखें और उसे लगाते रहें. लेकिन सिस्टमैटिकली. डेट फंड्स में निवेश करना अगले 2 वर्षों में ज्यादा परेशानी-भरा रहने वाला है. ऐसी स्थिति में आप पुरानी परफॉर्मेंस के आधार पर निवेश नहीं कर सकते, जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में उथल-पुथल मची हुई है. अगले 2 वर्षों के लिए आपका निवेश उभरते हुई मैक्रो-इकॉनमिक परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए.
जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे आपको अपने डेट निवेश की समयसीमा (duration) बढ़ा देनी चाहिए. डेट में निवेश करने के लिए जल्दबाजी न करें. वैश्विक ब्याज दरों को भी ध्यान से देखिए. देखें कि भारतीय मार्केट, एक्सचेंज दरों व ऐसी ही अन्य चीजों पर इसका कैसा असर होगा. यदि आप यह खुद नहीं कर पाते हैं तो आपको एक निवेश सलाहकार की मदद लेनी चाहिए.
सवाल: क्या बढ़ती महंगाई एक खतरा है?
जवाब: भारत में महंगाई शायद यहां से और ज्यादा न बढ़े, लेकिन हमें मुद्रास्फीति पर काबू पाने में समय लगेगा. बहुत कुछ जलवायु परिवर्तन और फसल उत्पादन पर भी निर्भर करता है.
सवाल: भारतीय अर्थव्यवस्था और मार्केट्स के लिए सबसे बड़े जोखिम क्या हैं?
जवाब: मुझे लगता है कि विदेशी निवेशकों द्वारा पैसा निकालना एक बड़ा जोखिम है. एक बार में बहुत ज्यादा पैसा आना या जाना परेशानी का सबब बन सकता है. दूसरा बड़ा जोखिम है एक्सचेंज रेट. भारत को अपने रिजर्व को अच्छे से मैनेज करना होगा. तीसरा यह कि भारत को अपने लिए एक ग्रोथ नंबर निर्धारित करना चाहिए. हम दूसरे देशों के साथ अपनी तुलना करके संतुष्ट नहीं हो सकते.
(Disclaimer: उपरोक्त खबर इंटरव्यू पर आधारित हैं. यदि आप किसी भी इंस्ट्रूमेंट में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
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Stock Investment: अच्छा निवेशक बनने के लिए जरूरी है पोर्टफोलियो की समझ, जानिए क्या है इसका गणित
आपका वित्तीय सलाहकार उस डाक्टर की तरह होता है जो कई टेस्ट और स्कैन करता है और ऐसी कई बीमारियां ढूंढ-ढूंढ के निकाल देता है जिन्हें अच्छे-खासे इलाज की जरूरत होती है। आपको ऐसा वित्तीय सलाहकार नहीं मिलेगा जो आपसे कहे कि आपके निवेश के साथ सबकुछ ठीक है।
धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। ये हर किसी का अनुभव रहा है। आप एक डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह डाइग्नोस करता है और कुछ जीवन-शैली पर आधारित सलाह देता है, जैसे- कसरत करना, खान-पान में सुधार करना, वगैरह। ये सुनकर अक्सर मरीज निराश हो जाते हैं। अब बात करते हैं एक दूसरे तरह के डाक्टर की जो, चार टेस्ट और एक स्कैन कराने के लिए कहता है, और ऊपर से कई महंगी दवाएं भी दे देता है।
असल दुनिया में जब मरीज को लगता है कि उसके साथ कुछ गड़बड़ है और कोई उसपर ध्यान नहीं दे रहा, तो स्वाभाविक होता है कि दूसरी तरह का डाक्टर ज्यादा पसंद किया जाता है। ये मानव स्वभाव है। हम अपनी सभी मुश्किलों के प्रति गंभीर होना चाहते हैं।
मार्केट का दबाव
जब हमें लगता है कि हमारी परेशानियों को लेकर 'कुछ किया जा रहा है', तो हम महसूस करते हैं कि हमारा ख्याल रखा जा रहा है। बहुत से लोग तो जब तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए पहले वाले डाक्टर के अनुभव से गुजरते हैं, तो वो उसे फीस देना भी पसंद नहीं करते, क्योंकि डाक्टर ने तो कुछ किया ही नहीं! नतीजा ये होता है कि मार्केट का दबाव, दोनों डाक्टरों को, दूसरी तरह का डाक्टर बनने की तरफ धकेलता है। क्योंकि डाक्टरी के पहले वाले माडल में न तो ज्यादा आर्थिक सफलता है और न ही ग्रोथ। इसके बावजूद कि पहले वाला डाक्टर ही आपको असली हेल्थकेयर सर्विस देता है।
सुधारा जा सकता है पोर्टफोलियो
मेडिकल स्थिति और सलाह की यह पूरी गतिविधि पर्सनल फाइनेंस पर पूरी तरह से फिट बैठती है। मैंने खुद कई बार दोस्तों और परिवार के साथ निजी तौर पर इसका सामना किया है। जब भी कोई जानने वाला मुझे किसी निवेश सलाह के लिए आग्रह करता है तो मैं उनकी निवेश जरूरतों को देखता हूं। उस व्यक्ति की आर्थिक जरूरतों को सुनता हूं, और फिर उन्हें बताता हूं कि सबकुछ ठीक है। आप जो कर रहे हैं, उसे करते रहिए। कुछ नया करने की जरूरत नहीं है।
इसके बाद अक्सर, मैं उनके चेहरे पर निराशा के भाव देखता हूं। उन्हें लगता है कि मैं उन्हें सुन ही नहीं रहा था और मैंने उनकी जरूरत को गहराई से समझने की कोई कोशिश ही नहीं की है।उन्हें इस बात का यकीन होता है कि उनका पोर्टफोलियो सुधारा जा सकता है। मगर मुझे ही इस बात की फिक्र नहीं है।
ज्यादा पैसे चाहिए तो बचत कीजिए
कई बार तो इससे भी खराब स्थिति होती है। मैं देख सकता हूं कि वो अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे, मगर उनके चुने तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए निवेशों में कुछ भी गलत नहीं होता। सिवाए इसके कि उन्हें और ज्यादा निवेश करने की जरूरत होती है। लोगों को ज्यादा बचत और निवेश करना चाहिए। ये सलाह उन्हें नाराज कर देती है। उन्हें लगता है कि मुझे कोई परवाह ही नहीं है। पर बात सीधी है, अगर आपको ज्यादा पैसे चाहिए तो ज्यादा बचत कीजिए। इस मुश्किल से हर नेकनीयत वित्तीय सलाहकार सामना करता है।
असल में तो इसी मुश्किल का सामना एप्स और वेबसाइट के इन्वेस्टमेंट टूल्स भी करते हैं। इसका नतीजा होता है कि दूसरी तरह का डाक्टर फोकस में आ जाता है। और आपका वित्तीय सलाहकार उस डाक्टर की तरह होता है, जो कई टेस्ट और स्कैन करता है और ऐसी कई बीमारियां ढूंढ-ढूंढ के निकाल देता है जिन्हें अच्छे-खासे इलाज की जरूरत होती है। मिसाल के तौर पर, आपको बैंक या किसी बड़ी कंपनी का ऐसा वित्तीय सलाहकार कभी नहीं मिलेगा जो आपसे कहे कि आपके निवेश के साथ सबकुछ ठीक है, या बहुत थोड़े से सुधार की जरूरत है। क्योंकि इसमें कोई पैसा नहीं है।
निवेशक के लिए इंतजार करना जरूरी
हालांकि, हमें समझना चाहिए कि ये हमारे अपने स्वभाव में है कि कोई जितना ज्यादा काम करेगा, हमें लगेगा कि निवेश के लिए उतना ही ज्यादा अच्छा है। लगातार कुछ किए जाने का पूरा आइडिया असल में काफी भ्रम में डालने वाला है। जब मैं असल एक्टिविटी के बारे में सोचता हूं जिसे करते हुए निवेशक का ज्यादातर समय गुजरना चाहिए, तो वो है, कुछ नहीं। बशर्ते उन्होंने अपना पोर्टफोलियो अच्छी तरह से तैयार किया हो। ज्यादातर लोगों के लिए पूरे जीवन के निवेश के लिए उन्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। निवेश का ज्यादातर काम इंतजार करने का है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
पहली बार निवेश करने वाले के लिए कैसे बने SIP पोर्टफोलियो?
अगर आप म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश कर रहे हैं और म्यूचुअल फंड से वाकिफ नहीं हैं तो आपको किसी फाइनेंशियल प्लानर/म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सलाह लेनी चाहिए.
आप SIP पोर्टफोलियो के लिए हमारी सलाह यहां देख सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश हमेशा किसी वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए. इससे आपको निवेश में और उसे भुनाने में मदद मिलेगी.
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