शेयर बाजार पर आय
नई दिल्ली. शेयर बाजार में बुधवार 21 दिसंबर को भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 635 अंक लुढ़ककर 61,067 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 186 अंक गिरकर 18,199 के स्तर पर आ गया. बैंकिंग, ऑयल एंड गैस और पावर सेक्टर की कंपनियों में सबसे अधिक बिकवाली देखने को मिली. आज सेंसेक्स के 30 में से 23 शेयरों में गिरावट देखने को मिली है.
दुनियाभर में कोरोना के मामलों में एकाएक आए उछाल का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखाई दिया. सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन स्टॉक मार्केट हरे निशान पर खुला, लेकिन ये तेजी ज्यादा देर जारी नहीं रह सकी. जैसे-जैसे चीन समेत दूसरे देशों में कोविड के बेकाबू होने की खबरें आई, ये गिरावट आती चली गई. कारोबार के अंत में बाजार के दोनों इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी बुरी तरह टूटकर बंद हुए. इस दौरान बीएसई के सेंसेक्स ने 600 अंकों से ज्यादा का गोता लगाया.
शुरुआती तेजी गायब
बुधवार को हरे निशान पर खुला. सेंसेक्स लगभग 290 अंकों की तेजी के साथ 61992 के लेवल पर, जबकि निफ्टी 50 अंकों की तेजी के साथ 18435 के लेवल पर खुला. इसके साथ ही बैंक निफ्टी में 166 अंकों की तेजी के साथ 43525 पर कारोबार की शुरुआत हुई थी.लेकिन दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ने का असर निवेशकों के सेंटिमेंट पर शेयर बाजार पर आय पड़ा और शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई.
शेयर बाजार बंद होने के बाद IRCTC के शेयर पर आई बड़ी खबर-OFS के जरिए सरकार बेचेगी हिस्सेदारी
IRCTC OFS latest news update : CNBC आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार OFS के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी
IRCTC का शेयर खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर है. IRCTC का OFS गुरुवार को आएगा. सरकार की IRCTC में 67.4% हिस्सेदारी है. Axis Capital, Citi, JM Fin ब्रोकर हो सकते हैं. सरकार OFS के जरिए 5% तक हिस्सा बेचेगी. ओएफएस का फ्लोर प्राइस 680 रुपये तय किया है. बुधवार को शेयर 734.9 रुपये के भाव पर बंद हुआ था.
IRCTC के शेयर ने एक हफ्ते में 3 फीसदी का रिटर्न दिया है. जबकि, एक शेयर बाजार पर आय महीने में शेयर 3 फीसदी लुढ़का है. एक साल में 14 फीसदी नीचे आ गया है. 3 साल में शेयर ने 300 फीसदी का बंपर रिटर्न दिया है.
IRCTC में किसकी कितनी हिस्सेदारी- IRCTC की अप्रैल-जून तिमाही में हिस्सेदारी 5.87 फीसदी थी. वहीं, जुलाई-सितंबर तिमाही में ये 5.81 फीसदी रह गई है.
डीआईआई की अप्रैल-जून तिमाही में हिस्सेदारी 5.32 फीसदी थी. वहीं, जुलाई-सितंबर तिमाही में ये 5.57 फीसदी हो गई.
(1) आपको बता दें कि OFS यानी ऑफर फॉर सेल शेयरों को बेचने का एक तरीका होता है. लिस्टेड कंपनी के प्रमोटरों अपनी मौजूदा शेयरहोल्डिंग (हिस्सेदारी) पारदर्शी तरीके से घटाने का मौका मिलता है.इसके जरिए एक्सचेंज के बिडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए शेयर सेल में ज्यादा इन्वेस्टर्स का पार्टिसिपेशन सुनिश्चित होता है.
(2) OFS के जरिए जो शेयर बिकते हैं उनमें रीटेल यानी छोटे निवेशक, म्यूचुअल फंड्स, फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI, FII), इंश्योरेंस कंपनियां, कॉरपोरेट्स, दूसरे क्वॉलिफाइड इंस्टीट्यूशनल बिडर्स, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिलीज (HUF) और NRI सहित सभी हिस्सा ले सकते है.
(3) OFS में पेपरवर्क कम होता है क्योंकि यह प्लेटफॉर्म बेस्ड होता है और इसमें ट्रांजैक्शन चार्ज, STT वगैरह छोड़कर बाकी एडिशनल चार्ज नहीं होते. अलॉटमेंट प्राइस बिडिंग खत्म होते ही तय हो जाता है और उसी दिन एलोकेशन हो जाता है. बिडिंग में कामयाब रहने वाले इन्वेस्टर्स के डीमैट एकाउंट में शेयर टी+1 बेसिस पर अगले दिन आ जाते हैं. इस रूट की सबसे बड़ी कमी यह है कि इनवेस्टर्स को OFS के लिए पूरी रकम ब्रोकर के पास एडवांस में रखनी होती है.
वैश्विक रुख पर रहेगी शेयर बाजार की नजर
मुंबई। दुनिया भर में ब्याज की दरें ऊंची रहने से सहमे निवेशकों की बिकवाली से बीते सप्ताह 1.36 प्रतिशत तक टूटे घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह वैश्विक आर्थिक गतिविधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 843.86 अंक अर्थात 1.36 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 62 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 61337.81 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 227.6 अंक यानी 1.23 प्रतिशत गिरकर 18500 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 18269 अंक रह गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों पर बिकवाली का दबाव रहा। इससे मिडकैप 356.35 अंक की गिरावट लेकट सप्ताहांत पर 25739.21 अंक पर रहा। हालांकि स्मॉलकैप की मामूली गिरावट से बाजार को समर्थन मिला। स्मॉलकैप महज 41.81 अंक फिसलकर 29516.75 अंक पर आ गया।
विश्लेषकों के अनुसार, बीते सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के ठीक एक दिन बाद यूरो क्षेत्र, ब्रिटेन, स्विटज़रलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, मैक्सिको और ताइवान के केंद्रीय बैंक ने भी महंगाई पर लगाम लगाने का हवाला देते हुए गुरुवार को ब्याज दरें बढ़ा दी। साथ ही अगले साल भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाने के संकेत दिए। इससे दुनिया के शेयर बाजार एक महीने के निचले स्तर तक गिर गए। इसका असर दोनों स्थानीय मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी पर पड़े तथा कमोबेश अगले सप्ताह भी इसका प्रभाव देखा जा सकेगा।
इसके अलावा चीन से आने वाली खबरें, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और डॉलर सूचकांक अगले सप्ताह बाजार की दिशा निर्धारित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण कारक होंगे। साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश प्रवाह पर भी बाजार की नजर रहेगी।
एफआईआई ने दिसंबर में अबतक कुल 99,241.74 करोड़ रुपये की लिवाली जबकि कुल 106,731.79 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। उन्होंने बाजार से 7,490.05 करोड़ रुपये निकाल लिए। हालांकि, इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की निवेश धारणा मजबूत रही है। उन्होंने बाजार में कुल 76,371.13 करोड़ शेयर बाजार पर आय रुपये का निवेश किया जबकि 65,819.51 करोड़ रुपये निकाल लिए, जिससे वह 10,551.62 करोड़ रुपये के लिवाल रहे।
जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।>,
फेड ने ब्याज दर में और बढ़ोतरी के दिए संकेत, शेयर बाजार में आई गिरावट
मुंबई। अमेरिकी फेड रिजर्व के अगले साल ब्याज दरों में और अधिक बढ़ोतरी करने के संकेत से वैश्विक बाजार में आई गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से आज शेयर बाजार में कोहराम मच गया। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 878.88 अंक यानी 1.40 प्रतिशत का गोता लगाकर तीन सप्ताह बाद 62 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 61799.03 अंक तक उतर गया। इससे पूर्व 24 शेयर बाजार पर आय नवंबर को यह 62 हजार अंक के पार पहुंचा था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 245.40 अर्थात 1.32 प्रतिशत की गिरावट लेकर 18414.90 अंक रह गया।
दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों शेयर बाजार पर आय के शेयरों पर भी बिक्रवाली हावी रही। इससे मिडकैप 1.05 प्रतिशत लुढ़ककर 26,115.55 अंक और स्मॉलकैप 0.61 प्रतिशत की गिरावट लेकर 29,802.29 अंक पर आ गया। इस दौरान बीएसई में कुल 3680 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 1405 में लिवाली जबकि 2152 में बिकलावी हुई वहीं 123 कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 45 कंपनियों में गिरावट जबकि शेष पांच में तेजी रही।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बुधवार को कहा कि महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए केंद्रीय बैंक अगले साल ब्याज दरों में और अधिक बढ़ोतरी करेगा, भले ही अर्थव्यवस्था मंदी की ओर फिसल जाए। इससे वैश्विक बाजार में जमकर बिकवाली हुई, जिससे ब्रिटेन का एफटीएसई 0.69, जर्मनी का डैक्स 1.30, जापान का निक्केई 0.37, हांगकांग का हैंगसेंग 1.55 और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.25 प्रतिशत लुढ़क गया।
अंतर्राष्ट्रीय रुख का घरेलू बाजार पर भी असर पड़ा। इससे बीएसई के सभी 19 समूह बिकवाली का शिकार हो गए। इस दौरान सीडी 0.86, एफएमसीजी 0.95, वित्तीय सेवाएं 1.19, इंडस्ट्रियल्स 1.13, आईटी 2.06, दूरसंचार 0.84, ऑटो 0.69, बैंकिंग 1.18, कैपिटल गुड्स 1.16, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 1.37, धातु 1.82, पावर 0.61, रियल्टी 1.25 और टेक समूह के शेयर 1.92 प्रतिशत लुढ़क गए।
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